पीएमओ खोज रहा
मंत्रियों के अमरिकी कनेक्शन!
टाईम मेग्ज़ीन में छपी खबर को प्रायोजित मान
रहे मनमोहन
(लिमटी खरे)
नई दिल्ली (साई)।
ढाई करोड़ पाठक संख्या के साथ विश्व की सबसे अधिक प्रसारित टाईम मेग्जीन में भारत
गणराज्य के वज़ीरे आज़म डॉ.मनमोहन सिंह को अंडर एचीवर बताने से नया विवाद अवश्य ही
खड़ा हो गया है, इसके साथ
ही साथ प्रधानमंत्री कार्यालय अब केंद्रीय मंत्रियों सहित उच्च पदस्थ कांग्रेसियों
के अमरीकि कनेक्शन खोजने में लग गया है ताकि यह पता लगाया जा सके कि इस खबर को
प्रायोजित किसके द्वारा करवाया गया है।
माना जा रहा है कि 1923 में ब्रिटन हेडन
और हेनरी ल्यूस द्वारा स्थापित अमरीका की पहली साप्ताहिक समाचार पत्रिका टाईम ने
अपनी कव्हर स्टोरी में डॉ.मनमोहन सिंह को अंडर एचीवर बताकर उस वैश्विक धारणा को
मजबूत किया है जिसके तहत भारत में मनमोहन सिंह के प्रति बनी आम धारणा कि वे कठपुतली
प्रधानमंत्री हैं को बल मिलता है।
भारत में मनमोहन
सिंह को बिना रीढ़ का व्यक्तित्व भी माना जाने लगा है क्योंकि वे देश के
प्रधानमंत्री हैं,
पर आज तक एक भी चुनाव नहीं जीते हैं। भारत गणराज्य में इससे
बड़ी विडम्बना और कोई नहीं होगी कि देश का प्रधानमंत्री डॉ.मनमोहन सिंह लोकसभा में
ही वोट डालने का हक नहीं रखता जहां उसे अपनी सरकार के लिए बहुमत सिद्ध करना होता
है।
पीएमओ के सूत्रों
का कहना है कि प्रधानमंत्री डॉ.मनमोहन सिंह के बारे में तरह तरह की बातों के बाजार
में आने के बाद देश के मीडिया को ‘सैट‘ करने के लिए हरीश खरे को पीएमओ बुलाया गया
था। खरे के कार्यकाल में संप्रग टू के जबर्दस्त घपले घोटाले और भ्रष्टाचार सामने
आते गए, जिन पर
काबू करना खरे के लिए बहुत कठिन हो रहा था।
सूत्रों की मानें
तो इसी दौरान हरीश खरे के मशविरे पर प्रधानमंत्री ने देश के चुनिंदा संपादकों की
टोली बुलाकर अपने आप को मजबूत के स्थान पर मजबूर प्रधानमंत्री बताकर और किरकिरी
करवा ली। हरीश खरे के असफल रहने के दौरान पीएमओ में आए पुलक चटर्जी ने खरे के
स्थान पर पंकज पचौरी को पीएम का मीडिया संभालने की महती जवाबदारी दे दी।
पीएमओ के सूत्रों
ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि पंकज पचौरी ने मीडिया पर सफलता के साथ
नकेल कसते हुए काफी हद तक लोगों का ध्यान ‘कमजोर प्रधानमंत्री‘ वाले मुद्दे से
भटकाकर रखा था। इसी बीच अमरिका की सिरमौर टाईम मेग्जीन ने मनमोहन सिंह को अपनी
कव्हर स्टोरी में ही अंडर एचीवर जतला दिया।
जैसे ही यह पत्रिका
बाजार में आई, देश भर में
हलचल मच गई और पीएमओ बुरी तरह हिल गया। पीएमओ के भरोसेमंद सूत्रों का कहना है कि
भारत गणराज्य के प्रधानमंत्री को यह बताया गया है कि 7, रेसकोर्स रोड़ यानी
प्रधानमंत्री को आशियाना बनाने की चाहत रखने वाले वरिष्ठ कांग्रेसी द्वारा अपने
अमरीकि संबंधों का लाभ उठाकर टाईम जैसी मेग्जीन में यह प्रायोजित स्टोरी करवाई है।
इस बात में कितना
दम है यह तो कहा नहीं जा सकता है, किन्तु जैसे ही यह पत्रिका बाजार में आई और
विवाद हुआ वैसे ही कांग्रेस के नेता मंत्रियों द्वारा प्रधानमंत्री के बचाव में
आने से इसमें षणयंत्र की बू आने लगी है। वैसे तो कहा जा रहा है कि टाईम मेग्जीन
में प्रायोजित वह भी कव्हर स्टोरी के लिए ‘लंबा पैसा‘ लगा होगा।
उधर, प्रधानमंत्री
मनमोहन सिंह पर टाइम मैगजीन की कवर स्टोरी के बाद गृह मंत्री पी चिदंबरम ने मनमोहन
सिंह का बचाव करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री देश को आर्थिक संकट से बाहर ले आएंगे।
उन्होंने भाजपा को अटल बिहारी वाजपेयी पर टाइम के 2002 के लेख की याद
दिलाई। उन्होंने कहा कि टाइम मैगजीन ने जून 2002 में उस वक्त के प्रधानमंत्री अटल बिहारी
वाजपेयी के खिलाफ क्या लिखा था ये भाजपा प्रवक्ता रविशंकर प्रसाद को पढ़ना चाहिए
था। गौरतलब है कि तब टाइम में वाजपेयी के स्वास्थ्य के बारे में नकारात्मक टिप्पणी
की गई थी।
वैसे, सरकार के लिए राहत
की बात ये है कि एनडीए के कुछ सहयोगी इस मुद्दे पर बीजेपी के सुर में सुर नहीं
मिला रहे हैं। जदयू अध्यक्ष शरद यादव का कहना है कि टाइम मैगज़ीन में छपी बातें
भ्रामक हैं।
शहरी विकास मंत्री
कमलनाथ का कहना है कि टाइम मैगज़ीन को पहले अमेरिका और यूरोप के हालात पर ध्यान
देना चाहिए। वहीं केंद्रीय मंत्री अंबिका सोनी और कमल नाथ ने भी अपने प्रधानमंत्री
का बचाव किया है। अंबिका सोनी ने कहा, “पीएम बेहतर तरीके से काम कर रहे हैं और वो
देश को संकट से बाहर निकालने में सफल होंगे।” राष्ट्रीय जनता दल अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव
ने भी खुलकर मनमोहन सिंह का समर्थन किया और कहा है कि पीएम एक ईमानदार इंसान हैं
और उनके जैसा नेता मिलना मुश्किल है।
विश्व विख्यात टाईम
पत्रिका के कव्हर पेज पर मनमोहन सिंह की तस्वीर होना कांग्रेस के लिए गर्व की बात
हो सकती थी, बशर्ते यह
नकारात्कम के बजाए सकारात्मक दृष्टिकोण में होती। गौरतलब है कि इसके पहले कांग्रेस
अध्यक्ष श्रीमति सोनिया गांधी को टाईम मेग्जीन में सकारात्मक तौर पर स्थान मिल
चुका है।
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