गुरुवार, 20 सितंबर 2012

मिड टर्म पोल की संभावनाओं से गदगद गड़करी


मिड टर्म पोल की संभावनाओं से गदगद गड़करी

(शरद खरे)

नई दिल्ली (साई)। देश के मुख्य राजनैतिक दल भाजपा और कांग्रेस द्वारा हर माह सर्वे कराकर अपनी जमीनी हकीकत पता करवाई जाती है। इसी तरह कांग्रेस और भाजपा के क्षत्रप भी अपने अपने संसदीय और विधानसभा क्षेत्रों में सतत सर्वेक्षण करवाकर अपनी औकात का पता करवाते रहते हैं। पिछले दिनों उपजी परिस्थितियों का देशव्यापी सर्वेक्षण की रिपोर्ट जैसे ही गड़करी के हाथों में आई गड़करी की मानो बांछें ही खिल गईं।
भाजपा के नेशनल प्रेजीडेंट नितिन गड़करी के करीबी सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि एक सर्वेक्षण एजेंसी ने अपनी रिपोर्ट गड़करी के विदेश से वापस आने पर उन्हें सौंपी है। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर अभी मिड टर्म पोल हो जाएं तो भाजपा को अप्रत्याशित बढ़त इसलिए मिल सकती है क्योंकि जनता के सामने भ्रष्टाचार, घपले घोटालों के साथ ही साथ मंहगाई का भी अस्त्र है।
सूत्रों ने कहा कि कुछ दिन पूर्व ममता बनर्जी और मुलायम सिंह यादव ने गड़करी से भेंट की थी। गड़करी, मुलायम और ममता के त्रिफला ने यह तय किया था कि मिड टर्म पोल के बाद अगर राजग की सरकार बनी तो मुलायम और ममता को भाजपा से पहले बारी बारी से प्रधानमंत्री बनने का मौका दिया जाएगा। जुलाई में बनी इस रणनीति को अब अंजाम दिया गया बताया जा रहा है।
हाल ही में ममता बनर्जी द्वारा केंद्र सरकार से समर्थन वापसी उसी एजेंडे का हिस्सा माना जा रहा है। देर सबेर मुलायम सिंह यादव भी पल्टी मारकर भाजपा के पाले में आ सकते हैं। डीएमके भी कांग्रेस की ओर आंख तरेर रही है। शरद पंवार को भी गड़करी ने साध लिया बताया जाता है।
सूत्रों ने बताया कि घोटाले दल घोटाले, महंगाई और अब डीजल दरों में बढ़ोतरी, एफडीआई और एलपीजी को लेकर उपजे माहौल के बीच अगर मिड टर्म पोल होते हैं तो उसका सबसे बड़ा फायदा विपक्षी एनडीए को हो सकता है। बीजेपी भी यही मान रही है लेकिन इसके साथ ही पार्टी को यह लगता है कि कांग्रेस भी इस माहौल को भांप रही है और उसकी पूरी कोशिश होगी कि कम से कम इन हालातों में तो मिड टर्म पोल न हों। बीजेपी को लगता है कि अगर हालात इसी तरह बिगड़ते रहे तो आने वाले वक्त में उसे और फायदा मिल सकता है।
उधर, पार्टी सूत्रों का कहना है कि इस वक्त घोटाले तो सामने आए ही हैं, लेकिन जनता के बीच सबसे बड़ा गुस्सा महंगाई को लेकर है। अब जिस तरह से रियायती एलपीजी सिलिंडरों की संख्या छह तक सीमित कर दी गई है, उससे अब जनता की नाराजगी पीक पर है। ऐसे में अगर अभी चुनाव का ऐलान होता है तो बीजेपी और उसके सहयोगी दलों को इसका फायदा मिलेगा। इसकी वजह यह है कि इस वक्त किसी एक राज्य में नहीं बल्कि पूरे देश में ही सरकार के खिलाफ आक्रोश है।
पार्टी नेताओं का मानना है कि अभी यूपीए सरकार की कोशिश होगी कि मिड टर्म पोल किसी भी हालत में न हों लेकिन अगर सरकार इसी तरह से आगे भी चली तो आने वाले महीनों में इस सरकार की स्थिति और खराब होगी। मसलन, टीएमसी के समर्थन वापसी के ऐलान के बाद सरकार के अन्य सहयोगी दलों का दबाव और बढ़ेगा और वे इस सरकार से और फायदा उठाने की कोशिश करेंगे। इनमें एसपी और बीएसपी भी शामिल हैं। ऐसे में सरकार की छवि भी खराब होगी और जनता के बीच पकड़ और ढीली होती जाएगी। ऐसे में आगे चलकर बीजेपी और उसके सहयोगी दलों को चुनावी फायदा और बढ़ेगा।
बीजेपी नेता प्रकाश जावेड़कर का कहना है कि मिड टर्म पोल की चर्चा इसलिए शुरू हो गई है, क्योंकि सरकार अपना बहुमत खो चुकी है। बीजेपी सिर्फ सरकार बनाने के लिए ही नहीं बल्कि इस वक्त वह जनता की लड़ाई लड़ रही है। ऐसे में इस सरकार का जाना देश हित में है। बीजेपी के ही कुछ नेताओं का यह भी मानना है कि मिड टर्म पोल की उम्मीद करना आसान नहीं है, इसकी वजह यह है कि हाल के फैसलों से भले ही सरकार के खिलाफ लोगों में नाराजगी हो लेकिन इन फैसलों से देश में कोल घोटाले की चर्चा नेपथ्य में चली गई। यह सरकार के पक्ष में जाता है। ऐसे में हो सकता है कि सरकार को इसी तरह से अगले मार्च तक चलाया जाए और इस बीच कुछ बड़े फैसले करने के बाद खुद को कुर्बान करने के बहाने मिड टर्म पोल का ऐलान कर दिया जाए।

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