प्रदेश सरकार दे
जनता को राहत: वर्मा
(संजीव प्रताप सिंह)
सिवनी (साई)। जनता
के हितों की रक्षा करने का दायित्व केन्द्र और प्रदेश सरकार दोनों का बराबर का
होता हैं। अंर्तराष्ट्रीय कारणों से यदि
केन्द्र सरकार को डीजल में दाम वृद्धि और रसोई गैस में कोटा तय करने का निर्णय
लेना पड़ा हैं तो अन्य दलों को सिर्फ विरोध के लिये विरोध करने के बजाय अपने दलों
की प्रदेश सरकारों से जनता को राहत दिलाना चाहिये जैसी कि कांग्रेस शासित प्रदेशों
और बिहार सरकार ने किया हैं। एफ.डी.आई. पर राजनैतिक दलों का विरोध समझ से परे हैं
क्योंकि इसे लागू करने का अधिकार राज्य सरकारों को ही दिया गया हैं। उक्ताशय के
विचार इंका नेता आशुतोष वर्मा ने प्रेस को जारी एक विज्ञप्ति में व्यक्त किये हैं।
इंका नेता वर्मा ने
विज्ञप्ति में आगे उल्लेख किया है कि सरकार चाहे केन्द्र की हो या प्रदेश की दोनों
ही जनता के वोटों के द्वारा चुनी जातीं हैं। इसीलिये जनता की भलायी करने का
कर्त्तव्य दोनों का होता हैं। केन्द्र सरकार के निर्णयों की सिर्फ आलोचना करके
भाजपा सहित अन्य दलों की प्रदेश सरकारें अपने कर्त्तव्यों की इतिश्री नहीं कर
सकतीं हैं।
सिवनी विस क्षेत्र
के पूर्व इंका प्रत्याशी आशुतोष वर्मा ने आगे विज्ञप्ति में आगे उल्लेख किया है कि
यह सर्वविदित हैं कि तेल उत्पादों की कीमतें अंर्तराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल
की कीमतों पर निर्भर करतीं हैं। जब अंर्तराष्ट्रीय बाजार में इसके दाम बढ़तें हैं
तो डीजल,पेट्रोल और
रसोयी गैस की कीमतें बढ़ाना केन्द्र सरकार की मजबूरी होती हैं। इसी के चलते उसे ऐसे
अलोकप्रिय निर्णय लेने पड़ते हैं। इसके बावजूद भी जनता को राहत देने के लिये
केन्द्र सरकार इनमें सबसिडी देती आयी हैं। जब अंर्तराष्ट्रीय बाजार में इसकी कीमत
घटती हैं तो सरकार भी कीमतों को कम करती हैं जैसा कि पिछले दिनों पेट्रोल की
कीमतों में सात रु. की वृद्धि करने के बाद सरकार ने दो बार में तीन रु. कीमत कम भी
की थी। हाल ही में केन्द्र सरकार पेट्रोल में 5 रु. से अधिक
एक्साइज डयूटी कम करके पेट्रोल के दाम बढ़ने से रोके हैं।
विज्ञप्ति में इंका
नेता वर्मा ने बताया है कि हाल ही में कांग्रेस नेतृत्व ने कांग्रेस शासित राज्यों
के मुख्यमंत्रियों को निर्देशित किया है कि वे अपने राज्यों में जनता को राहत
पहुचाने के लिये तीन अतिरिक्त गैस सिलेन्डर उपलब्ध कराये।इन तीन सिलेन्डरों की
सबसिडी राज्य सरकारें वहन करेंगी। इसी तर्ज बिहार सरकार ने डीजल में प्रादेशिक
करों में कमी करके जनता को राहत पहुचायी हैं। इसी तरह अन्य राजनैतिक दलों को भी
अपनी प्रदेश सरकारों को निर्देशित कर जनता को राहत पहुचाने के निर्दश देना चाहिये।
यदि भाजपा सहित अन्य राजनैतिक दल ऐसा नहीं करते तो यही कहा जायेगा कि उन्हें जनहित
से कोई लेना देना नहीं हैं और वे सिर्फ विरोध के लिये विरोध करने की राजनीति कर
मगरमच्छ के आंसू बहा रहे हैं। अपना पर्स बंद रख कर दूसरे की जेब काट कर जनता को
माल पुए खिलाने की बात करना तो बेमानी ही कही जायेगी।
इंका नेता आशुतोष
वर्मा ने विज्ञप्ति में आगे लिखा हैं कि आर्थिक सुधारों एवं आम उपभोक्ता के हित
में लिये आवश्यक होने के कारण केन्द्र सरकार ने एफ.डी.आई का जो निर्णय लिया हैं
उसे लागू करने का अधिकार राज्य सरकारों को सौंपा हैं। जिन राजनैतिक दलों को इससे
परहेज हो वे इसे अपनी पार्टी द्वारा शासित राज्यों में लागू ना करने के लिये
स्वतंत्र हैं। लेकिन उसके बाद भी भारत बंद आदि का आयोजन करके इसे एक राजनैतिक
मुद्दा बनाना समझ से परे हैं। जिसे तमाम अर्थ शास्त्री उचित और सही बता रहें हों
उसे यदि राजनीतिज्ञ गलत बताये तो किसकी बात को तव्वजो दिया जाना चाहिये? यह एक विचारणीय
प्रश्न हैं।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें