एक्सपाईरी डेट की
दवा खा रहे मरीज!
(अभय नायक)
रायपुर (साई)।
राज्य मानवाधिकार आयोग की छापेमारी में जिला अस्पताल में चल रही भर्राशाही भी
सामने आ गई। जब टीम अस्पताल पहुंची तो वहां के दवा काउंटर में एक दर्जन से ज्यादा
दवाएं एक्सपायरी डेट वाली, जिनको मरीजों को देने के लिए रखा गया था। आयोग की टीम यह
देखकर भौचक रह गई कि 34 में से केवल दो डॉक्टर ही ड्यूटी पर मौजूद थे। इतना ही नहीं, सीएस डॉ. बीके दास
भी टीम की दबिश के बाद पहुंचे।
आंबेडकर अस्पताल की
तरह ही जिला अस्पताल में भी मरीजों को भी फटी और मैली चादरों पर लिटाया गया था।
मानवाधिकार आयोग की टीम की कुछ दिनों पहले ही आंबेडकर अस्पताल से भी दबिश थी। पर
जिला अस्पताल में आंबेडकर से ज्यादा बदहाली मिली। 25 बेड के इस अस्पताल
में केवल 10 मरीज
भर्ती मिले।
पंडरी स्थित जिला
अस्पताल बस नाम का है। यहां की अव्यवस्था किसी से छिपी नहीं है। डाक्टरों के समय
पर नहीं आने और दवाओं की कमी से यहां बहुत कम मरीज आते हैं। अस्पताल में केवल 10 मरीज भर्ती मिले।
दूसरी ओर, आंबेडकर
अस्पताल के मेडिसिन वार्ड में मरीजों के लिए जगह ही नहीं है। मरीजों को जमीन पर
लिटाकर इलाज किया जा रहा है। जिला अस्पताल में अव्यवस्था के कारण यहां मरीज भर्ती
होना ही नहीं चाहते। सुबह 9।30 बजे जब आयोग की टीम अस्पताल पहुंची, तो दो ही डॉक्टर
उपस्थित थे। ओपीडी में चार मरीज ही मिले। सिविल सर्जन डॉ। दास बाद में अस्पताल
पहुंचे।
वार्डाे में मटमैले
और फटे हुए चादर मिले। मरीजों ने लंबे समय तक चादर की सफाई नहीं होने की शिकायत
की। पैथालॉजी लैब में मरीज सुबह आठ बजे से ही बैठे थे, लेकिन लैब तकनीशियन
का पता नहीं था। कंसल्टेंट डॉक्टर भी अनुपस्थित मिला। निरीक्षण में आयोग के
संयुक्त सचिव दिलीप भट्ट, विधि अधिकारी विवेक तिवारी, निरीक्षक केबी
द्विवेदी, एसके सिंह, विभोर सिंह, माया शर्मा, आरक्षक शब्रीनाथन
मेनन व गिरधर राजपूत शामिल थे।
आयोग की टीम को कई
दवाओं के बोतलों से लेवल फटे मिले। टीम के सदस्यों ने बताया कि अगस्त में एक्सपायर
होने वाली दवाइयां इस माह मरीजों को दी गई। सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि आखिर
स्वास्थ्य संचालनालय नियर एक्सपायरी डेट की दवाओं की खरीदी क्यों करता है? प्रदेश के सभी जिला
अस्पतालों, पीएचसी व
सीएचसी के लिए स्वास्थ्य संचालनालय के माध्यम से दवा खरीदी की जाती है। आयोग को
दवाओं के साथ संचालक स्वास्थ्य से पर्चेस रिपोर्ट पर एनालिसिस रिपोर्ट भी नहीं
मिली। जिस आलमारी में जीवन रक्षक दवाएं रखी थीं, उसकी चाबी निरीक्षण
के दौरान उपलब्ध नहीं हो सकी। इससे आयोग को पता ही नहीं चल पाया कि आलमारी में
कौन-कौनसी दवाएं है।
इस छापेमारी में
छापामार दल को कैमेक्स सीरप, टिडिलॉन रिटार्ड टेबलेट, ओबीलॉन एलडी टेबलेट, इमनेटिक ओडी टेबलेट, मेटीडॉन सीरप, टुनाविनिटी कैप्सूल, ट्रिक्यूलर टेबलेट, एनीच तीन टेबलेट व
मेडिसेफ स्प्रिट दवाएं एक्सपाईरी डेट की मिलीं।
वहीं दूसरी ओर
आंबेडकर अस्पताल में मानवाधिकार आयोग की टीम ने छापा मारकर मरीजों की दुर्दशा
देखी। कुछ वार्ड में मरीजों गंदी चादर पर लिटाकर इलाज किया जा रहा था, तो कहीं ओपीडी से
एचओडी ही गायब थे। जूनियर डॉक्टर्स गंभीर मरीजों की जांच करते मिले। वार्ड में
कालातीत दवाओं का स्टॉक देखकर तो आयोग के सदस्य व अफसर हैरान रह गए।
आयोग की टीम अब
अपनी रिपोर्ट राज्य शासन के आला अफसरों को सौंपेगी। टीम ने अस्पताल अधीक्षक डॉ।
विवेक चौधरी को भी वहां नजर आई बदइंतजामी से अवगत करा दिया है। आयोग की टीम ने दो
साल बाद अस्पताल में छापा मारा है। इस वजह से उनके इस निरीक्षण को कई दृष्टि से
महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
मानवाधिकार आयोग की
टीम सुबह 9 बजे ओपीडी
पहुंच गई थी। 10 सदस्यीय
टीम ने अस्पताल में दाखिल होते ही तीन टीमें बनाईं और अलग-अलग बंट गई। एक टीम
मेडिसिन विभाग की ओपीडी पहुंची। शुक्रवार को ओपीडी में डॉ। शशांक गुप्ता की ड्यूटी
थी। वे अपनी सीट पर नहीं थे। ओपीडी में सीनियर से इलाज कराने की हसरत लेकर पहुंचे
मरीजों को मजबूरी में जूनियर डॉक्टरों से उपचार कराना पड़ रहा था। आयोग की टीम ने
जब एचओडी के बारे में पूछा तो वहां मौजूद चिकित्सकों ने बताया कि एचओडी वार्ड में
भर्ती मरीजों का परीक्षण करने गए हैं। इसके बाद टीम ने पीडियाट्रिक और न्यूरो
सर्जरी विभाग की ओपीडी का निरीक्षण किया।
मानवाधिकार आयोग की टीम ने ऑपरेशन थियेटर, ब्लड बैंक, गायनिक वार्ड और एक्स-रे विभाग का भी निरीक्षण किया।
इस दौरान आयोग की टीम सफाई व्यवस्था चकाचक देखकर खासी प्रभावित नजर आई। आयोग के
सदस्यों ने अधीक्षक और सहायक अधीक्षक से इसकी सराहना की। हालांकि, एनालिसिस रिपोर्ट दवाओं के साथ उपलब्ध नहीं होना
अफसरों को खटक गया।
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