बुधवार, 12 सितंबर 2012

सत्याग्रहियों को प्रदर्शन स्थल से हटाया


सत्याग्रहियों को प्रदर्शन स्थल से हटाया

(हरदा से लौटकर सोनल सूर्यवंशी)

भोपाल (साई)। मध्य प्रदेश में पुलिस ने आज सवेरे हरदा जिले के खरदाना गांव में जल सत्याग्रहियों को प्रदर्शन स्थल से हटा दिया है। ये प्रदर्शनकारी इन्दिरा सागर बांध का जलस्तर कम करने की मांग कर रहे थे। वैसे गांव के लोग अपनी मांग पूरी होने तक जल सत्याग्रह जारी रखने पर अड़े हुए थे।
मौके पर जिला प्रशासन ने स्थिति को नियंत्रण में रखने के लिए क्षेत्र में धारा १४४ लागू कर दी है। प्रशासन बांध के इस बैक वाटर क्षेत्र को खाली कराने के प्रयास भी कर रहा है। उधर आंदोलनकारी बांध के बैक वाटर में खड़े होकर प्रदर्शन कर रहे हैं। उनकी मांग है कि उन्हें अधिग्रहित जमीन के बदले जमीन दी जाए और बांध का जलस्तर जो २६२ मीटर पहुंच गया है, उसे २६० मीटर किया जाए। दूसरी ओर जिला प्रशासन ने आंदोलनकारियों की १६ मांगों में से १४ मांग को मान लिया है।
इससे पहले मंगलवार को करीब 100 लोगों ने पानी में खड़े रहकर धरना दिया। एनबीए (नर्मदा बचाओ आंदोलन) और प्रशासन की वार्ता का फिलहाल कोई हल नहीं निकला। मंगलवार को ही प्रशासन ने खरदना में अचानक धारा 144 लगा दी। वहीं दिन में धरना स्थल पर तैनात किए गए 500 से अधिक पुलिस बल को देर रात हटा लिया गया। लेकिन, फिर आज सुबह उन्हें भेजकर सत्याग्रहियों को बाहर निकालने का काम शुरू हो गया।
मंगलवार को जल सत्याग्रहियों को समर्थन करने के लिए एनबीए कार्यकर्ताओं के अलावा टीम अन्ना के सदस्य, कांग्रेस नेता और मानवाधिकार संगठन के लोग पहुंचे। एनबीए के चित्ररूपा, हिमांशु कुमार, टीम अन्ना के शरद पी। कुमरे, विपिन कोठारी, डॉ। रमेश बेलावल ने भी पानी में उतरकर सत्याग्रहियों के समर्थन में नारे लगाए। उन्होंने कहा कि एक ही तरह की परेशानियों में दो नियम नहीं हो सकते।
कलेक्टर सुदामा खाड़े, एसपी अनुराग, एसडीएम मंजूषा राय आदि ने आंदोलन कर्ताओं से कई दौर की बातचीत की लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला। सत्याग्रही इंदिरा सागर बांध का जलस्तर कम करने की मांग पर अड़े हुए थे वहीं प्रशासन का कहना था कि इस मांग के संबंध में वह कुछ नहीं कर सकते।
- इंदिरा सागर बांध का जलस्तर 262 मीटर के बजाय 260 मीटर किया जाए।
- खरदना के 16 परिवार डूब प्रभावितों में शामिल नहीं किए गए हैं जबकि उनके खेत व मकान डूब गए हैं। प्रशासन उन्हें शामिल करें।
- जमीन के बदले जमीन मिले और वह भी प्रति प्रभावित परिवार कम से कम 5 एकड़ सिंचित जमीन।
- उचित पुनर्वास हो।
प्रशासन का तर्क - जमीन के बदले जमीन, दोबारा सर्वे और उचित पुनर्वास के लिए शासन ने घोषणा कर दी है। दोबारा सर्वे का काम शुरू कर दिया गया है। यदि कोई परिवार छूटा है तो उसे शामिल कर लिया जाएगा।

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