बुधवार, 12 सितंबर 2012

भ्रष्टाचार रोकने वेब साईट की मदद


भ्रष्टाचार रोकने वेब साईट की मदद

(श्वेता यादव)

बंग्लुरू (साई)। केंद्रीय सचिवालय से लेकर प्रखंड मुख्यालय के दफ्तर तक भ्रष्टाचार के बोलबाले के बीच यह एक राहत भरी खबर की तरह है। बेंगलुरू की एक समाजसेवी संस्था द्वारा संचालित वेबसाइट आइपेडअब्राइव।कॉम की मदद से स्थानीय स्तर पर भ्रष्टाचार कम करने में बड़ी मदद मिली है।
महज एक साल पहले शुरू किये गये इस वेबसाइट पर समाचार लिखे जाने तक 20,747 लोगों ने रिश्वतखोरी से जुड़े अपने अनुभव साझा किये हैं। महज एक शहर से शुरू हुआ यह आंदोलन देश के 485 शहरों में फैल गया है। 11 लाख लोगों के इस साइट पर जाने से ही यह आंदोलन एक बड़ा रूप ले चुका है।
इस वेबसाइट की परिकल्पना के बारे में बताते हुए इसके सह-संस्थापक रमेश रामनाथन कहते हैं कि देश में जहां बड़े-बड़े घोटालों के खिलाफ लगातार आंदोलन हो रहे हैं, मगर सरकारी दफ्तरों में होने वाली छोटे स्तर की रिश्वतखोरी को रोकने के लिए कोई प्रयास नहीं हो रहा। हमारा यह प्रयास इसी तरह के भ्रष्टाचार की भयावहता को उजागर करने का एक प्रयास है।
इस वेबसाइट पर लोगों को स्थानीय स्तर के भ्रष्टाचार से जुड़े अपने अनुभवों को साझा करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। एक तो इन अनुभवों से हमें यह समझने में मदद मिलती है कि विभिन्न सरकारी सेवाओं के एवज में कितनी राशि अदा की जाती है और सामूहिक तौर पर यह किस हद तक देश को प्रभावित करता है। इसके साथ ही वेबसाइट पर भ्रष्टाचार को नकारने के अनुभवों को भी साझा किया जा रहा है और उन अनुभवों के आधार पर घूस मांगने वाले अधिकारियों को अंगूठा दिखाने की समझ तैयार करने की कोशिश की जा रही है।
इस वेबसाइट पर साझा अनुभवों के पढ़कर समझा जा सकता है कि राशन कार्ड बनवाने के लिए कितनी घूस दी जाती है और पासपोर्ट बनवाने के लिए लोगों ने कितने पैसे अदा किये। हाइटेक शहर के नाम से मशहूर बेंगलुरू शहर की प्रशासनिक व्यवस्था में इस वेबसाइट के कारण बड़ा बदलाव आया है।
रमेश रामनाथन बताते हैं कि सबसे पहले ड्राइविंग लाइसेंस जारी करने वाले विभाग के अधिकारी ने उनसे संपर्क किया। अधिकारी ने इस बात को लेकर शर्मिदगी का इजहार किया कि उनका विभाग घूस देने वालों की सूची में दूसरे नंबर पर है। पहला कदम उठाते हुए उन्होंने अपने विभाग के 20 अधिकारियों के खिलाफ कारण बताओ नोटिस जारी कर दिया।
जमीन रजिस्ट्री करने वाले विभाग ने भी इसी तरह रमेश से संपर्क कर अपने विभाग से भ्रष्टाचार मिटाने के काम में उनकी मदद मांगी। वे अब इन विभागों की मदद कर रहे हैं। इसके अलावा उन्होंने सरकार से इजाजत लेकर 30 सरकारी दफ्तरों में अपने पोस्टर लगाये हैं। इन पोस्टरों में एक नंबर प्रकाशित होता है, जिस पर लोग एसएमएस के जरिये सूचना दे सकते हैं कि फलां अधिकारी या कर्मचारी द्वारा उनसे रिश्वत की मांग की जा रही है। इस कदम से भी बड़े बदलाव की उम्मीद बंधी है।
भारत सरकार भी इस वेबसाइट के काम से प्रभावित है। बताया जा रहा है कि केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश उनके संपर्क में हैं और मनरेगा में भ्रष्टाचार की शिकायतों को खत्म करने के लिए उनकी मदद लेना चाहते हैं। यह वेबसाइट भारत के अलावा पाकिस्तान, केन्या, जिम्बाब्वे और इंडोनेशिया में भी इसी तरह का काम कर रही है।
फिलीपींस और मंगोलिया में बहुत जल्द अपना काम शुरू करने वाली है। इस काम को अंजाम देने वाले रमेश रामनाथन का जन्म 7 नवंबर, 1963 को कर्नाटक के रायलाचेरुवु गांव में हुआ। उनकी पढ़ाई-लिखाई बेंगलुरू में ही हुई। बाद में अमेरिका के येल यूनिवर्सिटी से एमबीए किया। 1998 तक उन्होंने सिटी बैंक के लिए लंदन और न्यूयार्क में काम किया। 1998 में भारत लौटे और अपनी पत्नी स्वाति के साथ मिलकर 2001 में जनाग्रह नामक एनजीओ की स्थापना की। यही संस्था जनाग्रह आइपेडअब्राइब।कॉम का भी संचालन करती है।

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