तब मनमोहन सिंह ने
किया था रिटेल में एफडीआई का विरोध
(विस्फोट डॉट काम)
नई दिल्ली (साई)।
इधर भले ही मनमोहन सिंह ममता बनर्जी को ष्निपटाकरष् मंत्रिमंडल विस्तार में व्यस्त
हो गये हों लेकिन उधर ममता का साइबर वार जारी है। अब ममता बनर्जी ने अपने फेसबुक
एकाउण्ट पर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की एक चिट्ठी सार्वजनिक की है। यह चिट्ठी
मनमोहन सिंह ने तब लिखी थी जब वे राज्यसभा में विपक्ष के नेता थे। फेडरेशन आफ
एसोसिएशन आफ महाराष्ट्र के सीटी सिंघवी को लिखी थी जिसमें मनमोहन सिंह ने कहा था
कि सरकार ने उन्हें भरोसा दिया है कि वह खुदरा व्यापार में विदेशी निवेशी को
निमंत्रण नहीं देगी।
21 दिसंबर 2002 को लिखी चिट्ठी
में मनमोहन सिंह ने सी टी सिंघवी को लिखा था कि श्श्6 दिसंबर को लिखे
आपके पत्र के जवाब में यह पत्र आपको लिख रहा हूं जो कि खुदरा में विदेशी निवेश से
संबंधित था। दो दिन पहले राज्यसभा में यह मामला उठाया गया था और वित्त मंत्री ने
हमें आश्वस्त किया है कि सरकार के पास खुदरा क्षेत्र में विदेशी निवेश लाने का कोई
प्रस्ताव नहीं है।ष्
मनमोहन सिंह की इसी
चिट्ठी बम को सरकार के माथे पर फेंकते हुए ममता बनर्जी ने 2004 में फेडरेशन आफ
एसोसिएशन आफ महाराष्ट्र के सिंघवी की वह चिट्ठी भी सार्वजनिक की है जो सिंघवी की
ओर से 2004 में
मनमोहन सिंह को लिखी गई थी। यह चिट्ठी जब मनमोहन सिंह को लिखी गई थी तब मनमोहन
सिंह प्रधानमंत्री बन चुके थे। 20 दिसंबर 2004 को सिंघवी द्वारा
लिखी चिट्ठी में मनमोहन सिंह को याद दिलाया गया है कि कैसे उन्होंने 2002 में मुलाकात और
पत्राचार के दौरान भूमंडलीकर की निंदा की थी और कहा था कि हमें इस तरह का विकास
नहीं चाहिए जो रोजगार पैदा करने की बजाय रोजगार को नष्ट करता हो।
सिंघवी ने अपनी इस
चिट्ठी में इस बात पर आश्चर्य जताया है कि मनमोहन सिंह सरकार का वित्त मंत्रालय
रिटेल ट्रेड में विदेशी पूंजी निवेश की संभावनाएं तलाश रहा है। 2004 में प्रधानमंत्री
मनमोहन सिंह को लिखी चिट्ठी में सिंघवी ने चिंता जताई है कि कैसे विदेशी रिटेल
स्टोर का संचालन करनेवाली कंपनियों के दलाल सरकार के मंत्रियों और आईएएस
अधिकारियों को प्रभावित करके देश के खुदरा बाजार में विदेशी निवेश लाने की तैयारी
कर रहे हैं। इस चिट्ठी में मनमोहन सिंह से उम्मीद जताई गई थी कि आपने पहले भी कहा
है कि खुदरा बाजार में विदेशी निवेश देश में रोजगार के लिहाज से घातक होगा इसलिए
हम आपसे उम्मीद करते हैं कि आप इस दिशा में उचित कार्रवाई करेंगे।
और आठ साल बाद
मनमोहन सिंह ने उचित कार्रवाई कर दिया। कभी खुद खुदरा बाजार में विदेशी निवेश का
विरोध करनेवाले मनमोहन सिंह ने खुदरा बाजार में 51 फीसदी विदेशी
निवेश न सिर्फ इजाजत दे दी बल्कि इसे जायज ठहराने के लिए देश को संबोधित भी कर
दिया।
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