आइये जाने शुभ
मुहूर्त की प्रासंगिकता, आवश्यकता
(पंडित दयानन्द शास्त्री)
नई दिल्ली (साई)।
समय और ग्रहों का शुभाशुभ प्रभाव जड़ और चेतन सभी प्रकार के पदार्थों पर पड़ता है।
वही समय छः ऋतुओं के रूप में सामने आता है। प्राकृतिक उत्पातों का भी उन्हीं
ग्रहों, नक्षत्रों
से बहुत गहरा संबंध है। आवश्यकता है उनके शुभाशुभ प्रभाव के लिए उनके विभिन्न योग
संयोग आदि को जानने की। अथर्व वेद जैसे हमारे आदि ग्रंथों में भी शुभ काल के बारे
में अनेक निर्देश प्राप्त होते हैं जो जीवन के समस्त पक्षों की शुभता सुनिश्चित
करते हैं। श्श्वर्ष मासो दिनं लग्नं मुहूर्तश्चेति पञ्चकम्। कालस्यांगानि मुखयानि
प्रबलान्युत्तरोतरम्घ् लग्नं दिनभवं हन्ति मुहूर्तः सर्वदूषणम्। तस्मात् शुद्धि
मुहूर्तस्य सर्व कार्येषु शस्यतेघ्श्श् श्श्वर्ष का दोष श्रेष्ठ मास हर लेता है, मास का दोष श्रेष्ठ
दिन हरता है, दिन का दोष
श्रेष्ठ लग्न व लग्न का दोष श्रेष्ठ मुहूर्त हर लेता है, अर्थात मुहूर्त
श्रेष्ठ होने पर वर्ष, मास, दिन व लग्न के समस्त दोष समाप्त हो जाते हैं।श्श् इस संसार
में समय के अनुरूप प्रयत्न करने पर ही सफलता प्राप्त होती है और समय अनुकूल और शुभ
होने पर सफलता शत-प्रतिशत प्राप्त होती है जबकि समय प्रतिकूल और अशुभ होने से
सफलता प्राप्त होना असंभव होता है। कहते
हैं किसी भी वस्तु या कार्य को प्रारंभ करने में मुहूर्त देखा जाता है, जिससे मन को बड़ा
सुकून मिलता है। हम कोई भी बंगला या भवन निर्मित करें या कोई व्यवसाय करने हेतु
कोई सुंदर और भव्य इमारत बनाएं तो सर्वप्रथम हमें श्मुहूर्तश् को प्राथमिकता देनी
होगी।
शुभ तिथि, वार, माह व नक्षत्रों
में कोई इमारत बनाना प्रारंभ करने से न केवल किसी भी परिवार को आर्थिक, सामाजिक, मानसिक व शारीरिक
फायदे मिलते हैं वरन उस परिवार के सदस्यों में सुख-शांति व स्वास्थ्य की प्राप्ति
भी होती है।
यहां शुभ वार, शुभ महीना, शुभ तिथि, शुभ नक्षत्र भवन निर्मित
करते समय इस प्रकार से देखे जाने चाहिए ताकि निर्विघ्न, कोई भी कार्य
संपादित हो सके।
अगर आप भी इसी
महीने (जून,2012 में)अपने
घर में शुभ काम करवाने जा रहे हैं, तो हो सकता है आपको पंडित जी न मिले। या फिर
वह आपसे दोगुनी फीस की डिमांड करें। दरअसल, हिंदू धर्म के अनुसार, 30 जून को तारा डूब
रहा है। इसके बाद कोई भी शुभ काम नहीं होता है। ऐसे में लोग इन दिनों जल्दी से
जल्दी अपने काम निपटाने में लगे हुए हैं। चाहे घर का मुहूर्त हो, नई गाड़ी खरीदनी हो
या फिर लड़की देखने जाना हो। तारा करीब एक महीने के लिए हर साल डूबता है।
एक महीने तक नहीं
होते शुभ कार्य
पंडितों का मानना
है कि तारा डूबते के साथ ही देवता एक महीने के लिए गहरी नींद में सो जाते हैं। जो
नवंबर में देव उठनी एकादशी के बाद ही जागते हैं। इस दौरान एक माह तक कोई भी शुभ
कार्य नहीं होता। ऐसे में इन दिनों पंडितों की शहर में जबर्दस्त डिमांड चल रही है।
पंडितों के अनुसार,
सबसे अधिक घर के मुहूर्त ओर नई गाड़ियों के पूजन के लिए लोग
बुला रहे हैं। घरों के अलावा नई दुकानों व नए कारोबार के लिए भी डिमांड हो रही है।
कई पंडित तो पूजा के लिए दिल्ली तक जा रहे हैं। मान्यता है कि जब तारा डूबता हैं
तो उस दौरान शादी,
सोना खरीदना, रिश्ता तय करना, नया कारोबार करना
और घर बनवाने जैसे शुभ काम नहीं होते हैं। घंटेश्वर मंदिर के मैनेजर सुभाष शर्मा
का कहना है कि 30 जून से
तारा डूब रहा है। ऐसे में अधिकांश लोग अभी अपने जरूरी काम करवा रहे हैं। उन्होंने
बताया कि हमारे पंडित जी भी दिन में चार से पांच जगहों पर शुभ कार्य के लिए जा रहे
हैं।
एक ही दिन में कई
घरों से बुलावा ----
इसी तरह महालक्ष्मी
गार्डन के पंडित जी विशंभर शर्मा का कहना है कि इन दिनों लोग नए घर , नए कारोबारऔर नई
दुकान के मुहूर्त के लिए अधिक बुला रहे हैं। कई लोग तो मन मांगी दक्षिणा देकर
बुलाते हैं लेकिन एकदिन में सबके यहां पूजा के लिए नहीं जाया जा सकता। पूजा में
समय लगता है , इसलिए कई
लोगों को मायूसहोना पड़ रहा है।
शुभ मुहूर्त: जानिए
घर में कब करवाएं वास्तु शांति के लिए पूजा----
कहते हैं किसी भी
वस्तु या कार्य को प्रारंभ करने में मुहूर्त देखा जाता है, जिससे मन को बड़ा
सुकून मिलता है. हम कोई भी बंगला या भवन निर्मित करें या कोई व्यवसाय करने हेतु
कोई सुंदर और भव्य इमारत बनाएं तो सर्वप्रथम हमें “मुहूर्त“ को प्राथमिकता देनी
होगी.
शुभ तिथि, वार, माह व नक्षत्रों
में कोई इमारत बनाना प्रारंभ करने से न केवल किसी भी परिवार को आर्थिक, सामाजिक, मानसिक व शारीरिक
फायदे मिलते हैं..वरन उस परिवार के सदस्यों में सुख-शांति व स्वास्थ्य की प्राप्ति
भी होती है.यहां शुभ वार, शुभ महीना, शुभ तिथि, शुभ नक्षत्र भवन
निर्मित करते समय इस प्रकार से देखे जाने चाहिए ताकि निर्विघ्न, कोई भी कार्य
संपादित हो सके. नए घर में प्रवेश से पूर्व वास्तु शांति अर्थात यज्ञादि धार्मिक
कार्य अवश्य करवाने चाहिए। वास्तु शांति कराने से भवन की नकारात्मक ऊर्जा समाप्त
हो जाती है और घर शुभ प्रभाव देने लगता
है। इससे जीवन में खुशी व सुख-समृद्धि आती है। वास्तु शास्त्र के अनुसार मंगलाचरण
सहित वाद्य ध्वनि करते हुए कुलदेव की पूजा व अग्रजों का सम्मान करके व ब्राह्मणों
को प्रसन्न करके गृह प्रवेश करना चाहिए।
जब आप घर का निर्माण पूर्ण कर ले तो प्रवेश के समय वास्तु शांति की वैदिक
प्रक्रिया अवश्य करनी चहिये और फिर उसके बाद 5 ब्रह्मण,9 कन्या और तीन
वृद्ध को आमंत्रित कर उनका स्वागत सत्कार करे द्य नवीन भवन में तुलसी का पौधा
स्थापित करना शुभ होता है। बिना द्वार व छत रहित, वास्तु शांति के
बिना व ब्राह्मण भोजन कराए बिना गृह प्रवेश पूर्णतरू वर्जित माना गया है। शुभ
मुहूर्त में सपरिवार व परिजनों के साथ मंगलगान करते हुए और मंगल वाध्य यंत्रो शंख
आदि की मंगल ध्वनि तथा वेड मंत्रो के उच्चारण के साथ प्रवेश करना चहिये द्य आप को
सभी कष्टों से मुक्ति मिलेगी द्य नया घर बनाने के पश्चात जब उसमें रहने हेतु
प्रवेश किया जाता है तो उसे नूतन गृह प्रवेश कहते हैं। नूतन गृह प्रवेश करते समय
शुभ नक्षत्र, वार, तिथि और लग्न का
विशेष ध्यान रखना चाहिए और ऐसे समय में जातक सकुटुम्ब वास्तु शांति की प्रक्रिया
योग्य ब्राह्मणों द्वारा संपन्न करवाए तो उसे
सम्पूर्ण लाभ मिलता है। (साई फीचर्स)
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