बर्फबारी ने
पर्यटकों को लुभाया
(रीता वर्मा)
शिमला (साई)।
हिमाचल प्रदेश के मशहूर पर्यटन स्थलों शिमला, मनाली और डलहौजी में कल इस मौसम का पहला
हिमपात हुआ। राज्य के ऊपरी इलाकों में भारी हिमपात के कारण कड़ाके की ठण्ड पड़ रही
है।कश्मीर घाटी में भी गुलमर्ग और शोपियां में बर्फबारी हुई जबकि श्रीनगर और
अनंतनाग जिलों में बारिश हुई।उत्तराखंड में गढ़वाल और कुमाऊ क्षेत्रों के ऊपरी
इलाकों में फिर हिमपात हुआ है। राज्य के
कई हिस्सों में बारिश के कारण तापमान सामान्य से तीन-चार डिग्री सेल्सियस कम हो
गया है।उत्तर भारत के अन्य इलाकों में भी बारिश के कारण सर्दी बढ़ गई है। दिल्ली
में हल्की बारिश से दिन का तापमान नौ डिग्री सेल्सियस गिर गया।
प्रदेश में लंबे
समय से बर्फबारी का इंतजार कर रहे बागवानों की उम्मीद जगी है। मंगलवार को ऊंचे व
मध्यम क्षेत्रों में हल्की बर्फबारी शुरू होने से बागवानों को सेब के पौधों में
लगने वाले रोगों से निजात मिलने की संभावना भी बनी है। सर्दियों के मौसम में सेब
के पौधों को लगने वाले रोगों की बर्फबारी न होने से प्रबल संभावना बढ़ जाती है। सेब
के पौधों में केंकर व वुली एफिड जैसे रोग नुकसान पहुंचाते हैं। हालांकि इसकी
रोकथाम के लिए फफूंदी नाशक दवा भी उपलब्ध है। इनका छिड़काव करने से कुछ समय के लिए
इन रोगों की रोकथाम हो जाती है। वातावरण में नमी की कमी व सूखा बढ़ने से फफूंदी
नाशक रोग फिर से पौधों को अपनी जकड़ में ले लेता है। केंकर रोग से पौधों के तनों की
बाहरी खाल निकलनी शुरू हो जाती है, जिससे पौधों के तने में दरारे पड़नी शुरू हो
जाती है। धीरे-धीरे पौधा सूखने की कगार पर चला जाता है। पौधों के तनों में सफेद
चूने का लेप लगाकर इस रोग की रोकथाम की जा सकती है।
वहीं जानकारों का
कहना है कि पौधों में वुली एफिड एक संक्रमक बीमारी है। इसमें छोटे-छोटे कीड़े पौधों
के तनों में रूई की तरह जाल तैयार करते हैं और खुश्क मौसम में अंडों से कीट लगातार
तैयार होते रहते हैं। इस रोग से पौधों की आयु अवस्था धीरे-धीरे कम होती रहती है।
पौधों से पैदा होने वाली सेब की फसल पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है हालांकि इस रोग
की रोकथाम के लिए फफूंदी नाशक दवा भी उपलब्ध है, मगर इस पर पूरी तरह
से रोकथाम के लिए सर्दी के मौसम में बर्फ का गिरना जरूरी है। बागवानी विशेषज्ञ का
भी मानना है कि वुली एफिड रोग की रोकथाम के लिए बर्फबारी आवश्यक है। बर्फ गिरने से
बागवानी के रुके कार्य को भी बागवान शुरू कर पाएंगे। पौधों में तौलिए के अलावा खाद
डालने का कार्य भी बर्फबारी के बाद ही शुरू करना बागवानों के लिए लाभकारी रहता है।
एक जानकार ने
समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया से चर्चा के दौरान कहा कि वुली एफिड जैसी संक्रमक बीमारी
सेब के पौधों को नुकसान पहुंचाती है। इस रोग से निदान पाने के लिए सर्दी के मौसम
में बर्फ का गिरना बहुत जरूरी है। हालांकि रोग की रोकथाम के लिए फफूंदी नाशक दवा
का छिड़काव भी उपलब्ध है। इस रोग से पौधों के तनों में रूईदार जाली बनने से इसके
भीतर लगातार कीट बनते रहते हैं। सेब का तना बर्फ से ढकने के बाद ये कीट लगातार ठंड
के कारण फिर से उत्पन्न फिर से उत्पन्न नहीं हो पाते, जिससे इस रोग से
निजात मिलने में सहायता मिलती है।
शिमला के नजदीकी
पर्यटन स्थलों- कुफरी, फागु और नरकंडा में बर्फबारी ने यहां आने वाले पर्यटकों की
संख्या में भी इजाफा कर दिया है। मौसम विभाग के अधिकारी ने बताया कि लाहौल और
स्पीति, किन्नौर, कुल्लू, शिमला और चंबा
जिलों के उंचाई वाले क्षेत्रों में औसत दर्जे की बर्फबारी होने की खबरें हैं। वहीं
राज्य के कम उंचाई वाले क्षेत्र धर्मशाला, पालमपुर, सोलन, नाहन, चंबा और मंडी में
बारिश के कारण तापमान में गिरावट आई है। अधिकारी ने बताया कि प्रदेश भर के मध्यम
और ऊंचाई वाले क्षेत्रों में 13 और 14 दिसंबर को भारी बारिश और बर्फबारी की
संभावना है।
वहीं, शिमला में बर्फबारी
ने होटल मालिकों के चेहरे पर मुस्कान ला दी है। उत्तराखंड के ऊंचाई वाले इलाकों
में जोरदार बर्फबारी होने से कई इलाकों में बर्फ की सफेद चादर बिछ गई है। बदरीनाथ, केदारनाथ समेत
ऊंचाई वाले कई जगह बर्फ से ढक गए हैं। मंगलवार सुबह से ही अचानक मौसम में आए बदलाव
के कारण ऊंची चोटियां बर्फ से सफेद हो गईं, जबकि कुछ जगह पर लंबे समय बाद हल्की बारिश
हुई। बर्फ और बारिश से यहां कड़ाके की सर्दी पड़ रही है। वहीं, मौसम में परिवर्तन
से किसानों और पर्यटन व्यवसायियों के चेहरे खिल गए है। औली में स्कीईंग कारोबार से
जुड़े व्यवसायियों को आशा है कि इस बार जमकर बर्फ गिरने से टूरिस्टों की आमद बढ़ने
से व्यवसाय में इजाफा होगा। फल उत्पादक काश्तकार भी समय पर बर्फ गिरने से सेब के
बेहतर उत्पादन को लेकर आशावान हैं। उत्तराखंड में लंबे समय बाद बर्फ और बारिश हो
रही है।
चंडीगढ़ से समाचार
एजेंसी ऑफ इंडिया के ब्यूरो से विक्की आनंद ने बताया कि पंजाब और हरियाणा के
विभिन्न इलाकों में मंगलवार को बारिश की फुहारें पड़ीं। न्यूनतम तापमान में भी
बढ़ोतरी दर्ज की गई। पिछले कई दिन से चंडीगढ़ में धूप खिलने के बाद मंगलवार सुबह
वहां के निवासियों का सामना बारिश की हल्की फुहारों से हुआ। न्यूनतम तापमान में
सामान्य से पांच अंक की बढ़ोतरी हुई और यह बढ़कर 11 ़ 8 डिग्री सेल्सियस हो गया।
पंजाब में मोहाली ,
लुधियाना और पटियाला में भी बारिश हुई। पटियाला में न्यूनतम
तापमान 10 ़ 7 डिग्री और अमृतसर व लुधियाना दोनों जगह नौ डिग्री रहा। हरियाणा के
हिसार में न्यूनतम तापमान 12.6 डिग्री , अंबाला में 10 ़ 6 डिग्री और करनाल में 8.2
डिग्री रहा। भिवानी में न्यूनतम तापमान 13.6 डिग्री सेल्सियस रहा। हरियाणा के
अंबाला , भिवानी , हिसार , करनाल और पंचकुला
समेत अन्य स्थानों पर मंगलवार को बारिश भी हुई। मौसम विभाग ने बताया कि पश्चिमी
विक्षोभ के कारण मौसम में यह बदलाव आया है।
वहीं उत्तर प्रदेश
से समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया ब्यूरो से दीपांकर श्रीवास्तव ने बताया कि उत्तर
प्रदेश की राजधानी लखनऊ और उसके आसपास के जिलों में पिछले कुछ दिनों से चल रही
पछुआ हवाओं की वजह से तापमान में उतार - चढाव का दौर जारी है। मौसम विभाग के
मुताबिक आने वाले समय में तापमान में कोई खास बदलाव होने की उम्मीद नहीं है। उत्तर
प्रदेश मौसम विभाग के अधिकारियों ने बताया कि पछुआ हवाओं की वजह से मैदानी इलाकों
में सर्दी बढ़ गई है। आने वाले समय में हवाएं चलेंगी और तापमान में उतार - चढाव नजर
आएगा। मौसम विभाग के अनुसार , सोमवार को राजधानी का अधिकतम तापमान 27
डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम तापमान आठ डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया , जबकि मंगलवार को
अधिकतम तापमान 27.4 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम तापमान आठ डिग्री सेल्सियस रहा।
मध्य प्रदेश से
समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया के ब्यूरो से सोनल सूर्यवंशी ने बताया कि मध्य प्रदेश के
सिवनी जिले में बीते दिन दोपहर में एक से डेढ़ पाव के ओले गिरे जिससे फसल पूरी तरह
चौपट होने की संभावनाएं जताई जा रही है।
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