पांच दर्जन मरीजों
की गई रोशनी
(आंचल झा)
रायपुर (साई)।
छत्तीगढ़ राज्य में स्वास्थ्य सुविधाएं किस कदर पटरी से उतरी हुई हैं कि राज्य में
मोतियाबिंद आपरेशन के दौरान लगभग पांच दर्जन मरीजों की आंखों की ही रोशनी चली गई।
यह बात राज्य विधानसभा में कांग्रेस के विधायक धर्मजीत सिंह के सवाल के जवाब में
राज्य के स्वास्थ्य मंत्री अमर अग्रवाल ने बताया कि छत्तीसगढ के दुर्ग, बालोद और महासमुंद
जिले में नेत्र शिविर में मोतियाबिंद आपरेशन के दौरान 62 मरीजों ने अपनी आंख की
रोशनी खोई हैं
अग्रवाल ने बताया
कि नेत्र शिविरों में मोतियाबिंद के आपरेशन के दौरान बालोद जिले में 44 मरीजों ने, दुर्ग जिले में चार
मरीजों ने तथा महासमुंद जिले में 14 मरीजों ने आंखों की रोशनी खोई है। उन्होंने
बताया कि बालोद नेत्र शिविर में संक्रमण की जांच दुर्ग जिले के कलेक्टर ने किया था
तथा जांच प्रतिवेदन 17 अक्टूबर वर्ष 2011 में प्रस्तुत किया गया। प्रारंभिक जांच
में पाया गया कि आपरेशन कक्ष को किटाणु रहित नहीं किया गया था।
मंत्री ने बताया कि
दुर्ग जिले में नेत्र संक्रमण की जांच के लिए स्वास्थ्य विभाग के संयुक्त संचालक
को जांच अधिकारी नियुक्त किया गया। जांच अधिकारी ने आठ मई वर्ष 2012 को जांच
प्रतिवेदन प्रस्तुत किया। प्रारंभिक जांच में नेत्र आपरेशन के दौरान प्रोटोकाल का
पालन नहीं किया जाना पाया गया। इसी तरह महासमुंद जिले के बागबहरा कस्बे में भी
नेत्र आपरेशन के दौरान प्रोटोकाल का पालन नहीं किया जाना पाया गया है।
अग्रवाल ने बताया
कि बागबहरा नेत्र शिविर में लापरवाही बरतने के कारण राज्य शासन ने मुख्य चिकित्सा
एवं स्वास्थ्य अधिकारी महासमुंद, नेत्र सर्जन, नेत्र सहायक
अधिकारी समेत चार लोगों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की है। उन्होंने बताया कि
राज्य शासन ने बालोद नेत्र संक्रमण की जांच में दोषी पाए जाने पर पांच चिकित्सकों
समेत नौ लोगों को निलंबित किया है।
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