0 रिजर्व फारेस्ट
में कैसे बन रहा पावर प्लांट . . . 04
पीसीबी ने रातों
रात बदल दिया कार्यकारी संक्षेप
(एस.के.खरे)
सिवनी (साई)। मध्य
प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण मण्डल अब मध्य प्रदेश सरकार की मिल्कियत न होकर अब वह
मशहूर उद्योगपति गौतम थापर के आवंथा समूह की संपत्ति हो गया है। जी हां, हालात देखकर तो यही
लगने लगा है कि एमपीपीसीबी अब आवंथा समूह के सहयोगी प्रतिष्ठान मेसर्स झाबुआ पावर
लिमिटेड के हित साधने के लिए नियमों को भी बलाए ताक रखने से गुरेज नहीं कर रहा है।
एमपीपीसीबी की वेब साईट झाबुआ पावर लिमिटेड के लिए मनचाहे बदलाव सहजता से करती जा
रही है।
गौरतलब है कि झाबुआ
पावर द्वारा केंद्र सरकार की छटवीं सूची में अधिसूचित आदिवासी विकासखण्ड घंसौर के
ग्राम बरेला में कोल आधारित पावर प्लांट की स्थापना करने जा रहा है। इसके प्रथम
चरण की लोक सुनवाई मण्डल के क्षेत्रीय कार्यालय जबलपुर के अधिकारियों की उपस्थिति
में 22 अगस्त 2009 को एवं दूसरे चरण की लोक सुनवाई 22 नवंबर 2011 को घंसौर तहसील
के ग्राम गोरखपुर में संपन्न हुई।
इन दोनों ही
लोकसुनवाई में नियम कायदों को बलाए ताक रखने के आरोप मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण
मण्डल पर लगे। मण्डल ने अपनी वेब साईट पर दूसरी लोक सुनवाई की जानकारी ही नहीं
डाली। इस लिहाज से 22 नवंबर 11 को हुई लोकसुनवाई शून्य ही मानी जा सकती है। इसके
अलावा उस वक्त झाबुआ पावर की ओर से डाला गया कार्यकारी सारांश 600 मेगावाट का वही
पुराना था जो प्रथम चरण के लिए डाला गया था।
जब इस मामले को
मीडिया के माध्यम से अधिकारियों के संज्ञान में लाया गया तो पता नहीं कैसे और
किसके कहने पर अचानक ही लोकसुनवाई के दूसरे दिन 23 नवंबर को लोकसुनवाई की तिथि 22 नवंबर
डाल दी गई। अर्थात लोकसुनवाई के दूसरे दिन मुनादी पीटी जा रही है कि कल लोकसुनवाई
हो चुकी है जिसे आपत्ति करना हो कल जाकर कर लेता! यहीं पीसीबी का जादू और गौतम
थापर की चरण वंदना प्रदूषण नियंत्रण मण्डल द्वारा समाप्त नहीं होती है।
कहा जा रहा है कि
6400 करोड़ रूपयों की लागत से बनने वाले झाबुआ पावर लिमिटेड के इस संयंत्र के ट्रबल
शूटर्स जिसमें छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से कार्यालय संचालित करने वाले प्रमुख
बताए जा रहे हैं के द्वारा मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण मण्डल को पूरी तरह साध
लिया गया है। इसके लिए दस अंकों में राशि के आदान प्रदान की चर्चाएं भी जोरों पर
हैं। इन चर्चाओं में कितनी सच्चाई है यह बात तो कंपनी के कारिंदे या पीसीबी के
मुलाजिम ही जाने पर वेब साईट पर की गई छेड़छाड़ से इन चर्चाओं को बल अवश्य ही मिलता
है। उधर दूसरी ओर प्रदूषण नियंत्रण के लिए जिम्मेदार मध्य प्रदेश सरकार का एक
विभाग इन दिनों मशहूर उद्योगपति गौतम थापर की देहरी पर मुजरा करता नजर आ रहा है।
मजे की बात तो यह
है कि प्रदूषण नियंत्रण मण्डल की वेब साईट पर जनसुनवाई के तीसरे चरण में 352 नंबर
पर अंकित मेसर्स झाबुआ पावर लिमिटेड के द्वारा घंसौर में संस्थापित होने वाले पावर
प्लांट के दूसरे चरण के लिए डाला गया कार्यकारी सारांश रातों रात बदलकर 600 के
बजाए अब 660 का कर दिया गया है। इसकी इबारत के आरंभ में अब कार्यकारी सारांश को
कार्यकारिणी संक्षेप दर्शा दिया गया है।
(क्रमशः जारी)
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