सोमवार, 4 मार्च 2013

बीबी यानी राहुल!


सोमवार 04 मार्च को प्रकाशनार्थ

ये है दिल्ली मेरी जान

(लिमटी खरे)

बीबी यानी राहुल!
कांग्रेस के अंदर एक बात की चर्चा अब तेज हो गई है, कि अगली पंक्ति वाले नेताओं में कमजोर कड़ी कौन है? कांग्रेस में अनेक नेता अब उमर दराज हो चुके हैं और उन्हें अनिवार्य सेवानिवृति की वकालत दबी जुबान से होने लगी है। इन परिस्थितियों में जब युवा तुर्क राहुल गांधी को पार्टी का उपाध्यक्ष बनाया गया तब कांग्रेसियों का उत्साह चरम पर था। जैसे ही लोकसभा का बजट सत्र आरंभ हुआ कांग्रेस के नेताओं के चहरों की हवाईयां उड़ने लगीं। दरअसल, बजट सत्र में उम्मीद की जा रही थी कि राहुल गांधी अगली पंक्ति में बैठकर सदन की कार्यवाही में अपनी सक्रिय भागीदारी दिखाएंगे, वस्तुतः एसा हुआ नहीं। राहुल गांधी पिछली सीट पर ही मौन व्रत धारित किए हुए बैठे रहे। सदन में राहुल गांधी को पीछे की सीट पर बैठा देखकर कांग्रेस के मंत्री ही आपस में उन्हें फुसफसाकर बीबी (बैक बैंचर) कहते पाए गए। बीबी को कांग्रेस के नेता कमजोर कड़ी भी मान रहे हैं।

अलजाईमर के चपेट में शिंदे!
क्या देश के गृह मंत्री ढलती आयु के कारण अलजाईमर यानी भूलने वाली बीमारी की चपेट में हैं? कुछ वाक्ये एसे हुए जिनसे लगने लगा है कि उन्हें अब सेवानिवृत हो जाना चाहिए। उनके करीबी सूत्रों का कहना है कि पिछले दिनों मशहूर उद्योगपति गौतम थापर अपने एक संयंत्र में होने वाली परेशानियों के कारण उनसे मिलने पहुंचे। जब वे शिंदे जी के पास गए उसके पहले फोन पर उनकी बात हो गई थी। वहां पहुंचते ही शिंदे जी ने उन्हें देखा और अपनी गाड़ी से वहां से रवाना हो गए। बेचारे थापर देखते ही रह गए। इसके बाद हाल ही में महाराष्ट्र के भण्डारा में बलात्कार पीडिता का नाम सदन में ले लिया शिंदे ने। सभी भोंचक्क थे, कानूनन बलात्कार पीडिता का नाम या पहचान उजागर नहीं की जा सकती है। पर देश के गृह मंत्री ठहरे शिंदे सो उन्होंने ले लिया बलात्कार पीडिता का नाम! सही है समरथ को नहीं दोष गोसाईं।

परिवार है बंसल के लिए रेल मंत्रालय!
सही कहा है किसी ने कि अगर कोई काम को सटीक अंजाम देना है तो अपने कार्यस्थल पर सहयोगियों को अपने परिवार का अंग समझना चाहिए। भारत गणराज्य के रेल मंत्री भी अपने मंत्रालय में कमोबेश इसी को मूल मंत्र बनाकर काम कर रहे हैं। रेल मंत्री पवन बंसल के मंत्रालय में उनके परिवारवालों का ही राज स्थापित हो गया है। कभी किसी को कोई काम करवाना है तो रेल विभाग में ओएसडी पद पर पदस्थ आईपीएस विठ्ठल कुमार जो कि बंसल के दमाद हैं से संपर्क करने कहा जाता है। चंडीगढ़ में बंसल के निज सचिव भी उनके रिश्तेदार ही हैं। रेल भवन में कहा जाता है कि अगर आप पवन बंसल के रिश्तेदार हैं तो समझ लीजिए आप भी रेल मंत्रालय के दमाद हो सकते हैं। मंत्रालय में आपकी आवभगत मंत्री के समान ही होगी तथा आपका कोई काम रूकने वाला नहीं है।

सुरापान ना करना वरना!
भले ही कांग्रेस के मंत्री आए दिन पत्रकारों को शराब कबाब की दावतें दे रहे हों पर, कांग्रेस में शीर्ष स्तर पर अब सुरापान से बचने की सलाह दी जा रही है। दरअसल, यह आरंभ हुआ जयपुर चिंतन शिविर से। सुबह नौ बजे जब इस चिंतन शिविर में सोनिया, राहुल और मनमोहन सिंह का इंतजार हो रहा था तब सारे नेता मंत्री लाईन से खड़े होकर उनकी आगवानी के लिए तैयार थे। इसी बीच सोनिया के आने के एन पहले एक माननीय मंत्री जी आए और सबसे किनारे जाकर खड़े हो गए। उनके मुंह से आती शराब की तीखी दुर्गंध के कारण आसपास के नेता वहां से हट गए। बाद में इसकी शिकायत सोनिया गांधी के राजनैतिक सचिव अहमद पटेल से की गई। अहमद पटेल मुसलमान हैं और शराब से उन्हें सख्त नफरत है, इसलिए अब इस मामले में वे ज्यादा संजीदा नजर आ रहे हैं। बचके रहना रे दरूओं बच के रहना रे!

फिर पर्दा डालने की जुगत में कांग्रेस!
हेलीकाप्टर घोटाले में बोफोर्स घोटाले के मानिंद ही पर्दा डालने का प्रयास कर रही है कांग्रेस। उस समय से अब हालात काफी हद तक बदले हुए हैं। उस समय का मीडिया सिर्फ प्रिंट के भरोसे था, पर अब न्यूज चेनल्स चौबीसों घंटे किसी ना किसी मामले को जिंदा रखने का प्रयास करते हैं। अगर चेनल और प्रिंट सेट भी हो जाए तो वेब मीडिया और सोशल मीडिया ने अपनी दमदार उपस्थिति दर्ज कराई है जिससे निपटना बहुत मुश्किल है। अगर विपक्ष सेट भी हो जाता है तो अब परिस्थितियां भिन्न हैं तब राजीव गांधी के पास चार सौ सांसदों का बल था अब उनकी बेवा सोनिया गांधी के हाथों अप्रत्यक्ष कमान है सरकार की पर संख्याबल में सरकार कमजोर है। इसलिए सहयोगी दलों के साथ ही साथ उसे विपक्ष की ब्लेकमेलिंग का शिकार भी होना पड़ेगा। दोनों ही मामलों में मुद्दा सोनिया के पीहर इटली से जुड़ा है अतः देश की नजरें इस पर होना स्वाभाविक ही है।

अश्विनी ने काटा विवेक का पत्ता!
मृदुभाषी, काननूविद विवेक तन्खा को सालीसिटर जनरल बनाने की राह में कानून मंत्री अश्विनी कुमार ने रोढ़ा अटका दिया। मूलतः मध्य प्रदेश की संस्कारधानी जबलपुर के निवासी विवेक तन्खा मध्य प्रदेश कांग्रेस के पूर्व वित्त मंत्री कर्नल अजय नारायण मुशरान के दमाद हैं। विवेक तन्खा पूर्व में एडीशनल सालीसिटर जनरल भी रहे हैं। कानूनविद विवेक तन्खा का स्वभाव मददगार होने के कारण सभी चाह रहे थे कि वे ही इस पद पर काबिज हों। उधर, कानून मंत्री अश्विनी कुमार के मन में मोहन पारासरन को इस पद पर बिठाने की चाहत कुलांचे भर रही थी। पारासरन के पिता के.पारासरन पूर्व में देश के अटर्नी जनरल और राज्य सभा सदस्य रहे हैं बताते हैं कि अश्विनी कुमार ने पारासरन के लिए लाबिंग की और अहमद पटेल तथा सोनिया गांधी को इसके लिए राजी करने का प्रयास किया। अंततः सोनिया गांधी को राजी करने में कामयाब रहे अश्विनी और दिग्विजय सिंह, कमल नाथ, सुरेश पचौरी के चाहते हुए थी विवेक तन्खा नहीं बन पाए सालीसिटर जनरल।

हमाम में सब ही नंगे हैं!
हेलीकाप्टर डील में एक के बाद एक प्याज की परतें अलग होती दिख रही हैं। कांग्रेस तो इस डील में लपेटे मे है ही, अब इसकी आंच भाजपा के साथ ही साथ मीडिया को भी झुलसाती दिख रही है। बताते हैं कि भाजपा के चंद आला नेता भी इटेलियन कंपनियों के सरपरस्त बने हुए हैं। इसके साथ ही साथ मीडिया से जुड़ी हस्तियां भी इस डील के लिए लाबिंग करती दिखी हैं। जानकारों का कहना है कि रक्षा सौदों में एक पूरा का पूरा नेटवर्क काम करता है जिसमें सेना के सेवानिवृत अफसर, दलालनुमा नेता, शुरूआत में पैसा लगाने वाले व्यवसाई और दलालनुमा पत्रकार इसके अंग होते हैं। अण्णा हजारे केम्प से जुड़े पूर्व आर्मी चीफ जनरल विजय कुमार सिंह पहले ही इस बात की ओर इशारा कर चुके हैं कि दिल्ली के एक अंग्रेजी अखबार के संपादक उनसे कई बार मिलने का समय मांग चुके थे जब वे सेवा में थे, मतलब साफ है कि इस डील में मीडिया के हाथ भी काले करने का पुख्ता इंतजाम किया गया था।

जमीनी हकीकत से युवराज के हाथ पांव फूले!
कांग्रेस के उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने प्रदेश के कांग्रेस अध्यक्षों और विधायक दल के नेताओं के साथ बैठक क्या की, उनके हाथ पांव फूल गए। मध्य प्रदेश के निजाम कांतिलाल भूरिया ने केंद्रीय मंत्री कमल नाथ और ज्योतिरादित्य सिंधिया के असहयोग, दिल्ली में शीला दीक्षित और जयप्रकाश अग्रवाल ने एक दूसरे पर असहयोग और मनमानी के आरोप जड़ दिए। छत्तीसगढ़ के नंद कुमार पटेल और रविंद्र चौबे ने केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश और पलनिअप्पम चिदंबरम पर आरोप लगाया कि वे छग आते हैं और भाजपा की तारीफों में कसीदे गढ़ जाते हैं। एमपी में भूरिया ने सिंधिया और नाथ पर भाजपा से सांठगांठ का आरोप लगा दिया। आंध्रा में किरण कुमार रेड्डी को असफल करार दिया गया। मीडिया में जब ये बातें सुर्खियां बढ़ी तो राहुल गांधी की पेशानी पर पसीने की बूंदे छलक आईं। जब जमीनी हकीकत इतनी भयावह है तो भला वे पीएम कैसे बन पाएंगे?

सरकार की किरकिरी करा रहे शिंदे जी!
केद्रीय गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे इस समय बुरी तरह से समस्याओं से घिरे नजर आ रहे हैं। भगवा आतंकवाद के उनके बयान के उपरांत उन्होंने खेद प्रकट किया या माफी मांगी इस बारे में वे ही बेहतर बता सकते हैं, किन्तु तेलंगाना के संबंध में पत्रकारों से जब वे मुखातिब हुए तब उन्होने सरकार की खासी किरकिरी करवाई। पत्रकारों ने जब एक के बाद एक प्रश्न दागे तो बगलें झांकते हुए सुशील कुमार शिंदे ने कहा कि वे इस बारे में सरकार से बात करेंगे। इस पर एक पत्रकार ने पूछ ही लिया कि क्या आप सरकार में शामिल नहीं हैं? इस पर शिंदे को जवाब देना मुश्किल हो गया। इसके पहले भी सदन में बलात्कार पीडिता का नाम लेकर शिंदे ने कानून का खुलेआम माखौल उड़ाया था। लोगों का कहना है कि अगर यही गल्ति किसी मीडिया वाले से हो गई होती तो अब तक तो उसे फांसी पर टांग दिया गया होता।

अभी समय है एआईसीसी फेरबदल में!
अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी में फेरबदल में अभी कुछ समय बाकी बताया जा रहा है। मौजूदा संसद सत्र समाप्त होने के बाद ही एआईसीसी को नए सिरे से गुथेंगे उपाध्यक्ष राहुल गांधी। राहुल गांधी अभी प्रदेश कांग्रेस कमेटियों को नए सिरे से गठित करने की कवायद कर रहे हैं। इसके उपरांत एआईसीसी का नंबर आएगा। एआईसीसी के फेरबदल को टालने के पीछे महत्वपूर्ण कारण यह बताया जा रहा है कि राहुल गांधी एक व्यक्ति एक पद का सिद्धांत यहां लागू करना चाह रहे हैं तो वहीं दूसरी ओर कांग्रेस के मठाधीश सत्ता और संगठन की मलाई से अपना मोह छोड़ नहीं पा रहे हैं। राहुल गांधी इस बारे में विचार कर रहे हैं कि अगर उन्होंने सख्ती से यह फैसला लागू किया तो इसके क्या परिणाम हो सकते हैं।

नाक कटाते पब्लिसिटी अफसरान
मध्य प्रदेश जनसंपर्क की वेब साईट को दिनों दिन अच्छे रिस्पांस मिलने से लोगों की नजरें इस पर होना स्वाभाविक ही है। मध्य प्रदेश जनसंपर्क के सिवनी जिला कार्यालय की चाणक्य और कृतिदेव फान्ट में जारी सरकारी विज्ञप्ति को अगर सही माना जाए तो जनसंपर्क विभाग की वेब साईट हैक हो गई है, या फिर इसका यूआरएल बदल गया है। लोगों के द्वारा इसके यूआरएल को खोलने पर इंटरनेट ब्राउजर पेज नाट फाउन्ड का संकेत दे रहा है। जी हां, जनसंपर्क विभाग की आधिकारिक वेब साईट का पता डब्लूडब्लूडब्लू डॉट एमपीइन्फो डॉट ओआरजी बदलकर कुछ दक्षिण भारत की प्रचलित अथवा संस्कृत की भाषा में हो गया है। जनसंपर्क विभाग के सिवनी कार्यालय द्वारा समाचार पत्रों को 26 फरवरी को जो ईमेल भेजा है उसमें निम्न समाचार चाणक्य और कृतिदेव फान्ट में अलग अलग प्राप्त हुए हैं।

थापर लगा रहे सिंधिया को चूना!
मध्य प्रदेश में दस साल बाद सत्ता में वापसी का सपना देखने वाली कांग्रेस ने भले ही अब युवा तुर्क ज्योतिरादित्य सिंधिया पर दांव लगाया हो पर अवंथा समूह के मालिक मशहूर उद्योगपति गौतम थापर कहीं जाने अनजाने ज्योतिरादित्य सिंधिया के माथे पर चुनावों के पहले कलंक का टीका ना लगा दें। दरअसल, मध्य प्रदेश में केंद्रीय मंत्री कमल नाथ के प्रभाव वाले महाकौशल के सिवनी जिले में प्रस्तावित पावर प्लांट में हो रही अनियमितताएं ही सिंधिया की परेशानी का सबब बनने वाली हैं। इस पावर प्लांट में आदिवासियों के शोषण, बरगी बांध में खेती और पीने के लिए आरक्षित पानी का व्यवसायिक उपयोग, संरक्षित वन में संस्थापना, हिरण के शव का संयंत्र के अंदर मिलना आदि मामले हवा में हैं इसलिए माना जा रहा है कि सिंधिया की मिट्टी किसी ना किसी नेता के कहने पर थापर द्वारा खोदी जा रही है।

पुच्छल तारा
बजट आया, लोगों ने दिलचस्पी ही नहीं दिखाई, क्योंकि जिनकी कीमतें बढ़ीं हैं वह बढना स्वाभाविक ही है जिनकी घटीं है उनका घटना संभव ही नहीं है। इस पर सोशल नेटवर्किंग वेब साईट पर एक जोक जमकर हिट हो रहा है।
इसमें लिखा गया है कि आखिर वह कौन सा भ्रम है जो राजनेताओं को तो भा रहा है पर आम जनता उस भ्रम से डरी हुई है।
नहीं पता!!!!
अरे बाबा चिदम भ्रम (चिदम्बरदम)!
(साई फीचर्स)

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