खाद्य सुरक्षा विधेयक के मार्ग प्रशस्त
नई दिल्ली (साई)। केन्द्रीय मंत्रिमंडल सोमवार को राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा विधेयक को मंजूरी देने पर विचार करेगा। विधेयक का उद्देश्य देश के प्रत्येक नागरिक को खाद्यानों की उपलब्धता सुनिश्चित कराना है । खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्री के. वी. थॉमस ने कहा कि विधेयक के विभिन्न प्रावधानों पर आम सहमति बन गई है। सरकार ने इसके विवादित मुद्दों को सुलझाने के लिए राज्य सरकारों समेत सभी संबद्ध पक्षों से विस्तृत विचार विमर्श किया है।
फूड सिक्युरिटी बिल के वित्तीय पहलू पर मंथन जारी है। सरकार इस बिल के जरिये देश की 60-65 प्रतिशत आबादी को सस्ते दाम पर अनाज देना चाहती है। अनुमान है कि इसे लागू करने के लिए अगले तीन साल में सरकार को तीन लाख करोड़ रुपये का अलग से इंतजाम करना होगा। सबसे बड़ा सवाल यही है कि इतनी रकम कहां से आएगी।
फूड बिल लागू होने के तुरंत बाद खाद्यान्न की मांग बढ़कर 6.1 करोड़ टन हो जाएगी। फिलहाल यह 5.5 करोड़ टन है। फूड सब्सिडी एक लाख करोड़ रुपये से ज्यादा होने का अनुमान है। पिछले वित्त वर्ष में यह 63,000 करोड़ रुपये थी। यह तो पहले साल का हाल होगा। इसके बाद इसमें लगातार बढ़ोतरी होती रहेगी। इसके अलावा कृषि उत्पादन, भंडारण और वितरण व्यवस्था को सुधारने पर सरकार को अपना खर्च बढ़ाना होगा। कृषि उत्पादन बढ़ाने के लिये ही सरकार को हर साल 50 हजार करोड़ रुपयों की जरूरत होगी। यूपीए सरकार के एक सीनियर कैबिनेट मंत्री ने माना कि यह बिल सरकार का खर्च लगातार बढ़ायेगा। बेहतर होगा, पूरा इंतजाम करने के बाद ही इसे लागू किया जाये।
सरकार के सामने इस वक्त सबसे बड़ी समस्या बढ़ती सब्सिडी है। पेट्रोलियम, फर्टिलाइजर से लेकर अब फूड सब्सिडी का बढ़ता बोझ वह कैसे उठाएगी, यह उसके लिए चिंता की बात है। सूत्रों के अनुसार, सब्सिडी का बढ़ता बोझ संभालने के लिये सरकार निश्चित तौर पर दूसरे सेक्टरों में सब्सिडी घटाएगी। इसमें पेट्रोलियम सेक्टर प्रमुख होगा। सरकार ने अभी से इसकी भूमिका बनानी शुरू कर दी है।
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