ममता ने घुटनों पर खड़ा किया कांग्रेस को!
अपनी हर बात मनवा रहीं ममता
(लिमटी खरे)
नई दिल्ली (साई)। कांग्रेस से टूटकर अलग हुंईं ममता बनर्जी इस समय पूरी दादा गिरी पर आमदा हैं। कांग्रेसनीत केंद्र सरकार और अखिल भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस द्वारा ममता बनर्जी की नैतिक और अनैतिक मांगों के सामने नतमस्तक होना आश्चर्यजनक ही माना जा रहा है। ममता के आगे कांग्रेस नेतृत्व के घुटने टेकने से कांग्रेस विशेषकर पश्चिम बंगाल इकाई में अंदर ही अंदर रोष और असंतोष उबलने लगा है।
गौरतलब है कि पश्चिम बंगाल में स्थानीय नेताओं के विरोध के बाद भी कांग्रेस का केंद्रीय नेतृत्व ममता बनर्जी की हर बात मान रहा है। ममता बनर्जी के सामने पहला मौका नहीं है जब कांग्रेस ने ममता के सामने घुटने टेके हों। पहले भी केंद्रीय रेल मंत्री दिनेश त्रिवेदी को रातों रात रेल भवन से उठाकर बाहर करने और मुकुल रॉय को उनके स्थान पर रेल मंत्री बनाने का मामला अभी लोगों के जेहन से उतरा नहीं है।
हाल ही में कांग्रेस ने अपने समर्थित राज्य सभा उम्मीदवार अब्दुल मन्नान का नाम उम्मीदवारी से वापस ले लिया है जिससे कांग्रेस के अंदरखाने में भूचाल आ गया है। यह सब त्रणमूल सुप्रीमो के इशारे पर हुआ बताया जा रहा है। ममता के करीबी सूत्रों का दावा है कि अब्दुल मन्नान के मुंह से निकाले गए निवाले को ममता ने अपने विश्वस्त पत्रकार कुणाल घोष की झोली में डाल दिया है।
जैसे ही कुणाल घोष की उम्मीदवारी सामने आई वैसे ही घोष विरोधी सक्रिय हो गए। प्रधानमंत्री कार्यालय के सूत्रों का कहना है कि पीएम को पश्चिम बंगाल के मालदा के संसद सदस्य अबू हसनत खान चौधरी के हस्ताक्षरों का एक पत्र मिला है जिसमें घोष का कच्चा चिट्ठा पीएम को भेजा गया है।
सूत्रों ने आगे बताया कि पत्र की इबारत में इस बात का विशेष तौर पर उल्लेख किया गया है कि पश्चिम बंगाल में धोखाधड़ी करने वाली शारदा नामक कंपनी के संचालक कुणाल घोष ही हैं। घोष पर आरोप लगाया गया है कि उन्होंने उंची ब्याज दर का लालच देकर गरीब गुरबों को जमकर लूटा है। घोष पर अखबार का पैसा सामचार चेनल में लगाने का आरोप भी लगाया गया है।
पीएमओ के सूत्रों का कहना है कि पीएमओ के एक ताकतवर नौकरशाह उक्त पत्र के साथ कांग्रेस के सत्ता और शक्ति के शीर्ष केंद्र 10, जनपथ गए और उन्होंने सोनिया के राजनैतिक सचिव अहमद पटेल से इस बारे में विचार विमर्श किया। बताते हैं कि इस बारे में सोनिया और राहुल गांधी को भी आवगत करा दिया गया है।
10, जनपथ के अंदर से छन छन कर बाहर आ रही खबरों पर अगर यकीन किया जाए तो बाद में जब अहमद पटेल इस मामले में त्रणमूल सुप्रीमो ममता बनर्जी से चर्चा करने गए तो ममता ने दो टूक यह कह दिया कि चाहे कुछ भी हो जाए, कुणाल घोष को राज्य सभा से संसद में पहुंचाना ही होगा।
खबरों के अनुसार अहमद पटेल ने इस मामले में कांग्रेस की ओर से ममता को विश्वास दिला दिया है कि ममता इस मामले में चिंता ना करें, कांग्रेस कुणाल घोष को राज्य सभा से संसद में भेजने का ताना बाना खुद ही बुन लेगी। इन खबरों में सच्चाई कितनी है यह बात तो अहमद पटेल जाने या ममता बनर्जी किन्तु एक के बाद एक ममता की बातें मानकर कांग्रेस पश्चिम बंगाल में संगठन की जड़ों से मिट्टी खोदकर उसे कमजोर ही कर रही है।
एहसान फरामोश नेताओं ने पश्चिम बंगाल में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के सामने नतमस्तक होकर अपने सूबाई संगठन को तबाह करने में कोई कसर नहीं रख छोड़ी है। कांग्रेस संगठन के नेशनल लेबल के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने पहचान उजागर ना करने की शर्त पर कहा कि वरिष्ठ इंका नेता प्रियरंजन दास मुंशी के संसदीय क्षेत्र उत्तरी बंगाल के रायगंज में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) स्थापित करने की मंजूरी को बदलकर ममता को खुश करने के लिए इसे दक्षिण बंगाल में कल्पानी में स्थापित करने का फैसला दे दिया है।
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