मंगलवार, 17 अप्रैल 2012

सब मिलकर निपटें आंतक से


सब मिलकर निपटें आंतक से

(शरद खरे)

नई दिल्ली (साई)। प्रधानमंत्री ने कहा है कि हर तरह के आतंकवाद से निपटने के लिए केन्द्र और राज्यों को मिलकर और समन्वित प्रयास करने होंगे। कल नई दिल्ली में आंतरिक सुरक्षा पर मुख्यमंत्रियों के वार्षिक सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए डाक्टर मनमोहन सिंह ने कहा कि इस बात का प्रश्न ही नहीं उठता कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई का बोझ मुख्य रूप से राज्यों पर छोड़ दिया जाए।
उन्होंने कहा कि केन्द्र आतंकवाद की समस्या से निपटने के लिए मजबूत और ज्यादा प्रभावी संस्थागत व्यवस्था कायम करने के वास्ते राज्यों के साथ मिलकर काम करने को तैयार है। प्रधानमंत्री ने कहा कि प्रस्तावित राष्ट्रीय आतंकवाद निरोधक केन्द्र के बारे में पांच मई को अलग बैठक में विचार विमर्श किया जायेगा। प्रधानमंत्री ने आगाह किया कि आतंकवाद, नक्सलवादी उग्रवाद, धार्मिक कट्टरता और जातीय हिंसा अब भी देश में मौजूद है।
आंतरिक सुरक्षा के लिए केन्द्र और राज्यों को एकजुट होकर काम करना होगा। उन्होंने कहा कि आतंकवाद, बामपंथी उग्रवाद, धार्मिक कट्टरता और जातीय हिंसा जैसी चुनौतियां अभी भी देश में बनी हुई हैं। इन चुनौतियों के कारण हमें निरंतर सतर्कता बरतनी होगी उन्हें मजबूती और संवेदनशीलता के साथ हल करने की जरूरत है। इनके पीछे जो ताकतें हैं, उनको न केवल नियंत्रित करने बल्कि कारगर रूप से खत्म करने की आवश्यकता है। आंतरिक सुरक्षा एक ऐसा मामला है, जिसके लिए राज्यों और केन्द्र को मिलकर, सद्भाव से काम करना चाहिए।
इसके पूर्व अपने प्रारम्भिक वक्तव्य में गृहमंत्री पी चिदम्बरम ने कहा कि २०११ में जम्मू कश्मीर, पूर्वाेत्तर राज्यों और नक्सलवाद प्रभावित राज्यों मे ंहिंसा में कमी आई। लेकिन उन्होंने कहा कि असम में माओवादी गुटों का नया खतरा पैदा हो रहा है। गृहमंत्री ने कहा कि पश्चिम में अंतर्राष्ट्रीय सीमा और नियंत्रण रेखा पर सीमा पार से घुसपैठ का खतरा अब भी बना हुआ है। श्री चिदम्बरम ने राज्य सरकारों से किसी भी तरह की साम्प्रदायिक स्थिति को रोकने के लिए सतर्क रहने को कहा। उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय जांच एजेंसी के मुम्बई, कोच्चि और लखनऊ में नये कार्यालय खोले जायेंगे।

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