हिन्दुस्तान अखबार
का बड़ा घोटाला!!!
(श्रीकृष्ण प्रसाद)
मुंगेर (साई)। देश
के नामचीन हिन्दी भाषा के अखबार द्वारा एक एसा इतिहास रचा है जिससे समूची
पत्रकारिता ही शर्मसार हुए बिना नहीं है। देश में वैसे तो अनेक मामले ऐसे भी
प्रकाश में आए हैं कि निविदाओं का प्रकाशन का उसे देयक के साथ भेजी जाने वाली
प्रति और उसी दिन की बाजार में बिकने वाली प्रतियों में भारी अंतर होता है। इतना
ही नहीं केंद्र या राज्य सरकार की विज्ञापन सूची में सूचीबद्ध नहीं होने के बाद भी
सरकारी स्तर पर या स्थानीय निकायों के विज्ञापनों में मनमानी दरें देकर उपकृत करने
का गंदा खेल भी खेला जा रहा है।
विश्व के अब तक के
सनसनीखेज दैनिक हिन्दुस्तान विज्ञापन घोटाले में बिहार के पुलिस अधीक्षक पी0 कन्नन के निर्देशन
में उपाधीक्षक अरूण कुमार पंचालर ने जो पर्यवेक्षण-टिप्पणी समर्पित की है उस
पर्यवेक्षण-टिप्पणी की पृष्ठ संख्या-03 ने विश्व के समक्ष उजागर कर दिया है कि
भारत सरकार और बिहार सरकार सहित अन्य राज्यों के खजानेको लूटने के लिए भारत का
कारपोरेट प्रिंट मीडिया किस हद तक नीचे गिर सकता है, मीडिया हाउस किस हद
तक जालसाजी, फरेबी और
धोखाधड़ी कर सकता है?
हम यह भी कह सकते हैं कि भारत सरकार और राज्य सरकारों के
खजाने को बुद्धि से लूटने के हथकंडे भारत के इन कारपोरेट प्रिंट मीडिया घराने से
सीखने की दूसरों को जरूरत है।
आरक्षी उपाधीक्षक
की पर्यवेक्षण-टिप्पणी के पृष्ठ-03 पर दैनिक हिन्दुस्तान के अभियुक्तों के
द्वारा की गई जालसाजी, फरेबी और धोखाधड़ी की तस्वीर कुछ यूं पेश की गई है। उस तस्वीर
को पुलिस पदाधिकारी की कलम में ही हू-ब-हू पेश किया जा रहा है। पुलिस उपाधीक्षक ने
पर्यवेक्षण-टिप्पणी में लिखा है कि -‘‘प्राथमिक अभियुक्त शोभना भरतिया, अध्यक्ष, हिन्दुस्तान
प्रकाशन समूह (दी हिन्दुस्तान मीडिया वेन्चर्स लिमिटेड), प्रधान कार्यालय-18-20,कस्तुरबा गांधी
मार्ग, नई दिल्ली
द्वारा संचालित इस कंपनी के द्वारा देश के विभिन्न भागों से हिन्दी और देवनागरी
लिपि में हिन्दुस्तान शीर्षक से दैनिक समाचार पत्रों को प्रकाशित किया जा रहा है।
इन्होंने अपने बयान
में आगे बताया कि किसी भी समाचार पत्र के प्रकाशन के पूर्व प्रेस एण्ड रजिस्ट्रेशन
आफ बुक्स एक्ट की विभिन्न धाराओं के तहत दिये गये प्रावधानों का अक्षरशः पालन करना
समाचार पत्र के किसी भी प्रकाशक के लिए कानूनी बाध्यता है, जिसका उल्लंघन
दण्डनीय अपराध है। प्रेस एण्ड रजिस्ट्रेशन आफ बुक्स एक्ट में निहित प्रावधानों के
तहत किसी भी समाचार पत्र के प्रकाशन के पूर्व निम्नांकित नियमों का पालन किया जाना
आवश्यक है:-
(1) प्रकाशन का कार्य प्रारंभ करने के पूर्व
संबंधित जिले के जिला दंडाधिकारी के समक्ष विहित प्रपत्र में घोषणा-पत्र समर्पित
करना।
(2) तद्नुसार जिला दंडाधिकारी द्वारा प्रमाणीकरण
देना।
(3) कंपनी रजिस्ट्रार से अनुमति प्राप्त करना।
(4) भारत सरकार के समाचार-पत्र पंजीयक से पंजीयन
कराना।
भागलपुर से अवैध
दैनिक हिन्दुस्तान का प्रकाशन शुरू हुआ। इन्होंने अपने बयान में आगे बताया कि
अभियुक्तों द्वारा उक्त नियमों का खुलेआम उल्लंघन करते हुए भारत के प्रेस
रजिस्ट्रार की अनुमति प्राप्त किए बिना ही 03 अगस्त, 2001 से दैनिक
हिन्दुस्तान का प्रकाशन भागलपुर के मेसर्स जीवन सागर टाईम्स प्रा0 लि0, लोअर नाथनगर रोड, परबत्ती, भागलपुर से प्रारंभ
कर दिया गया।
विज्ञापन पाने के
लिए फर्जी कागजत प्रबंधन ने पेश किया- साथ ही सरकार के समक्ष झूठा व फर्जी कागजात
प्रस्तुत कर विज्ञापन भी प्राप्त किया जाने लगा जिस क्रम में विज्ञापन मद में
करोड़ों रुपया सरकारी खजाने से प्राप्त किया जा चुका है। इन्होंने अपने बयान में
आगे बताया कि किसी भी प्रकाशक द्वारा समाचार -पत्र के प्रकाशन के नाम का क्लियरेंस
भारत के समाचार पत्रों के निबंधक कार्यालय से भी लेना अनिवार्य एवं कानूनी बाध्यता
है।
नए संस्करण के लिए
भी निबंधन अनिवार्य- यदि समाचार पत्र का नाम टाइटिल प्रकाशक को उपलब्ध हो गया है, तो बदले हुए समाचार
के साथ नया संस्करण निकालने के लिए भी समाचार पत्रों को निबंधक से अनुमति प्राप्त
करना अनिवार्य एवं कानूनी बाध्यता है। परन्तु उक्त तथ्यों की अनदेखी करते हुए ‘मुंगेर संस्करण‘का भी प्रकाशन किया
जाने लगा। अभियुक्तों द्वारा वर्ष 2001 से ही लगातार भागलपुर से दैनिक हिन्दुस्तान
का प्रकाशन किया जा रहा है, परन्तु इसके लिए प्रकाशन के पूर्व वहां के
जिला दंडाधिकारी द्वारा प्रमाणीकृत घोषणापत्र अभियुक्तों द्वारा प्राप्त नहीं किया
गया।
मुंगेर से भी अवैध
दैनिक हिन्दुस्तान के संस्करण का प्रकाशन शुरू हुआ- इसी प्रकार अभियुक्तों के
द्वारा मुंगेर के जिला दंडाधिकारी द्वारा भी बगैर प्रमाणीकृत घोषणापत्र प्राप्त
किए ही मुंगेर से भी दैनिक हिन्दुस्तान का प्रकाशन किया जाने लगा। इन्होंने अपने
बयान में आगे बताया कि भागलपुर और मुंगेर से मुद्रित एवं प्रकाशित होने वाले दैनिक
हिन्दुस्तान में वर्ष 2001 से 30 जून, 2011 तक आर0एन0आई0 नं0-44348/86 जो पटना के लिए
आवंटित है, का प्रयोग
किया गया जबकि 01 जुलाई, 2011 से 16 अप्रैल, 2012 तक आर0एन0आई0 नं0 के स्थान पर ‘आवेदित‘ छापा जाने लगा।
पुनः दिनांक 17 अप्रैल, 2012 को उक्त
समाचर-पत्र में आर0एन0आई0 नं0--बी0आई0एच0एच0आई0एन0/2011/41407 छापा गया।
मीडिया हाउस ने
पदाधिकारियों को बेहोशी का इन्जेक्शन दे दिया?- इस पर्यवेक्षण
टिप्पणी से स्पष्ट होता है कि विगत ग्यारह वर्षों से इस कारपोरेट प्रिंट मीडिया
हाउस का सरकारी विज्ञापन फर्जीवाड़ा इतने लंबे अंतराल तक इसलिए चलता रहा चूंकि इस
विज्ञापन फर्जीवाड़ा रोकने की जिम्मेदारी जिन केन्द्र और राज्य सरकार के विभागों के
वरिष्ठ पदाधिकारियों की थीं, उन सभी वरिष्ठ सरकरी पदाधिकारियों को इस
कोरपोरेट प्रिंट मीडिया ने कथित रूपमें ‘बेहोशी का इंजेक्शन‘ लगा दिया था। प्रेस
रजिस्ट्रार कार्यालय, नई दिल्ली, डी0ए0वी0पी0 कार्यालय, नई दिल्ली, सूचना एवं
जनसम्पर्क निदेशालय,पटना, बिहार, मुंगेर, भागलपुर और
मुजफ्फरपुर के जिला पदाधिकारी और जिला जनसम्पर्क पदाधिकारी के समक्ष हाल के वर्षों
में जब भी दैनिक हिन्दुस्तान और दैनिक जागरण के अवैध प्रकाशन और अवैध सरकारी
विज्ञापन प्रकाशन के मामले लाए गए, इन विभागों से जुड़े सभी वरिष्ठ पदाधिकारी
इससे जुड़ी संचिका आने के बाद ही बेहोश हो जाते थे और वर्षों तक अखबार का सरकारी
विज्ञापन घोटाला बेरोकटोक चलता रहा। अब केन्द्र और राज्य सरकार की जांच एजेंसियों
का दायित्व है कि वे इस बात की जांच करें आखिर संबंधित विभागों के वरिष्ठ
अधिकारियों ने आर्थिक अपराध के ऐसे गंभीर मामले में आखिर किन कारणों से चुप्पी साधी? यह मामला जो अबतक
विश्व के समक्ष सामने आ पाया है, वह न्यायालय की सक्रियता का प्रतिफल है।
आर्थिक अपराध की
जांच में जुटी जांच एजेसिंयां अखिर कब तक चुप रहेगी?- अब भी केन्द्र और
राज्य सरकारों की आर्थिक अपराध की जांच से जुड़ी जांच एजेंसियां दैनिक हिन्दुस्तान, दैनिक जागरण और
अन्य दैनिकों के अवैध जिलावार संस्करणों और अवैध ढंग से छप रहे सरकारी विज्ञापनों
के फर्जीवाड़ा के मामलों में कोई जांच नहीं कर पा रही है। क्या कोरपोरेट हाउस ने
जांच एजेंसिंयों के वरिष्ठ अधिकारियों को बेहोशी का इंजेक्शन लगा दिया है? सबसे दिलचस्प बात
यह है कि अरबों-खरबों रूपये के सरकारी विज्ञापन घोटाले में डूबे मीडिया हाउस के
अखबार न्यायपालिक,
कार्यपालिका और विधायिका पर आंखें तरेरने में अब भी पीछे नहीं
हो रहे हैं।
सभी अभियुक्तों के
विरूद्ध प्रथम दृष्टया आरोप प्रमाणित- मुंगेर पुलिस ने कोतवाली कांड संख्या-445/2011 में सभी नामजद
अभियुक्त शोभना भरतिया, अध्यक्ष, दी हिन्दुस्तान मीडिया वेन्चर्स लिमिटेड, नई दिल्ली, शशि शेखर, प्रधान संपादक, दैनिक हिन्दुस्तान, नई दिल्ली, अकु श्रीवास्तव, कार्यकारी संपादक, हिन्दुस्तान, पटना संस्करण, बिनोद बंधु, स्थानीय संपादक, हिन्दुस्तान, भागलपुर संस्करण और
अमित चोपड़ा, मुद्रक एवं
प्रकाशक, मेसर्स
हिन्दुस्तान मीडिया वेन्चर्स लिमिटेड, नई दिल्ली के विरूद्ध भारतीय दंड संहिता की
धाराएं 420/471/476 और प्रेस
एण्ड रजिस्ट्रेशन आफ बुक्स एक्ट, 1867 की धाराएं 8(बी), 14 एवं 15 के तहत लगाए गए सभी
आरोपों को अनुसंधान और पर्यवेक्षण में‘सत्य‘घोषित कर दिया है।
सांसदों से इस
विज्ञापन घोटाले को संसद में उठाने की अपील- देश के माननीय सांसदों से इस विज्ञापन
घोटाले को आगामी संसद सत्र में उठाने की अपील की गई है। देश की आजादी के बाद यह
पहला मौका है कि माननीय सांसद देश के कोरपोरेट मीडिया के अरबों-खरबों के सरकारी
विज्ञापन घोटाले को ससबूत सदन के पटल पर रख सकेंगे। अबतक अखबार ही देश के
भ्रष्टाचारियों को अपने अखबारों में नंगा करता आ रहा है। अब माननीय सांसद भी
आर्थिक अपराध में डूबे शक्तिशाली मीडिया हाउस के सरकारी विज्ञापन घोटाले को संसद
में पेश कर आर्थिक भ्रष्टाचारियों को नंगा कर सकेंगे।
गिरफ्तारी का आदेश
और आरोप-पत्र समर्पित होना बाकी है- विश्व
के इस सनसनीखेज हिन्दुस्तान विज्ञापन घोटाले में पुलिस अधीक्षक के स्तर से
पर्यवेक्षण रिपोर्ट -02 जारी होने के बाद अब कानूनतः इस कांड में सभी नामजद
अभियुक्तों के विरूद्ध गिरफ्तारी का आदेश और आरोप पत्र न्यायालय में समर्पित करने
की प्रक्रिया शेष रह गई है। देखना है कि मुख्यमंत्री नीतिश कुमार के नेतृत्व में
बिहार में आर्थिक अपराधियों के विरूद्ध चले रहे युद्ध में सरकार कबतक इस मामले में
गिरफ्तारी का आदेश और आरोप-पत्र न्यायालय में समर्पित करने का आदेश मुंगेर पुलिस
को देती है?
क्या सरकार
अभियुक्तों को सजा दिला पाएगी?- विश्व के पाठक अब प्रश्न कर रहे हैं कि क्या
बिहार सरकार दैनिक हिन्दुस्तान के विज्ञापन घोटाले में शामिल कंपनी की अध्यक्ष शोभना
भरतिया, प्रधान
संपादक शशि शेखर और अन्य संपादकों को सजा दिलाने में भविष्य में सफल होगी? दैनिक जागरण भी
सरकारी विज्ञापन घोटाले में शामिल रू बिहार में दैनिक जागरण भी दैनिक हिन्दुस्तान
की तर्ज पर बिहार में बिना निबंधन का अखबार प्रत्येक जिले से बदले हुए फारमेट में
स्थानीय समाचारों की प्रमुखता के साथ मुद्रित, प्रकाशित और वितरित
कर भागलपुर और मुजफ्फरपुर संस्करणों के नाम से अवैध ढंग से सरकारी विज्ञापन लंवे
समय से प्राप्त करता आ रहा है और करोड़ों-अरबों में सरकारी राजस्व को चूना लगाता आ
रहा है।
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