शुक्रवार, 2 नवंबर 2012

आड़वाणी पर है संघ की नजर


अस्ताचल की ओर गड़करी का सूर्य . . . 2

आड़वाणी पर है संघ की नजर

(महेश रावलानी)

नई दिल्ली (साई)। अखबारों की सुर्खियां बने भाजपा अध्यक्ष नितिन गडकरी का हटना अब लगभग तय हो गया है। चर्चा है कि उनकी जगह वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी को अंतरिम अध्यक्ष बनाया जा सकता है। संघ के आला दर्जे के सूत्रों का कहना है कि गड़करी की मुखालफत अगर मीडिया में इसी तरह होती रही तो मजबूरी में गडकरी को साईड लाईन करना ही पड़ेगा।
गौरतलब है कि बीजेपी अध्यक्ष नितिन गडकरी के खिलाफ व्यापारिक गड़बड़ियों के गंभीर आरोप मीडिया में आने शुरू हो गए। शुरू में संघ नेतृत्व उनके साथ दिखा। बीजेपी के बड़े नेताओं का भी कहना था कि गडकरी के बारे में जल्दबाजी में फैसला नहीं किया जाएगा। गडकरी समर्थक खेमे का कहना था कि अगर उन्हें इस वक्त पद से हटाया गया तो इसे पार्टी की कमजोरी और विरोधियों की जीत के रूप में लिया जाएगा। मगर, एक के बाद एक जिस तरह से खुलासे होते चले गए, उसे देखते हुए पार्टी के लिए उनका बचाव नामुमकिन होता जा रहा है। ऐसे में मीडिया का पूरा फोकस कांग्रेस और रॉबर्ट वाड्रा से हटकर गडकरी और बीजेपी पर आ गया है।
हिमाचल और गुजरात के चुनावों पर इसका असर पड़ने की आशंका से भी पार्टी चिंतित है। हाल यह है कि अगर गडकरी बतौर बीजेपी अध्यक्ष इन राज्यों में चुनाव प्रचार के लिए जाते हैं तो मुसीबत और नहीं जाते हैं तो मुसीबत। इन्हीं वजहों से पार्टी और संघ के ऊपरी हलकों में यह महसूस किया जा रहा है कि इस फैसले को टालना नुकसानदेह साबित हो सकता है।
झंडेवालान स्थित संघ मुख्यालय केशव कुंजके सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को संकेत दिए कि संघ के आला नेता अब मीडिया को ही वाच कर रहे हैं। अगर आने वाले दिनों में गड़करी के खिलाफ होने वाला दुष्प्रचार बंद नहीं हुआ तो मजबूरी में गड़करी के स्थान पर आड़वाणी को ही भाजपा का सर्वेसर्वा बनाया जा सकता है।

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