लाजपत ने लूट लिया
जनसंपर्क --------- 3
डेढ़ करोड़ की
ज्वेलरी की चर्चाएं
भोपाल (साई)। जनसंपर्क
विभाग में शिवराज में लूट मची है। कारण यह कि उसने चुनिंदा अफसरों को विज्ञापन
देने से लेकर पैकेज देने के अधिकार दे रखे हैं। ऐसा कहते हैं कि घर की लाज पत्नी
बचाती है, पर
जनसंपर्क की लाज एक पति बचा रहा है। इसका अनुभव बड़े से लेकर छोटे अखबार तक के सभी
संपादकों को अच्छी तरह याद है। दो साल पहले इस लाज को बचाने वाले पति या जनसंपर्क
विभाग को पतित करने वाले इस अफसर की लड़की का विवाह ग्वालियर मेें हुआ था।
अय्यार बताते हैं
कि इसकी लड़की की शादी में अखबार मालिकों ने लगभग डेढ़ करोड़ रुपए की ज्वैलरी गिफ्ट
में दी थी। इसकी पत्नी को ज्वैलरी का अत्यधिक शौक है। चार-पांच छुटभैये पत्रकार
इसके चेले हैं। वे इन्हें जिस अखबार को विज्ञापन देने की बात कहते हैं, यह मान लेता है।
इसके बदले इसका कमीशन फिक्स है। जनसंपर्क की लाज को पतित करने वाले इस अफसर की
हिम्मत का एक उदाहरण यह है कि विगत आठ साल से निकल रहे साप्ताहिक अखबार को
विज्ञापन की सिफारिश के लिए जनसंपर्क मंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा के यहां कार्यरत
मंगला मिश्रा ने मंत्री के लैटर हैड पर सिफारिशी पत्र लिखा तो उसने उस साप्ताहिक
अखबार के पत्रकार के सामने वह पत्र रद्दी की टोकरी में डाल दिया और कहा कि सिफारिश
करने का काम मंत्रियों का है, निर्णय लेना मेरा काम है। यह वही अफसर है
जिसने पांच साल पूर्व जब मैंने बिच्छू डॉट कॉम की शुरुआत एक वेबसाइट के रूप में की
थी तब सौजन्यवश तत्कालीन कमिश्नर मनोज श्रीवास्तव ने कहा था कि तुम बिच्छू डॉट कॉम
की वेबसाइट को भी विज्ञापन दे दो और इस व्यक्ति का जवाब था कि ऐसे सांप-बिच्छुओं
को विज्ञापन देते रहे तो हो गया उद्धार३।
यह तो इस अफसर के
दुरूस्साहस की बानगी है। मंत्री बेचारे, सीधे-सादे, विवादों से कटकर
रहने वाले ही हैं। लिहाजा, ऐसा प्रतीत होता है ्यलाज्य पति के सामने मंत्रीजी की औकात
चपरासी से भी बदतर है। जब महामाई का आशीर्वाद हो तो मंत्री की क्या बिसात? अब जनसंपर्क की
दूसरी बानगी देखिए,
गांव-गांव, डगर-डगर की वॉल पेंटिंग का ठेका एक पत्रकार
को दिया गया है। ठेका था दो करोड़ रुपए का।
इस टेंडर में शेहला
मसूद (जो अब इस दुनिया मेें नहीं हैं) की कंपनी ने भी टेंडर डाला था। सरकार ने आउट
ऑफ द वे जाकर स्वयं को पंजाब के एक अखबार का पत्रकार बताने वाले एक कथित पत्रकार
को यह काम दे दिया। अब जनसंपर्क विभाग के अधिकारी गांव-गांव जाकर ये देखने से तो रहे कि वॉल पेंटिंग कहां हुई। इस
व्यक्ति ने भोपाल के दो सौ किलोमीटर के रेडियस में वॉल पेंटिंग कराई, जनसंपर्क की
कल्याणकारी योजनाओं की। जिसमें कुल साढ़े चौदह लाख रुपए खर्च हुए। उसने एक महीने
बाद ही दो करोड़ रुपए का बिल दिया। बिल देने के पंद्रह दिन बाद ही उसका पेमेंट हो
गया।
जनसंपर्क विभाग में
हर तीन माह में तुगलकी सरकारी योजना बनाने वाले शिवराज सिंह को यह बताया जाता है
कि इसकी भी डॉक्यूमेंट्री बनवाना चाहिए। सभी रीजनल चौनल, लोकल चौनल और
दूरदर्शन पर जो घटिया किस्म की फिल्में दिखाई जा रही हैं। इनकी हर डाक्यूमेंट्री
का बजट तीन से लेकर 25 लाख रुपए तक का है। रेवडिय़ों की तरह डॉक्यूमेंट्री बंट रही
हैं। कागजों पर गांव-गांव में शासन की जनकल्याणकारी योजनाओं की प्रदर्शनकारी
डॉक्यूमेंट्री वाली वैन दौड़ रही हैं। लेकिन, केवल भोपाल के आसपास के 200 किलोमीटर के
रेडियस में। जनसंपर्क विभाग को देखकर ऐसा लगता है कि लाला को छोटेू के साथ मिलकर
ट्रांसफर-पोस्टिंग से फुर्सत ही नहीं है।
कांग्रेस के एक
नेता का उसका नाम न लेने की शर्त पर यह बताना कि आज की तारीख में छोटू दो हजार
करोड़ का मालिक है और लाला अफसर डेढ़ हजार करोड़ का मालिक। इन दोनों ने अपने काले धन
का इंवेस्टमेंट मुंबई, गोवा, पुणे, दमण में कर रखा है। ऐसा बताया जाता है कि लाला अफसर ने एक
मीडिया हाउस के साथ एक सरकारी योजना में भी पचास फीसदी इंवेस्टमेंट कर रखा है।
(साभार: बिच्छू डॉट
काम)
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