शुक्रवार, 2 नवंबर 2012

शिव के राज में बिकते हैं सपने!


शिव के राज में बिकते हैं सपने!

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली (साई)। छटवां निवेशक सम्मेलन इंदौर में संपन्न हुआ और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अपने आप के सपनों का सौदागर बता दिया। शिवराज द्वारा खुद को सपनों का सौदागर बताने की प्रतिक्रिया अच्छी नहीं कही जा सकती है। मध्य प्रदेश के बारे में कांग्रेस के शासनकाल में राजा दिग्विजय सिंह के समय बनी धारणा अब भी जस की तस ही है कि इस राज्य में सड़कें और पानी का जबर्दस्त आकाल है।
मध्य प्रदेश की अघोषित व्यवसायिक राजधानी इंदौर में तीन दिवसीय ग्लोबल इंवेस्टर्स मीट संपन्न हुई और इसका प्रचार प्रसार जिस तरह से किया गया उससे लगने लगा है कि मध्य प्रदेश अब देश का सबसे समृद्ध प्रदेश बनकर उभरेगा। देश दुनिया के उद्योगपति आकर यहां अपना धन लगाएंगे। लोगों को जबर्दस्त तरीके से रोजगार मिलेगा। मध्य प्रदेश के जनसंपर्क विभाग ने भी इस अवसर पर चीन्ह चीन्ह कर विज्ञापन जारी कर दर्शा दिया है कि मीडिया में फूट डालना कितना आसान है।
इस निवेशक सम्मेलन के पहले उन पांच निवेशक सम्मेलनों को याद करना आवश्यक है जिनसे साफ हो जाता है कि मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान मध्य प्रदेश में सपने ही बेच रहे हैं जो हकीकत से कोसों दूर हैं। भाजपा मुख्यालय 11, अशोक रोड़ में पदस्थ एक वरिष्ठ नेता ने नाम उजागर ना करने की शर्त पर समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया से कहा कि शिवराज सिंह चौहान वाकई में सपने बेच रहे हैं। अगर इन छः निवेशक सम्मेलनों का दस फीसदी भी अमली जामा पहन ले तो एमपी का उद्धार कोई रोक नहीं सकता है।
ज्ञातव्य है कि मध्य प्रदेश का पहला निवेशक सम्मेलन 15 और 16 जनवरी 2007 को खजुराहो में हुआ था। इस सम्मेलन में 39 हजार करोड़ रूपए के निवेश हेतु 18 एमओयू पर हस्ताक्षर हुए थे। इसके उपरांत 26 एवं 27 अक्टूबर 2007 को मध्य प्रदेश की अघोषित व्यवसायिक राजधानी इंदौर में दूसरा निवेशक सम्मेलन हुआ था। इसमें 102 एमओयू पर हस्ताक्षर हुए थे जिनकी लागत एक लाख 20 हजार पांच सौ इकतालीस करोड़ थी।
अगले ही साल 2008 में 15 और 16 फरवरी को जबलपुर में संपन्न तीसरे निवेशक सम्मेलन में 59 हजार 129 करोड़ रूपयों की लागत वाले 61 एमओयू साईन हुए थे। इसके उपरांत 11 अप्रेेल 2008 को सागर में संपन्न चौथे निवेशक सम्मेलन में 30 हजार 698 करोड़ रूपए के 36 करार हुए थे। ग्वालियर में 29 एवं 30 जुलाई 2008 को संपन्न पांचवे निवेशक सम्मेलन में 88 हजार 18 करोड़ रूपयों के 62 करार हुए थे।
इस तरह चार साल पहले तक मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा प्रदेश के निवासियों को सब्ज बाग दिखाकर पांच निवेशक सम्मेलनों में 279 करार किए गए जिनमें 3 लाख 37 हजार 346 करोड़ रूपए खर्च होने की बात कही गई थी। लाखों करोड़ रूपयों में तो मध्य प्रदेश की औद्योगिक दशा और दिशा इस कदर बदल जाती कि यह देश का सबसे संपन्न प्रदेश होता एवं यहां रोजगार के अवसर इतने होते कि यहां मजदूरों को पलायन पर मजबूर नहीं होना पड़ता।
विडम्बना ही कही जाएगी कि 2007 और 2008 के उपरांत अब इतनी अधिक राशि के 279 एमओयू आज तक अस्तित्व में नहीं आ पाए हैं। वस्तुतः निजी क्षेत्र के व्यापारी अथवा उद्योगपति कम समय में ही अपना औद्योगिक ढांचा खड़ा कर लेते हैं। बाबा खड़क सिंह मार्ग स्थित मध्य प्रदेश आवासीय आयुक्त कार्यालय के सूत्रों का कहना है कि मध्यप्रदेश की राजनैतिक परिस्थितियों को देखकर उद्योगपति एमपी जाने में कतरा ही रहे हैं।
हाल ही में मध्यप्रदेश के इंदौर में आयोजित तीन दिवसीय ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट में 4 लाख 31 हजार 555 करोड़ रुपये के निवेश के लगभग एक हजार प्रस्ताव प्राप्त हुए हैं। इनके क्रियान्वयन से मध्यप्रदेश में लगभग 20 लाख प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार निर्मित होगा।
इस तरह शिवराज सिंह चौहान के राज में अब तक सात लाख 68 हजार 901 करोड़ रूपयों के निवेश के प्रस्ताव आए हैं जिनमें से आधे चार से पांच साल पुराने हैं। इन सालों में भी मध्य प्रदेश में कोई विकास नहीं दिखने से साफ हो जाता है कि शिवराज सिंह चौहान सिर्फ और सिर्फ सपने बेचते हैं उन्हें हकीकत में बदलने से उन्हें कोई लेना देना नहीं है।
मजे की बात तो यह है कि विपक्ष में बैठी कांग्रेस भी शिवराज सिंह चौहान को इस मामले में कभी घेरती नजर नहीं आई कि जब उद्योगों के एमओयू होने के बाद उन्हें अमली जामा नहीं पहनाया गया है तो निवेशक सम्मेलन में जनता के धन को खर्च करने का ओचित्य क्या है?

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