लाजपत ने लूट लिया
जनसंपर्क ------------------ 76
आरटीआई की खिल्ली उड़ाते
पीआरओ!
(अखिलेश दुबे)
सिवनी (साई)।
केंद्र सरकार द्वारा सूचना के अधिकार कानून को बड़ी ही हसरत के साथ लागू किया गया
था, जिससे
पारदर्शिता आने की प्रबल संभावनाएं बन गई थीं, किन्तु सरकारी
नुमाईंदे ही अगर सूचना के अधिकार कानून में मांगी गई जानकारी को तोड़ मरोड़ कर
प्रस्तुत करेंगे तो फिर इस कानून को लागू करने की मंशाओं पर प्रश्न चिन्ह लगना
स्वाभाविक ही है।
सूचना के अधिकार के
तहत जिला जनसंपर्क कार्यालय सिवनी से पांच बिन्दुओं पर मांगी गई जानकारी ना तो
स्पष्ट है और ना ही प्रश्नानुसार ही कही जा रही है। बताया जाता है कि मध्य प्रदेश
शासन द्वारा प्रकाशित पत्र पत्रिकाओं का निशुल्क वितरण जनसंपर्क कार्यालय द्वारा
पत्रकारों और मीडिया संस्थानों को किया जाता है।
इस संबंध में सूचना
के अधिकार कानून के तहत जानकारी मांगने पर जनसंपर्क अधिकारी कार्यालय द्वारा यह
जानकारी दी गई कि जनसंपर्क संचालनालय से प्राप्त पत्रिकाओं और प्रचार सामग्रियों
को जिला मुख्यालय से प्रकाशित होने वाले दैनिक समाचार पत्रों को वितरित किया जाता
है। इसके अलावा साप्ताहिक समाचार पत्र के संपादकों के संपादकों को भी उनके द्वारा
कार्यालय से संपर्क करने पर उपलब्ध कराया जाता है।
इससे स्पष्ट है कि
जिला जनसंपर्क कार्यालय के पास जनसंपर्क संचालनालय द्वारा पर्याप्त मात्रा में
प्रचार समाग्री भेजी जाती है, पर पीआरओ कार्यालय द्वारा अंधा बांटे रेवड़ी
और चीन्ह चीन्ह के देय की कहावत चरितार्थ कर दैनिक समाचार पत्रों को तो प्रचार
सामग्री उपलब्ध करा दी जाती है पर साप्ताहिक या अन्य आवधिक समाचार पत्रों को
प्रचार समाग्री उपलब्ध नहीं कराई जाती है। चर्चा है कि बची प्रचार सामग्री को
रद्दी में बेच दिया जाता है।
साथ ही साथ पीआरओ
कार्यालय द्वारा किन किन समाचार पत्रों को शासकीय समाचार प्रदाय किए जाते हैं के
प्रश्न पर कार्यालय का जवाब है कि ईमेल द्वारा समाचार प्रदाय किए जाते हैं। सवाल
यह है कि क्या मीडिया संस्थानों और पत्रकारों को बकायदा पत्र लिखकर जिला जनसंपर्क
कार्यालय द्वारा उनके ईमेल मांगे गए हैं? या मनमर्जी से ही सूची बनाकर ईमेल भेजे जा
रहे हैं?
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