0 रिजर्व फारेस्ट में कैसे बन रहा पावर
प्लांट . . . 21
. . . मतलब अवैध पानी लेते आए हैं गौतम थापर!
(एस.के.खरे)
सिवनी (साई)। अगर
आपका इकबाल सियासी क्षेत्र में बुलंद है तो आप कोई भी अवैध काम को सीना ठोंककर कर
सकते हैं, जी हां, यह बात मध्य प्रदेश
के सिवनी जिले में होती दिख रही है। वर्ष 2009 से सिवनी जिले में मेसर्स झाबुआ पावर
लिमिटेड का पावर प्लांट के कदमताल कुछ इसी दिशा में होते दिख रहे हैं। हर साल
गर्मी के मौसम में सिवनी को जलाभावग्रस्त घोषित किया जाता है पर 2009 से अब तक गर्मी
में भी गौतम थापर के स्वामित्व वाले अवंथा समूह के सहयोगी प्रतिष्ठान मेसर्स झाबुआ
पावर लिमिटेड के निर्माणाधीन संयंत्र में निर्बाध रूप से जलापूर्ति कैसे हो रही है
यह यक्ष प्रश्न बना हुआ है?
प्राप्त जानकारी के
अनुसार कलेक्टर भरत यादव ने गत दिवस एक आदेश जारी कर आगामी एक अप्रैल से वर्षा ऋतु
के प्रारंभ होने तक संपूर्ण सिवनी जिले को (ग्रामीण एवं नगरीय क्षेत्रों सहित) जल
अभावग्रस्त क्षेत्र घोषित कर दिया है। इस संबंध में जारी आदेश में उन्होंने कहा है
कि अवर्षा की स्थिति को देखते हुए अब कोई भी व्यक्ति बिना अनुज्ञा के जिले में
किसी भी शासकीय भूमि के जलस्त्रोत से पेयजल तथा घरेलू प्रयोजन को छोडकर औद्योगिक
या अन्य किसी भी प्रयोजन के लिये किसी भी साधनों के द्वारा जल उपयोग नहीं करेगा।
इसी प्रकार बिना अनुज्ञा के कोई भी व्यक्ति समस्त नदी, नालों, स्टॉप डेम, सार्वजनिक कुंओं, झिरिया तथा अन्य
स्त्रोतों का जल, पेयजल तथा
घरेलू प्रयोजन को छोडकर औद्योगिक औद्योगिक या अन्य किसी भी प्रयोजन के लिये किसी
भी साधनों के द्वारा जल उपयोग नहीं कर सकेगा। इस दौरान कोई भी व्यक्ति जिला
कलेक्टर कार्यालय की पूर्व अनुमति लिये बगैर किसी भी प्रयोजन के लिये नवीन नलकूप
खनन नहीं करेगा तथा किसी ङ्क्षसचाई/निस्तारी तालाब औद्योगिक प्रयोजन अथवा अन्य
प्रयोजन में (घरेलू प्रयोजन को छोडकर) जल का उपयोग नहीं कर सकेगा।
जारी आदेश में जिला
दंडाधिकारी यादव ने कहा है कि जिले को जल अभावग्रस्त घोषित किये जाने से संपूर्ण
जिले में नलकूपों/ट्यूबवेल्स का उत्खनन प्रतिबंधित हो जाता है। इसके बावजूद यदि
कोई व्यक्ति इस आदेश के उल्लंघन कर नवीन नलकूप/ट्यूबवेल्स उत्खनन करता है, तो उसके विरूद्व
मध्यप्रदेश पेयजल परिरक्षण अधिनियम १९८६ के संशोधित अधिनियम २००२ की धारा-९ एवं
भारतीय दंड संहिता की धारा १८८ के अंतर्गत दंडनीय कार्यवाही की जायेगी।
आदेश में कहा गया
है कि जिले में यदि कोई व्यक्ति सिंचाई अथवा औद्योगिक प्रयोजन के लिये पानी के
उपयोग की अनुमति तथा नलकूप/ट्यूबवेल्स उत्खनन की अनुमति चाहता है, तो उसे अधिनियम की
धारा-४ व ६ से संबंधित नियमों के अंतर्गत निर्धारित प्रारूप एवं फीस के साथ
संबंधित अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) को आवेदन-पत्र देना होगा। इस कार्य के लिये
जिले के समस्त अनुविभागीय अधिकारियों राजस्व को उनके क्षेत्राधिकार में इस निमित्त
प्राधिकृत कर दिया गया है। अनुविभागीय अधिकारी किसी को अनुज्ञा देने से पूर्व आवश्यक
जांच करेंगे और अनुज्ञा दिये जाने के संबंध में संबंधित क्षेत्र के कार्यपालन
यंत्री/सहायक यंत्री, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकीय विभाग एवं नगरीय क्षेत्र में मुख्य
नगरपालिका अधिकारी से अभिमत एवं अनुशंसा भी प्राप्त करेंगे। जिला दंडाधिकारी के इस
आदेश/प्रावधानों को कारगर रूप से क्रियान्वित करने का दायित्व संबंधित अनुविभागीय
अधिकारी (राजस्व)/कार्यपालन यंत्री, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग एवं नगरीय
क्षेत्रों में संबंधित मुख्य नगरपालिका अधिकारियों का होगा।
संयंत्र प्रबंधन के
सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि 2009 के उपरांत मेसर्स
झाबुआ पावर लिमिटेड के निर्माणाधीन पावर प्लांट में पानी की आपूर्ति निर्बाध रूप
से की जा रही है, इसके लिए
संयंत्र द्वारा किसी भी सक्षम अधिकारी से ग्रीष्मकाल में ना तो अनुमति ही प्राप्त
की है और ना ही अनुमति लेने का प्रयास ही किया है। सूत्रों ने बताया कि चूंकि
संयंत्र के स्वामी का इकबाल सियासी गलियारों में काफी बुलंद है और संयंत्र में
निर्माण कार्य का ठेका भी कांग्रेस और भाजपा के आला नेताओं के इशारों पर दिया गया
है इसलिए संयंत्र के कामकाज में कोई भी सरकारी नुमाईंदा दखल देने की हिमाकत नहीं
कर पा रहा है।
(क्रमशः जारी)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें