युवतियों में फैशन
बना नकाब
(शिवेश नामदेव)
सिवनी (साई)। गर्मी
आते ही शहर के युवक युवती अपना चेहरा ढक कर चलते हैं, परंतु यह नकाब
गर्मी के बचाव के साथ साथ उनकी पहचान छुपाने में मदद करता है। वैसे तो यह नकाब
युवतियों द्वारा रात्री के समय भी पहने हुए देखा जा सकता है। गर्मी के बचने में
मदद करने वाला नकाब अपने बायफ्रेंड-गर्लफ्रेंड के साथ घुमने-फिरने में काफी मददगार
साबित हो रहा है। इस नकाब की मदद से युवक-युवतियां बेखौफ अपने प्रेम की पीगे उड़ाते
असानी देखे जा सकते हैं। लकड़े भी इस नकाब की आड़ में लकड़ियों को छेड़ना आदि कार्य बड़ी असानी से पूरा कर लेते हैं।
नकाबपोशों में युवक युवतियों की संख्या ज्यादा है जिनमें महाविद्यालीन शिक्षा
ग्रहण करने वाले विद्यार्थी अधिक हैं। दूसरी ओर गौर फरमाया जाए तो युवक-युवतियां
नकाब की आड़ में अश्लील हरकतें करते नजर आते हैं जिन्हें पहचनना मुश्किल हो जाता
है। इससे अधिकांश युवक युवतियों स्थानीय बस स्थानक, धार्मिक स्थलों
उद्यानों में पहुंच कर घंटों बतियाते रहते है, साथ ही अश्लील
हरकतें भी करते हैं,
जो समाजिक दृष्टि से अनुचित है। यदि इन पर पाबंदी नहीं लगायी
तो युवतियों को यौन शोषण से नहीं बचाया जा सकता। दुप्पटे से अपने चहरे ढकने के
कारण जेब काटने, उठाईगिरी
जैसी अपराध तेजी से बढ़ रहे हैं।
दुप्पटे से चहरे
ढकने का प्रचलन पहले बड़े महानगरों मेें अधिक होता था जो अब धीरे धीरे छोटे शहरों
से होता हुआ ग्रामीण परिवेश में जा पहुंचा है, इस तरह दुप्पटे से
चेहरा ढकने के कारण युवक अपराध को अंजाम देते हैं। कालेजों में झगड़े के दौरान यह
युवक नकाब लगा कर मार-पीट कर बेखौफ साफ निकल जाते हैं और कहते हैं कि हमे किसी ने
नहीं पहचाना। इस बातों को ध्यान में रखते हुए पूरी तरह से चेहरे को ढकने पर
प्रतिबंध लगा देना चाहिए चाहे वह युवक हो युवतियां सब पर यह प्रतिबंध लागू किया
जाना चाहिए।
ज्ञात हो कि इसके
पूर्व केवल ग्रीष्मऋतु में चेहरे को धूप से बचाने के लिये नकाब आदि का उपयोग होता
था किंतु अब ये फैशन का रूप ले चुका है। इसके पूर्व के वर्ष में गृह मंत्री के
द्वारा आदेश दिया गया था कि कोई भी व्यक्ति नकाब लगाकर या चेहरा ढक कर आवागमन नही
करेगा। किंतु शायद ही इस आदेश का आदेश देने के पश्चात कोई पालन हुआ हो आज आवश्यकता
है कडाई से उन नियमों का पालन करने की जो सरकार उठाती है इस कार्य में शासकीय अमला
भी ढीला दिखाई पडता है क्योंकि सरकार के
आदेशों का क्रियान्वयन करना भी शासकीय अमले की जिम्मेदारी है। देखना यह होगा कि इस
वर्ष गर्मी में नकाब लगाना वैधानिक होगा या अवैधानिक।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें