शुक्रवार, 22 मार्च 2013

इंदौर : लाजवाब रही एक शाम स्टेट बैंक कलाकारो के नाम


लाजवाब रही एक शाम स्टेट बैंक कलाकारो के नाम

(विजय सिंह राजपूत)

इंदौर (साई)। मालवा की शब अपनी कुदरती खूबसूरती रखती है। फिर ऐसे में दिन भर की तपिश के बाद शाम को मालवा की सुहानी शब मे गीत - संगीत की महफिल सजना तो लाजमी है। बीती शाम यशवंत निवास रोड स्थित स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के ऑडिटोरियम में खूबसूरत गीत - संगीत की महफिल सजी तो सुरों की बारिश सी हो गई। जिसमें बैंक परिवार के सदस्यो ने खूबसूरत प्रस्तुति देकर सुनने वालो का दिल जीत लिया। तकरीबन 120 मीनट तक गजल, गीत, भजन, नृत्य, नाटक, बांसूरी की लाजवाब पेशकश से रूबरू होने का सिलसिला चलता रहा। स्टेट बैंक ऑफ इंडिया अवार्ड स्टॉफ यूनियन के जोनल अध्यक्ष ए.एल.मधुराज ने बताया कि, इस सांस्कृति संध्या में बैंक कर्मचारी व अधिकारी अपनी दिलकश प्रस्तुति लेकर हाजिर हुए। खास मेहमान स्टेट बैंक ऑफ इण्डिया के डी.जी.एम. अनुकूल भट्नागर, जी.एम.अभय चौधरी और उपमहाप्रबंधक सी.एस. शेट्टी थे। विशेष अतिथि के रूप मे महासचिव अरूण भगौलीवाल, ए.जी.एम महेश कोचर भोपाल मंडल कल्याण समिति के सचिव रजत मोहन वर्मा, ललीत माहेश्वरी एवं श्री दीक्षित ने शिरकत की। इस अवसर पर रिलेशनशिप मैनेजर संजय कोटिया, अब्दुल रफीक खान, कमल जोशी, मांगीलाल दुबेपुरिया भी मौजूद थे। कार्यक्रम का शुभारंभ अतिथियो ने दीप प्रज्जवलन से किया। प्रारंभ मे स्वागत भाषण महासचिव दीपक शकरगायन ने दिया। कार्यक्रम के सूत्रधार श्री सुनील लाला और श्री बरडिया थे। सांस्कृतिक संध्या का सफल संचालन करते हुए जितेन्द्र मालू और नीलमाधव भुसारी ने अल्फाज को मोती की तरह पिरोते हुए श्रोताओ को पूरे समय बांधा रखा। गीत - संगीत की महफिल की शुरूआत मोहन वालवेकर ने - ‘‘केसरिया बालम पधारो म्हारा देस‘‘ गीत सुनाकर शुरू से माहौल बांध दिया। इसके बाद मिलिंद लोंढे ने बांसुरी पर ‘‘आ जा रे परदेसी मै तो‘‘ सुनाकर खूब तालिया बटौरी। चित्रा रानाढ़े ने ‘‘जरा सी आहट‘‘ को बहुत खूबसूरत तरीके से सुनाया। गिरीश देशपान्डे भी कमतर नही रहे, उन्होने माउथ आर्गन पर ‘‘लाखो है निगाह में‘‘ सुनाकर महफिल का रंग जमाये रखा। स्टेट बैंक ऑफ इंडिया अवार्ड स्टॉफ यूनियन के जोनल अध्यक्ष ए.एल.मधुराज ने मशहूर शायर खुमार बाराबंकवी की गजल सुनाकर महफिल में चार चॉद लगा दिये, ए.एल.मधुराज ने सुनाया -
हाल-ए-दिल उनको सुनाते जाइए, शर्त ये है कि मुस्कुराते जाइए
आपको जाते ना देखा जायेगा, शमा को पहले बुझाते जाइए
इसके बाद प्रमोद बोरगांवकर ने माइक संभाला, उन्होने सुनाया - ‘‘मुझे दर्दे दिल का पता न था‘‘
सुशील शर्मा ने भी माउथ आर्गन पर ‘‘कांकरिया मारके जगाया बालमा‘‘ की प्रस्तुति दी। संजीव रानाढे ने ‘‘जिया ले गयो जी मोरा सांवरिया‘‘ ने सुनाया जो बहुत पसंद आया। प्रदीप कौरी, उजेरअली और फायजा अली ने मिलकर -‘‘राधाकृष्ण का सावन गीत‘‘ की लाजवाब प्रस्तुति दी। प्रकाश घोडगांवकर का अंदाजे बयां भी पसंद आया उन्होने ‘‘जाने कहा गये वो दिन‘‘ को बहुत अच्छे ढंग से पेश किया। महफिल में श्रीमती विष्णुप्रिया मूर्ति ने फिल्म ‘‘वो कौन थी‘‘ का नगमा लता जी की आवाज मे सुनाकर सबको तालिया बजाने के लिए मजबूर कर दिया। विष्णुप्रिया मूर्ति ने -‘‘लग जा गले कि फिर ये हंसी रात हो ना हो, शायद फिर इस जनम मे मुलाकात हो ना हो‘‘ सुनाकर महफिल की रौनक बढाई। इसके बाद पल्लवी सिंह ‘‘जाइये आप कहां जाऐंगे‘‘ गीत लेकर हाजिर हुई। सुप्रिया सिंह ने ‘‘कत्थक‘‘ की अद्भुत प्रस्तुति से महफिल को नया रंग दिया। संजय कोटिया ने माऊथ आर्गन पर ‘‘हे दिल अपना तो आवारा‘‘ पेश किया। विनय चौहान ने ‘‘चला जाता हूं किसी की धुन मे‘‘ सुनाकर शाम केा और हसीन बना दिया। विजय शर्मा ने ‘‘निकलो ना बेनकाब जमाना खराब है, और उसपे ये शबाब जमाना खराब है‘‘ सुनाकर माहोल को रूमानी कर दिया। रेखा देशपांडे एवं श्रीकांत गोगले ने लघु नाटिका की प्रस्तुति देकर थियेटर को जिंदा किया। कैलाश सुबेदार ने ‘‘तेरी आंखो के सिवा‘‘ गीत सुनाया। विजय सुपेकर ने ‘‘बाजे रे मुरलिया‘‘ भजन सुनाकर भक्तिमय माहौल कर दिया। संजीव धर्मा ने ‘‘झुकी - झुकी सी नजर‘‘ गजल सुनाकर शब-ए-मालवा को और खुशनुुमा बना दिया। राजेन्द्र जोशी इस माहौल को और ऊचाईयो की तरफ ले गये, उन्होने ‘‘मेंहदी हसन की सूफियाना गजल‘‘-लागी लगन दिल ही दिल में, दीप जले सुर के सागर में, जब मे गीत सुनाऊ, सरगम छेडू, बरखा बरसे, जलती आग बुझाऊ रे‘‘ सुनाकर खूब तारीफ बटोरी। शांता पांचाल ने ‘‘मदर इण्डिया‘‘ फिल्म का गीत ‘‘होली आई रे‘‘ सुनाया तो सब झूमने लगे, उन्होने उत्सवपूर्ण माहौल कर दिया। अंत में प्रदीप कोरी ने ‘‘छापतिलक‘‘ का अमीर खुसरो द्वारा लिखा गया सूफी गीत सुनाया तो लोग गहराई में डूब गये और रूहानी सुकून महसूस करने लगे। कार्यक्रम मे जलज म्यूजिक ग्रप के गायक सचिन दवे और गायिका शिवांगी मिश्रा ने भी खूबसूरत तरीके से गीत पेश किये। संगत कलाकार मे तबले पर संजय चोघले, महावर ने अच्छा साथ दिया। की बोर्ड पर विजय राठौर, पेड पर अमित शर्मा, गिटार पर विकास जैन, ढोलक पर लक्ष्मीचंद विश्वा, हारमोनियम पर विजय सुपेकर, ऑक्टोपेड पर प्रकाश घोडगांवकर और बांसुरी पर मिलिन लोंढे ने लाजवाब संगत दी। अंत मे आभार ए.एल.मधुराज ने माना।

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