शुक्रवार, 22 मार्च 2013

मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री की केन्द्रीय कृषि मंत्री से मुलाकात


मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री की केन्द्रीय कृषि मंत्री से मुलाकात

(रश्मि सिन्हा)

नई दिल्ली (साई)। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने यहां केन्द्रीय कृषि मंत्री श्री शरद पवार से मुलाकात कर प्रदेश में बारिश और ओलावृष्टि से फसल को हुए भारी नुकसान की स्थिति से अवगत कराया और महाराष्ट्र की तर्ज पर 500 करोड़ रुपये के  विशेष पैकेज की मांग की। उन्होंने बताया कि जनवरी माह मंे पाले के कारण लगभग 20 जिलों की फसल बरबाद हो गयी है और भारी बारिश और अंधड़ से लगभग अबतक 40 जिलों की फसल खराब हो गयी है। उन्होंने बताया कि प्रारंभिक आकलन के अनुसार लगभग साढ़े 7 हजार हेक्टेयर भूमि की फसल तबाह हो गयी है। इससे प्रदेश के 40 जिलों के लगभग साढ़े 13 हजार गांव प्रभावित हुए हैं। इससे अभी तक 29 लोगों की जानें गयी हैं और तकरीबन 300 मवेशी मारे गये हैं। श्री चौहान ने आग्रह किया कि यह विशेष पैकेज एस.डी.आर.एफ. के अंतर्गत दी जाने वाली सामान्य राशि से अतिरिक्त हो। जिससे कम से कम किसानों बीज और खाद उपलब्ध करायी जा सके।
श्री चौहान ने केन्द्रीय कृषि मंत्री श्री शरद पवार को बताया कि राज्य सरकार ने तबाही से निपटने के लिए राज्य स्तर पर कई ठोस कदम उठाये गये हैं। इसके अंतर्गत प्रभावित क्षेत्र में किसानों को बी.पी.एल. की दरों से अगले छह महीने तक खाद्यान्न उपलब्ध करायेगी, साथ ही किसानों द्वारा लिये गये ऋणों की वसूली को स्थगित किया गया है, छोटी अवधि के ऋण को मध्यम अवधि में परिवर्तित करना तथा उन किसानों जिनका नुकसान 25 से 50 प्रतिशत है उनके ऋण को लम्बी अवधि में परिवर्तित करने की मांग की। इसके लिए उन्होंने केन्द्रीय कृषि मंत्री से आग्रह किया कि वे संबधित बैंकों और सहकारी समितियों को इस संबंध में उचित निर्देश दें। श्री चौहान ने कहा कि केन्द्र सरकार द्वारा राहत निर्धारण के नियमों के अनुसार उन किसानों को ही पात्रता होती है जिनकी फसल का नुकसान 50 प्रतिशत से अधिक हो लेकिन 25 से 50 प्रतिशत तक फसलों को हुए नुकसान को केन्द्र द्वारा किसी भी प्रकार की राहत राशि अथवा मुआवजा नहीं दिया जाता है। श्री चौहान ने इस तरह के नियमों को बदलने का आग्रह किया और
किसानों को राहत दिये जाने की परिधि में 25 से 50 प्रतिशत तक के नुकसान को भी शामिल किये जाने की वकालत की। साथ ही उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार के मापदंडों के अनुसार किसानों को नष्ट हुई फसल का मुल्यांकन वर्तमान बाजार मूल्यों के आधार पर नहीं किया जाता है। उन्होंने आग्रह किया कि केन्द्र सरकार को स्थापित मापदंडों को अधिक व्यवहारिक बनाने की जरूरत है।
श्री चौहान ने श्री पवार को ए.आई.बी.पी. के अंतर्गत नई शर्तें जोड़ने के बारे में जिक्र करते हुए कहा कि इन शर्तों से नई परियोजनाओं को केन्द्रीय अनुदान के लिए राज्य सरकारांे को अंतिम प्राथमिकता देना, राज्य सरकार परियोजना लागत का 50 प्रतिशत व्यय करने, निर्माण कार्य 50 प्रतिशत पूर्ण होने तथा केन्द्रीय अनुदान के प्रतिशत को कम करने की शर्तें प्रमुख हैं। उन्होंने चिन्ता व्यक्त करते हुए कहा कि यह परिवर्तन लागू होने से सिंचाई क्षमता को बढ़ाने की पूरी जिम्मेदारी राज्यों पर आ जायेगी और सीमित संसाधनों के चलते राज्य सरकारें सिंचाई क्षेत्र में समुचित वृद्धि नहीं कर पायंेगी। ऐसे परिवेश में देश के खाद्यान्न सुरक्षा पर विपरीत प्रभाव पड़ेगा। श्री चौहान ने ए.आई.बी.पी. के अंतर्गत होने वाले 5050 के अनुपात को पूर्वत में 9010 के अनुपात में केन्द्रीय सहायता को बहाल रखने की मांग की। 

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