अवैध जमीन खरीदी है
झाबुआ पावर ने
(महेंद्र देशमुख)
नई दिल्ली (साई)।
देश के मशहूर उद्योगपति गौतम थापर के स्वामित्व वाले अवंथा समूह के सहयोगी
प्रतिष्ठान मेसर्स झाबुआ पावर लिमिटेड के द्वारा मध्य प्रदेश के आदिवासी बाहुल्य
घंसौर तहसील के बरेला में लगाए जाने वाले पावर प्लांट में जो जमीनें खरीदी गईं हैं, वे अवैध हैं। यह
बात देश की सबसे बड़ी अदालत के एक फैसले के प्रकाश में साफ होती दिख रही है।
उच्चतम न्यायालय ने
एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि अनुसूचित जातियों और जनजातियों से संबंधित भूमि
को कम्पनियों सहित अन्य वर्ग के लोग नहीं खरीद सकते, क्योंकि ऐसे सौदे
असंवैधानिक हैं। न्यायमूर्ति के एस राधाकृष्णन और न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा की पीठ
ने यह आदेश राजस्थान सरकार की उस याचिका पर दिया है, जो इस तरह के सौदे
को कानूनन वैध ठहराने वाले राजस्थान उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ दायर की गई
थी।
एक कंपनी ने
अनुसूचित जाति के एक व्यक्ति से एक प्लॉट खरीदा था, लेकिन राज्य
प्रशासन ने इसे मानने से इंकार कर दिया था। कंपनी ने इस फैसले के खिलाफ राजस्थान
उच्च न्यायालय में अपील की थी, जिसे न्यायालय ने सही बताया था। उच्च
न्यायालय ने कंपनी द्वारा प्लॉट की खरीद को इस आधार पर सही बताया था कि कंपनी की
कोई जाति नहीं होती।
इस तरह आदिवासियों
को छलने के आरोप मेसर्स झाबुआ पावर लिमिटेड पर लग रहे हैं। कहा जा रहा है कि गौतम
थापर के कारिंदों ने मध्य प्रदेश सरकार और जिला प्रशासन सिवनी से मिलकर आदिवासियों
को बरगलाकर उनकी जमीनें माटी मोल खरीद ली गई हैं। आदिवासियों के विरोध का भी जिला
प्रशासन और मध्य प्रदेश सरकार पर कोई असर नहीं हो रहा है। कहा जा रहा है कि मध्य
प्रदेश के कैबनेट मंत्री राजेंद्र शुक्ला के परिजनों की हिस्सेदारी इस पावर प्लांट
में है।
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