गुरुवार, 17 जनवरी 2013

केन्द्रीय योजनाओं पर होने वाले खर्चे को केन्द्र वहन करे


केन्द्रीय योजनाओं पर होने वाले खर्चे को केन्द्र वहन करे

(महेश)

नई दिल्ली (साई)। मध्यप्रदेश के वित्तमंत्री राघवजी ने राज्यों में चलाई जा रही विभिन्न केन्द्रीय योजनाओं पर होने वाले समस्त खर्चे को केन्द्र द्वारा वहन किये जाने की मांग की। राघवजी ने कहा कि केन्द्रीय कानून के तहत राज्यों में चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं पर होने वाले खर्च को संविधान की धारा-258 के तहत केन्द्र द्वारा उठाया जाना चाहिए। राघवजी यहां आयोजित केन्द्रीय वित्तमंत्री पी.चिदम्बरम की अध्यक्षता में हुई राज्यों के वित्त मंत्रियों की बैठक में बोल रहे थे। बैठक मुख्यतः बजट पूर्व सुझावों के लिए आयोजित की गई थी। बैठक में विभिन्न राज्यों के वित्त मंत्रियों ने भाग लिया।
श्री राघवजी ने बैठक में हाल ही में प्रकाशित समाचार पत्रों में अप्रत्यक्ष करों में वृद्धि को लेकर छपे समाचारों पर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि अप्रत्यक्ष करों में वृद्धि नहीं होनी चाहिए। इसका राज्यों के विकास पर विपरीत प्रभाव पड़ेगा तथा राज्यांे के करों में वृद्धि की संभावनाएं समाप्त हो जायेंगी। राघवजी ने ए.आई.बी.पी. द्वारा सिंचाई के लिए ऋण पर बोलते हुए कहा कि इसके अंदर 90 प्रतिशत केन्द्र द्वारा अनुदान दिया जाता है। किन्तु चालू वर्ष में अनुदान की राशि बन्द कर दी गई है। राघवजी ने अनुदान राशि को निरन्तर जारी रखने की बात कही है। सर्विस टैक्स के बारे में सुझाव देते हुए उन्होंने कहा कि यह राज्य का विषय है और इसको निर्धारित करने का अधिकार केन्द्र के पास नहीं है। इसके बावजूद भी केन्द्र सरकार इसमे दखलंदाजी कर रही है। केन्द्र सरकार विभिन्न प्रकार के कर जैसे विलासिता कर, मनोरंजन कर, भूमि भवन पर कर, परिवहन पर कर आदि लगा रही है जबकि यह सारे विषय राज्य सरकार के हैं। केन्द्र सरकार इन सभी पर लगभग 12 प्रतिशत टैक्स लगा रही है। उन्होंने आग्रह किया कि केन्द्र सरकार को इसे वापस लेना चाहिए। इसके कारण करदाताओं पर अनावश्यक रूप से दोहरा टैक्स देना पड़ रहा है। विशेषकर भवन निर्माण, केबल, डी.टी.एच., होटल कर, भोजन और परिवहन आदि के व्यवसाय पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। उन्होंने कहा कि एल.आई.सी., बैंकिंग सेवाओं पर भी टैक्स नहीं लगाना चाहिए क्योंकि केन्द्र सरकार एक तरफ तो एल.आई.सी. पर छूट देती है और दूसरी तरफ टैक्स लगाती है।
राघवजी ने राज्यों के वित्तमंत्रियों की एम्पावर्ड कमेटी की रिपोर्ट का जिक्र करते हुए कहा कि रिपोर्ट में केन्द्र सरकार से 35 सेवाओं को निगेटिव सूची में रखने की मांग की थी। किन्तु केन्द्र सरकार ने मात्र 13 सेवाओं को ही निगेटिव की सूची में रखा है। उन्होंने आग्रह किया कि शेष 22 सेवाओं को भी निगेटिव की सूची में शामिल किया जाय।
वित्त मंत्री ने संविधान में वर्ष 2004 में संशोधन का उल्लेख करते हुए कहा कि संशोधन के अनुसार राज्य सरकार को अनेक सेवाओं पर टैक्स वसूलने का अधिकार दिया जाना चाहिए था। उसके लिए संविधान में नई धारा 268-ए जारी की गई थी। किन्तु 9 वर्ष के उपरांत भी इसे लागू नहीं किया गया है। इसी तरह केन्द्रीय विक्रय कर दर को 4 प्रतिशत से घटाकर 2 प्रतिशत करते समय केन्द्र सरकार ने यह वायदा किया था कि 44 सेवाओं पर कर लगाने का अधिकार राज्य सरकार को दिया जायगा। किन्तु अभी तक ऐसा नहीं किया गया है। वर्ष 2007-08 में आयकर वसूली सकल घरेलू उत्पाद का 2.24 प्रतिशत था वह अब वर्ष् 2010-11 में घटकर 2.05 प्रतिशत रह गया है जबकि वृद्धि करने के सारे उपाय जो केन्द्र सरकार ने किये हैं उनमें से अभी तक कोई भी प्रभावी नहीं हुआ है। इस पर केन्द्र सरकार को विचार करना चाहिए।
श्री राघवजी ने बताया कि केन्द्र सरकार ने राज्य सरकार एवं स्थानीय स्वायत्त संस्थाओं पर सर्विस टैक्स लगाने में कोई कोताही नहीं बरती और उनपर सेवाकर भी लगाया जो कि बिलकुल अनुचित और असंवैधानिक है। उन्होंने केन्द्र सरकार द्वारा राज्यों को सहायता राशि विलम्ब से दिये जाने पर चिंता जताई। उन्होंने बताया कि प्रायः यह राशि मार्च के महीने में दी जाती है जोकि उस वित्तीय वर्ष में खर्च नहीं हो पाती है। वर्ष 2011-12 के मार्च महीने में प्राप्त सहायता राशि लगभग 35 हजार करोड़ रुपये थी। उन्होंने केन्द्र सरकार द्वारा दिये जा रहे अनुदान में केन्द्रांश कम करने की प्रवृत्ति पर भी चिंता जताई। उन्होंने बताया कि सर्वशिक्षा अभियान में 75 प्रतिशत अनुदान को घटाकर 65 प्रतिशत कर दिया गया है जोकि बिलकुल अनुचित है।
श्री राघवजी ने आग्रह किया कि मध्यप्रदेश के आदिवासी जिलों को केन्द्र द्वारा राज्यों के पिछड़े जिलों में आयकर और सैम्वैट की छूट दिये जाने की सूची में शामिल किया जाय। राष्ट्रीय राजमार्ग की खराब स्थिति से अवगत कराते हुए कहा कि राष्ट्रीय राजमार्गों को केन्द्र सरकार द्वारा मरम्मत और नवीनीकरण के लिए राशि उपलब्ध नहीं करा पाने के कारण राष्ट्रीय राजमार्गों की हालत काफी खस्ता हो गई है। उन्होंने पर्याप्त धनराशि शीघ्र उपलब्ध कराने का अनुरोध किया। 

कोई टिप्पणी नहीं: