बुधवार, 21 दिसंबर 2011

लोकपाल के गठन को हरी झंडी


लोकपाल के गठन को हरी झंडी



(धीरेंद्र श्रीवास्तव)

नई दिल्ली (साई)। केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने संवैधानिक दर्जे के साथ लोकपाल के गठन से सम्बद्ध ऐतिहासिक विधेयक को मंजूरी दे दी है। मंत्रियों और अधिकारियों के दल ने दो दिन तक विचार-विमर्श के बाद लोकपाल विधेयक का नया मसौदा तैयार किया। उसके बाद इस विधेयक के मसौदे और संविधान संशोधन विधेयक को मंत्रिमंडल की विशेष बैठक में मंजूरी दी गई।
सरकार के उच्च पदस्थ सूत्रों ने कल रात नई दिल्ली में प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में सत्तर मिनट तक चली मंत्रिमंडल की बैठक के बाद इस बात की पुष्टि की। मंत्रियों के दल ने सोमवार को लोकपाल विधेयक का मसौदा तय किया था। लोकपाल संस्था में नौ सदस्य होंगे। अध्यक्ष का चयन चार सदस्यों की समिति करेगी। इसमें प्रधानमंत्री, लोकसभा अध्यक्ष, लोकसभा में विपक्ष के नेता और भारत के प्रधान न्यायाधीश या उनके द्वारा मनोनीत उच्चतम न्यायालय के कोई न्यायाधीश होंगे।
विधेयक में प्रधानमंत्री के पद को कुछ शर्तों के साथ लोकपाल के दायरे में रखा गया है। इस मामले में अंतर्राष्ट्रीय संबंधों, सार्वजनिक व्यवस्था, परमाणु ऊर्जा, अंतरिक्ष, घरेलू और बाहरी सुरक्षा संबंधी निर्णयों को जांच के दायरे से बाहर रखा गया है। सी बी आई पर लोकपाल का कोई नियंत्रण नहीं होगा, लेकिन एक महत्वपूर्ण प्रावधान यह जोड़ा गया है कि सी बी आई के निदेशक का चयन एक समिति करेगी, जिसमें प्रधानमंत्री, लोकसभा में विपक्ष के नेता और भारत के प्रधान न्यायाधीश अथवा उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश शामिल होंगे। विधेयक के मसौदे में लोकपाल संस्था में और उसके सदस्यों की नियुक्ति करने वाली समिति में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़े वर्गों, अल्पसंख्यकों और महिलाओं के लिए पचास प्रतिशत आरक्षण का प्रस्ताव है।
संस्था के आधे सदस्य न्यायिक पृष्ठभूमि से चुनने का प्रस्ताव भी है। लोकपाल का कार्यकाल पांच वर्ष का होगा और उसके अध्यक्ष या सदस्यों पर महाअभियोग की कार्रवाई तभी हो सकती है, जब कम से कम एक सौ सांसद इस बारे में ज्ञापन दें

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