एमपी में हैं कई
सलामन खुर्शीद
(नन्द किशोर)
भोपाल (साई)। देश
के हृदय प्रदेश में केंद्रीय मंत्री सलामन खुर्शीद के परिवार के सदस्यों द्वारा
चलाए जाने वाले गैर सरकारी संगठन से प्रेरणा लेकर अनेक एनजीओ ने विकलांग और निशक्त
जनों का पैसा बिना डकार लिए हजम करने के अनेक मामले प्रकाश में आए हैं। फर्जी
विकलांग के नाम पर पैसे निकाले जाने पर इनसे काम छीन लिया गया है।
मध्य प्रदेश के
एनजीओ भी फर्जीवाड़ा करने में पीछे नहीं हैं। एक एनजीओ ने फर्जी विकलांगों के नाम
पर लाखों रूपए का अनुदान ले लिया, वहीं बच्चों के नाम दो योजनाओं में बताकर
डबल अनुदान भी लेना पाया गया है। इसके चलते एक एनजीओ से काम छीन लिया गया है, जबकि कुछ एनजीओ को
नोटिस थमाए गए हैं।
राज्य सचिवालय के
उच्च पदस्थ सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि होशंगाबाद की मातृछाया
विकलांग कल्याण संस्था का राज्य शिक्षा केंद्र ने अनुदान बंद कर दिया है। इससे
सर्वशिक्षा के सारे काम भी छीन लिए गए हैं। इस संस्था ने फर्जी विकलांग बच्चों के
नाम पर लाखों रूपए का अनुदान ले लिया था।
सूत्रों ने आगे
बताया कि संस्था की शिकायत के बाद हुई जांच में पाया गया कि जिन बच्चों के नाम पर
अनुदान लिया जा रहा है, उनके नाम-पते फर्जी हैं। इसके अलावा बच्चों के नाम पर दो
योजनाओं में अनुदान लेना पाया गया। इसमें खेल यह रहा कि जिन बच्चों के नाम पर
स्कूल शिक्षा से पैसा ले लिया गया, उन्हीं बच्चों के नाम पर सामाजिक न्याय
विभाग से भी पैसा लिया गया।
पुलिस मुख्यालय में
आर्थिक अपराध शाखा के सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि भोपाल के
शिव कल्याण एनजीओ के खिलाफ आर्थिक अनियमितता की शिकायत ईओडब्ल्यू में जा पहुंची
है। इसमें भी सामाजिक न्याय विभाग से मिले अनुदान में लाखों की हेर-फेर की शिकायत
है। इसी तरह पूजा विकलांग संस्था के खिलाफ भी ईओडब्ल्यू में प्रकरण पहुंचा है।
इसमें शिकायत की गई है कि वर्ष-2004-05 व 2005-06 में दान व अनुदान में भ्रष्टाचार
किया है।
उधर दमोह से समाचार
एजेंसी ऑफ इंडिया के ब्यूरो से पूनम ने बताया कि इस तरह के ही एक अन्य मामले में
दमोह के अनंत विकलांग विशेष विद्यालय नामक एनजीओ का आर्थिक गड़बडियों की शिकायतों
के कारण आईईडी योजना के तहत दिया गया काम स्थगित कर दिया गया। इसकी शिकायतों की
जांच की जा रही है। बालाघाट में भी समेकित योजना में काम कर रहे एनजीओ के खिलाफ
डीपीसी ने असंतुष्ट होकर कलेक्टर को लिखा है, जिसके चलते जांच चल रही है। वहीं सिवनी में
भी एनजीओ के कामकाज को लेकर जिला शिक्षा केंद्र ने पड़ताल शुरू कर दी है। यहां भी
खर्च राशि का पूरा हिसाब जिला शिक्षा केंद्र को नहीं मिला।
दूसरी तरफ तीन अन्य
एनजीओ ने अफसरशाही के असहयोग के कारण काम करना बंद कर दिया है। इसमें दिग्दिर्शिका
भोपाल, मप्र
दृष्टिहीन कल्याण संघ इंदौर और जस्टिस तन्खा मेमोरियल इंस्टीट्यूट जबलपुर शामिल
हैं। इन एनजीओ के तर्क हैं कि जिला स्तर पर अफसर सहयोग नहीं करते। इनके काम न करने
कारण राज्य शिक्षा केंद्र ने इन्हें नोटिस जारी कर दिए हैं।
फर्जी नाम से
अनुदान लेने की गड़बड़ी आधा दर्जन से ज्यादा जिलों में और होने की आशंका है। हैं।
इसे लेकर बीते दिनों राज्य शिक्षा केंद्र में कुछ सहायक परियोजना समन्वयकों
(एपीसी) ने आवाज उठाई है। सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि इन
एपीसी ने कई एनजीओं के कामों को लेकर असंतोष जाहिर किया है। इन जिलों के मामले में
भी जल्द जांच के लिए कदम उठ सकते हैं।
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