गुरुवार, 8 नवंबर 2012

अब फिसली शीला की जुबान


अब फिसली शीला की जुबान

(महेंद्र देशमुख)

नई दिल्ली (साई)। अपने आप को बचाने के चक्कर में नेता दूसरों पर आरोप लगाने के पहले यह भी नहीं सोचते कि इसका असर क्या होगा। दिल्ली में हवा की गुणवत्ता गिरने का संकेत कर रहे धुंध पर मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने कहा कि यह पड़ोसी पंजाब, उत्तर प्रदेश और हरियाणा राज्यों में किसानों द्वारा व्यापक रूप से पुआल जलाने का परिणाम है न कि वायु प्रदूषण का नतीजा।
यमुना के मुहाने पर बने दिल्ली के मुख्यमंत्री कार्यालय के सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि शीला दीक्षित ने कहा कि उनकी सरकार जल्द ही केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय को पत्र लिखकर उससे आग्रह करेंगी कि वह इन राज्यों से कहे कि वे अपने किसानों को बड़े पैमाने पर पुआल न जलाने दें।
सूत्रों ने आगे कहा कि इस मुद्दे पर मंत्रिमंडल की बैठक के बाद उन्होंने वायु की गुणवत्ता में और गिरावट आने की आशंका जताई और नागरिकों से अगले सप्ताह दिवाली पर पटाखे नहीं जलाने की अपील की। मुख्यमंत्री ने कहा, धुंध दिल्ली की सड़कों पर चलने वाली गाड़ियों के प्रदूषण से नहीं हुआ है। एक्सपर्ट्स ने पाया है कि उत्तर प्रदेश, पंजाब और हरियाणा में पुआल जलाने से ऐसा हुआ क्योंकि धुंआ दिल्ली पहुंच गया।
अब सवाल यह उठता है कि दिल्ली का प्रदूषण क्या आसपास जलने वाले पुआल की वजह से है? दरअसल, दिल्ली में वाहनों की तादाद इतनी ज्यादा है कि इनसे उत्सर्जित होने वाली गैस ठंड के दिनों में उपर तेजी से नहीं उठ पाती है। इसके साथ ही साथ दिल्ली नगर निगम सीना के अंदर चल रहे उद्योग धंधों से निकलने वाला हानिकारक धुंआ भी इसका प्रमुख कारक है।
हरियाली के नाम पर हर साल अरबों रूपए पानी में बहाने के बाद भी दिल्ली को अब तक हरा भरा नहीं किया जा सका। मजे की बात तो यह है कि कामन वेल्थ गेम्स में दिल्ली को हरा भरा किया जा सकता था, किन्तु उस दौरान गमलों में प्लांटस लगाकर महज औपचारिकता ही पूरी की गई है। यमुना नदी के पाट पर भी दिल्ली सरकार अगर वृक्षारोपण कर दे तो इस समस्या से काफी हद तक निजात मिल सकती है।

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