गुरुवार, 8 नवंबर 2012

मध्यप्रदेश-सन्देश में होगा ठेके का सम्पादक


लाजपत ने लूट लिया जनसंपर्क ------------------ 8

मध्यप्रदेश-सन्देश में होगा ठेके का सम्पादक


भोपाल (साई)। मध्यप्रदेश सन्देश नामक सरकारी पत्रिका को शिवराज सरकार ठेके पर देने का मन बना रही है, इसके लिए सबसे पहले ठेके का सम्पादक सरकार ने तलाश कर उसकी नियुक्ती कर दी है। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह का भरोसा अपनी व अपनी सरकार की छवि बनाने वाले जनसम्पर्क विभाग व उनके अधिकारीयों से उठ गया है, पिछले दिनों शिवराज ने विभाग की बैठक में साफ-साफ विभाग बंद करने तक की धमकी अधिकारीयों को दे दी थी। अधिकारी हतप्रभ हैं कि क्या करे, क्या न करें? चर्चा का बाजार गर्म है जनसंपर्क विभाग के सूत्र बताते है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने चेतावनी दी थी कि यह बातें बैठक के बाहर नहीं जाना चाहिए, लेकिन बातें धीरे धीरे बाहर आ गई। मुख्यमंत्री अपनी सरकार की पोलें खोलने वाली वेबसाइट व फीचर सेवा पर पहले ही रोक लगा चुके हैं और आगे भी अख़बारों व अन्य मीडिया पर लगाम लगाने के इरादे जाहिर कर चुके हैं।
जनसम्पर्क विभाग के वरिष्ठ अधिकारी बताते है कि अब कुछ खास लोगों को उपकृत करने की मंशा के चलते शिवराज ने विभाग में ठेका प्रथा शुरू करने जा रहे है। और इसकी शुरुआत में सरकार सबसे पहले अपने मुखपत्र श्श्मध्यप्रदेश सन्देशश्श् को ही ठेके पर देने जा रही है। गौरतलब है की इस पत्रिका का प्रकाशन बंद कर दिया गया था बाद में पूर्व जनसंपर्क आयुक्त अरुणा शर्मा की पहल पर इसका पुनः प्रकाशन प्राम्भ किया गया पूर्व में जनसंपर्क विभाग के अपर संचालक स्तर के अधिकारी की देखरेख में इस पत्रिका का संपादन होता आया है किन्तु कुछ समय से मुख्यमंत्री शिवराज उसके ले आउट, लेखन सामग्री को लेकर खुश नहीं थे।
सूत्र बताते है इसके लिए सबसे पहले शिवराज सिंह ने अपने मातहतों से ठेके के सम्पादक की तलाश शुरू करवाई। खबर है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने गिरिजाशंकर नामक पत्रकार व अपने निजी मीडिया सलाहकार को सन्देश का सलाहकार सम्पादक बनाने के आदेश दिए व ५०,००० रुपये महीना और अन्य भत्ते के साथ उनकी नियुक्ति ठेके पर मध्यप्रदेश माध्यम से की है।
सूत्र बताते हैं कि बाद में जनसम्पर्क की सहयोगी संस्था माध्यम में राघवेन्द्र सिंह, दीपक तिवारी जैसे पत्रकारों को मीडिया विशेषज्ञ पद से उपकृत करने की योजना है अब विभाग के अफसरान इन नियुक्तियों को लेकर असमंजस में हैं। समस्त अधिकारीयों में गुपचुप चर्चा जारी है कि क्या जनसंपर्क, माध्यम में योग्य अधिकारीयों की कमी है? ठेके पर नियुक्ति की बात अधिकारीयों के गले नहीं उतर रही, किन्तु करें भी तो क्या करें,मुख्यमंत्री के आगे सब विवश हैं?
(इनसाईट टीवी न्यूज से साभार)

कोई टिप्पणी नहीं: