मंगलवार, 19 मार्च 2013

बिजली कम परेशानी ज्यादा पैदा करेंगे गौतम थापर।


0 रिजर्व फारेस्ट में कैसे बन रहा पावर प्लांट . . . 18

बिजली कम परेशानी ज्यादा पैदा करेंगे गौतम थापर।

(मणिका सोनल)

नई दिल्ली (साई)। देश के जाने माने उद्योगपति गौतम थापर के स्वामित्व वाले अवंथा समूह के सहयोगी प्रतिष्ठान मेसर्स झाबुआ पावर लिमिटेड के द्वारा मध्य प्रदेश के सिवनी जिले के आदिवासी बाहुल्य घंसौर विकासखण्ड में डाले जाने वाले 1260 मेगावाट के पावर प्लांट से बिजली तो कम स्थानीय स्तर पर निवासियों के लिए परेशानी ज्यादा पैदा होने की उम्मीद जताई जा रही है। प्रदूषण नियंत्रण मण्डल की सांठगांठ से नियम कायदों को दरकिनार कर डाले जा रहे इस पावर प्लांट के आरंभ होते ही स्थानीय स्तर पर लोगों को बीमारियां अगर घेर लें तो किसी को आश्चर्य नहीं होना चाहिए।
वन एवं पर्यावरण मंत्रालय के सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑॅफ इंडिया को बताया कि पर्यावरण मामलों की जानी-मानी संस्था ग्रीनपीस और अर्बन इमिशंस द्वारा मुंबई के कंजर्वेशन एक्शन ट्रस्ट की अगुवाई में की गई एक स्टडी से अनेक चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि देश मे डले पावर प्लांट्स से उत्सर्जित उर्जा, विकिरण, धुआं, राख आदि तमाम कारणों से अकेले 2011-12 में ही करीब एक लाख लोग अकाल मौत के शिकार हो गए। इसके अलावा लाखों अन्य लोग गंभीर बीमारियों की चपेट में हैं और इनके इलाज पर हर साल आम जनता का करीब 23 हजार करोड़ रुपया खर्च हो रहा है। कोयला आधारित पावर प्लांट्स के कारण होने वाली मौतों और बीमारियों के बारे में यह देश की पहली व्यापक स्टडी है। इसमें 111 पावर प्लांट्स से जुड़े आंकड़ों को शामिल किया गया है।
सूत्रों ने साई न्यूज को आगे बताया कि रिपोर्ट में कहा गया है कि दिल्ली, हरियाणा, पश्चिम बंगाल और झारखंड में इन प्लांट्स से पैदा होने वाली समस्या सबसे ज्यादा गंभीर है। 2012 में इन प्लांट्स से होने वाले उत्सर्जन के कारण दिल्ली और हरियाणा क्षेत्र में 8800 और पश्चिम बंगाल, झारखंड में 14900 लोगों को जान से हाथ धोना पड़ा। मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और उड़ीसा में इसी दौरान 11 हजार लोगों की जान गई।
सूत्रों ने बताया कि उत्सर्जन के कारण वर्ष 2011-12 में पांच साल से कम उम्र के करीब 10 हजार बच्चों की मौत हुई, इसके अलावा 62 करोड़ को सांस लेने में परेशानी का सामना करना पड़ा। इतना ही नहीं 84 लाख को सीने में जलन आदि जैसी समस्याएं सामने आईं और दो करोड़ लोगों को अस्थमा की बीमारी हुई। इस दौरान अस्पताल में आपातकाल विभाग में नौ लाख लोगों ने आमद दी थी।
इस आधार पर यह माना जा सकता है कि अगर सावधानी के बिना सरकारी तंत्र के साथ मिलकर सांठगांठ के जरिए घंसौर में मेसर्स झाबुआ पावर लिमिटेड का पावर प्लांट और अन्य दो प्रस्तावित पावर प्लांट डलते हैं तो आने वाले समय में सिवनी जिले के घंसौर में बीमारों और बीमारी से मरने वालों की तादाद में विस्फोटक बढ़ोत्तरी होना तय है।
(क्रमशः जारी)

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