मंदी में भी
मंत्रियों ने काटी चांदी
(प्रियंका)
नई दिल्ली (साई)।
ऐसे वक्त में जब देश आर्थिक मंदी के झटके झेल रहा हो, केंद्र सरकार के
मंत्रियों पर इसका खास असर देखने को नहीं मिला। इस दौर में केंद्र के मंत्रियों ने
अपने दौरों में रेकॉर्ड खर्च किए। महज एक साल के अंदर इन दौरों पर होने वाला खर्च 12 गुणा तक बढ़ गया।
इसका खुलासा आरटीआई ऐक्ट के तहत मांगी गई जानकारी से हुआ है।
बीते वित्तीय साल
में इन दौरों के लिए 47 करोड़ का बजट आवंटित हुआ था। लेकिन खर्च 6 अरब रुपये से भी
अधिक हो गया। यह पहला मौका है जब दौरों पर हुए खर्च ने 1 अरब का आंकड़ा पार
किया। खबरों के मुताबिक, दौरों पर हो रहे अंधाधुंध खर्च को लेकर तत्कालीन वित्त मंत्री
प्रणव मुखर्जी ने सवाल खडे़ किए थे और कटौती की दिशा में महंगे होटल में मीटिंग
करने से परहेज करने के अलावा दौरों पर भी कम खर्च करने की सलाह दी थी।
इन दौरों पर हो रहे
खर्च पर लगातार विवाद के मद्देनजर सरकार ने पिछले दिनों नए कदम भी उठाए हैं। इसके
तहत तमाम मंत्रियों और अधिकारियों को हर दौरे से संबंधित सूचना सार्वजनिक करनी
होगी। इसमें दौरे के मकसद के अलावा उस पर होने वाले खर्च की जानकारी देना भी शामिल
है। आरटीआई दायर करने वाले सुभाष चंद्र अग्रवाल ने कहा कि लोगों को ऐसे खर्चों के
बारे में जानकारी हासिल करने का पूरा अधिकार है।
वित्तीय वर्ष 2009-10 किया गया खर्च 81 करोड़ 55 लाख, वित्तीय वर्ष 2010-11 में किया गया
खर्च- 56 करोड़ 16 लाख, वित्तीय वर्ष 2011-12 में किया गया
खर्च- 6 अरब 78 करोड़ रहा।
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