शनिवार, 29 सितंबर 2012

न्यूनतम मजदूरी हुई 117 रूपए


न्यूनतम मजदूरी हुई 117 रूपए

(आशीष माहेश्वरी)

नई दिल्ली (साई)। देश के सभी राज्यों में किसी भी काम में जुटे कामगार को न्यूनतम 115 रुपए रोजाना मजदूरी मिल सकेगी। केंद्र की न्यूनतम मजदूरी दर को मानने के लिए ज्यादातर राज्य सरकारें सहमत हो गई हैं। उन्होंने केंद्र की ओर से तय 115 रुपए न्यूनतम मजदूरी को कानूनी तौर पर अमली जामा पहनाने पर सहमति जता दी है। फिलहाल यह गैर सांविधिक है।
न्यूनतम मजदूरी अधिनियम,1948 में संशोधन के प्रस्ताव पर 23 राज्यों ने सहमति जताते हुए अपने सुझाव केंद्र सरकार को पेश कर दिए हैं। दिल्ली और केरल ने न्यूनतम मजदूरी पर सहमति जताते हुए कहा है कि अधिनियम के तहत कामगारों की क्षतिपूर्ति की राशि 100 रुपए से बढ़ाकर 500 रुपए की जानी चाहिए। जबकि महाराष्ट्र ने क्षतिपूर्ति राशि को 1000 रुपए तक करने की वकालत की है। पुडूचेरी का कहना है कि ऐसे राज्य जहां वीडीए का प्रावधान नहीं है, वहां प्रत्येक तीन वर्ष में न्यूनतम मजदूरी में संशोधन होना चाहिए।
श्रम मंत्रालय के मुताबिक देश में 15 ऐसे राज्य हैं जहां 115 रुपए से कम मजदूरी दी जा रही है। हालांकि मंत्रालय का मानना है कि मौजूदा महंगाई के परिप्रेक्ष्य में रोजाना 115 रुपए न्यूनतम मजदूरी भी कम है। बृहस्पतिवार को श्रम मंत्री मल्लिकार्जुन खड़गे ने राज्यों के श्रम मंत्रियों की बैठक में उन्हें समझाते हुए कहा कि राष्ट्रीय फ्लोर लेवल न्यूनतम मजदूरी तय करने के पीछे सरकर की मंशा सभी राज्यों में मजदूरी की असमानता को दूर करना था।
यही वजह है कि मंहगाई के मद्देनजर न्यूनतम मजदूरी के साथ महंगाई भत्ता (वीडीए) को जोड़ा गया था। हालांकि बढ़ती महंगाई का हवाला देते हुए केंद्र की ओर से सभी राज्यों को वीडीए लागू करने की चिट्ठी भेजने के बावजूद हिमाचल प्रदेश, जम्मू कश्मीर समेत 11 राज्यों ने इसे अभी तक नहीं अपनाया है। मालूम हो कि राज्यों के परामर्श के आधार पर श्रम मंत्रालय जल्द न्यूनतम मजदूरी अधिनियम,1948 में संशोधन का प्रस्ताव कैबिनेट में लाएगा।

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