मोदी नहीं शिवराज
हैं विकास के पुरोधा!
(लिमटी खरे)
सूरजकुण्ड (साई)।
भारतीय जनता पार्टी के भविष्य को लेकर अब कुहासा धीरे धीरे साफ होने लगा है।
भाजपाध्यक्ष नितिन गड़करी जो कल तक गुजरात के निजाम नरेंद्र मोदी के सामने बौने नजर
आने लगे थे, ने मोदी की
लाईन छोटी करना आरंभ कर दिया है। हाल ही में नेशनल कार्यकारिणी में नरेंद्र मोदी
की मौजूदगी में गड़करी ने मोदी के बजाए देश के हृदय प्रदेश के निजाम शिवराज सिंह
चौहान को विकास पुरूष निरूपित कर सभी को चौंका दिया है।
भाजपा की राष्ट्रीय
परिषद की बैठक वैसे भी सभी की निगाहों में इसलिए भी थी क्योंकि इसमें गड़करी को
दूसरा टर्म मिलने के साथ ही साथ इसमें अगले आम चुनावों का रोड़मैप तैयार किया जाना
था। भाजपा के छः मुख्यमंत्रियों की उपस्थिति को भी एक अच्छा संकेत माना जा रहा था।
माना जा रहा था कि इन छः में से कम से कम शिवराज और नरेंद्र मोदी तो कार्यकर्ताओं
को अपने संबोधन में नई दिशा देंगे, वस्तुतः एसा हुआ नहीं।
एक मुख्यमंत्री के
करीबी ने नाम उजागर ना करने की शर्त पर समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया से चर्चा के दौरान
कहा कि मुख्यमंत्रियों को राष्ट्रीय परिषद की बैठक में बुलाकर शोभा की सुपारी
बनाने का ओचित्य समझ से परे है। मुख्यमंत्रियों के संबोधन के बिना यह बैठक अधूरी
ही लग रही है और इसके चलते कार्यकर्ताओं में तरह तरह की शंकाएं कुशंकाएं घुमड़ रही
हैं। किसी भी सीएम ने एक भी प्रस्ताव नही रखा।
उधर, गड़करी के करीबी
सूत्रों का कहना है कि अगर एक भी सीएम को माईक दिया जाता तो फिर आधा दर्जन सीएम
बोलते तो कार्यकर्ताओं को उब होने लगती। इसके साथ ही साथ चालाक चतुर सुजान नरेंद्र
मोदी तो मंच ही लूट ले जाते। वे अपने एजेंडे को कुछ इस तरह रखते कि परिषद का
एजेंडा ही चुरा लिया जाता। गड़करी को शंका थी कि कहीं एक बार फिर कार्यकर्ताओं के
सामने मोदी उन्हें बोना साबित ना कर दें। इसी डर के चलते आधा दर्जन मुख्यमंत्रियों
को शोभा की सुपारी ही बनाए रखा गया।
इसके साथ ही साथ कल
तक जिस तेजी से नरेंद्र मोदी को राष्ट्रीय नेता बनाने की मुहिम चलाई गई थी, उसकी हवा भी धीरे
धीरे निकाल दी गई है। हवा में उड़ते मोदी के पर संघ ने भी कुतर दिए थे। अब मोदी को
गुजरात तक ही सीमित करने में संघ और भाजपा के आला नेताओं ने कोई कसर नहीं रख छोड़ी
है।
आग और पानी का
संतुलन बनाते हुए भाजपाध्यक्ष नितिन गड़करी ने एक तीर से कई सारे निशाने साध लिए
हैं। राष्ट्रीय परिषद की बैठक मे नितिन गड़करी ने मोदी की उपस्थिति में ही शिवराज
सिंह चौहान को विकास पुरूष की उपाधि से नवाजकर ना केवल मोदी को ही झटका दिया है, वरन मध्य प्रदेश
में शिवराज के लिए सरदर्द बन चुके भाजपा के सूबाई निजाम प्रभात झा को भी साईज में
रहने का संदेश दे डाला है।
शिवराज के करीबी
सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया से चर्चा के दौरान कहा कि शिवराज सिंह चौहान
पिछले कुछ माहों से सत्ता और सरकार में संगठन के दखल से खासे परेशान थे। इस संबंध
में शिवराज ने कई बार संघ और भाजपा के आला नेताओं से चर्चा भी की थी, पर इसका नतीजा कुछ
निकल नहीं पाया था।
शिवराज पर दबाव
डालकर महत्वपूर्ण विभागों में अपने पसंदीदा अधिकारियों की नियुक्ति करवाकर प्रभात
झा ने शिवराज सिंह चौहान की बिदाई का रोड़मैप तय कर लिया था। सूत्रों ने यह भी कहा
कि मूलतः बिहार के प्रभात झा वैसे तो पहले एमपी में काम कर चुके हैं पर सत्ता में
बिहार मूल के अफसरों को जमकर नवाजे जाने के आरोप भी भाजपा के अंदरखाने में लग ही
रहे हैं।
शिवराज सिंह चौहान
के सत्ता संभालने के उपरांत मध्य प्रदेश सरकार द्वारा लागू की गई जनकल्याणकारी
योजनाओं को ना केवल भाजपा वरन् कांग्रेस की सरकारों ने भी सराहा है। अनेक योजनाएं
तो एसी हैं जिन पर शिवराज सिंह चौहान का ठप्पा लगा होने के बाद भी केंद्र सरकार
द्वारा ना केवल उन्हें सराहा गया वरन उसे अमली जामा पहनाने का प्रयास भी किया गया।
मध्य प्रदेश सरकार
की ‘लाड़ली
लक्ष्मी‘ योजना का
जादू मध्य प्रदेश में सर चढ़कर बोल रहा है। एमपी के अलावा अनेक राज्यों ने इस योजना
को अंगीकार किया है। इसके बाद एक के बाद एक सुपर डुपर हिट योजनाएं दी हैं शिवराज
सिंह चौहान की भाजपा सरकार ने। हाल ही में मुख्यमंत्री तीर्थदर्शन योजना भी काफी
लुभावनी और आकर्षित लग रही है।
माना जा रहा है कि
भाजपा के निजाम नितिन गड़करी ने आधा दर्जन भाजपाई मुख्यमंत्रियों की उपस्थिति में
शिवराज सिंह चौहान की तारीफों में करीदे गढ़कर यह संदेश देने का प्रयास किया है कि
अपने वक्तव्यों के जरिए लाईम लाईट में आने वालों से ज्यादा तवज्जो पार्टी उसे देगी
जो जमीनी स्तर पर मौन रहकर काम करने में विश्वास रखता हो। कहा जाता है कि शिवराज
सिंह चौहान द्वारा ‘लास्ट लाईन
एण्ड लो प्रोफाईल‘
को अपना मूल मंत्र बनाया हुआ है।
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