हर प्राकृतिक
संसाधन की नीलामी उचित नहीं
(महेंद्र देशमुख)
नई दिल्ली (साई)।
उच्चतम न्यायालय ने फैसला सुनाया है कि सभी क्षेत्रों में प्राकृतिक संसाधनों के
आवंटन के लिए, नीलामी
एकमात्र उचित तरीका नहीं है। न्यायालय ने कहा कि टूजी मामले में उसका फैसला
स्पेक्ट्रम के आवंटन तक ही सीमित है और यह अन्य संसाधनों पर लागू नहीं होता । टू
जी स्पेक्ट्रम के बारे में राष्ट्रपति के संदर्भ पर अपनी राय देते हुए प्रधान
न्यायाधीश एच एस कापड़िया की अध्यक्षता वाली संविधान पीठ ने यह भी फैसला सुनाया कि
जन साधारण का हित किसी भी नीति की कसौटी है। अगर इसका पालन होता है तो संवैधानिक
प्रावधानों के अनुसार कोई भी तरीका अपनाया जा सकता है।
संविधान पीठ ने कहा
कि नीलामी प्राकृतिक संसाधनों के हस्तांतरण या आवंटन के लिए अधिक मान्य तरीका है।
इसके बावजूद यह सभी प्राकृतिक संसाधनों के हस्तांतरण के लिए संवैधानिक प्रावधान या
सीमा नही हो सकता। इसलिए नीलामी के अतिरिक्त हर तरीके को संवैधानिक रूप से अवैध
घोषित नहीं किया जा सकता। दूरसंचार मंत्री कपिल सिब्बल ने टू-जी स्पेक्ट्रम मामले
में उच्चतम न्यायालय के फैसले का स्वागत करते हुए कहा है कि सर्वाेच्च न्यायालय ने
सरकार के रूख को सही ठहराया है। उन्होंने कहा कि न्यायालय ने इस मुद्दे पर
संवैधानिक प्रावधानों को स्पष्ट कर दिया है।
उन्होंने कहा कि
कोई यह नहीं कह सकता कि संविधान में यह लिखा है कि आपको ऑक्शन करना है नेचुरल
रिर्साेसिस का। और जहां तक समाजिक अच्छाई की बात हो वहां रिवेन्यू मैक्सीमाइजेशन
अपने आप में एक लक्ष्य नहीं हो सकता। और जहां तक आर्थिक नीतियों का सवाल हो, वो सरकार के दायरे
में आती है और सरकार सामाजिक अच्छाई और सामाजिक न्याय को सामने रखते हुए अपनी
नीतियां बना सकती है। कानून मंत्री सलमान खुर्शीद ने कहा है कि टू जी स्पेक्ट्रम
मामले के बारे में राष्ट्रपति के संदर्भ पर उच्चतम न्यायालय का स्पष्टीकरण बहुत ही
महत्वपूर्ण है।
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