यह पैसा किस पेड़ से
उगा पता नहीं!
(रोशनी भार्गव)
नई दिल्ली (साई)।
घपले घोटाले, भ्रष्टाचार, अनाचार से घिरी
कांग्रेसनीत केंद्र सरकार के मुखिया डॉ.मनमोहन सिंह ने देश को आठ सालों में पहली
बार सफाई देते हुए कहा था कि पैसा पेड़ों पर नहीं उगता। सूचना के अधिकार कानून के
तहत मनमोहन सिंह की उस बात का राज भी खुल गया है कि देश के गरीब गुरबों के लिए
पैसा पेड़ों पर नहीं उगता पर फिजूलखर्ची और विलासिता के लिए पैसा कहां से लाया गया?
घर का खाना लोग
इसलिए खाते हैं कि खर्चा कम हो और सेहत दुरुस्त। लेकिन प्रधानमंत्री ने जब
मेहमानों को खाने पर बुलाया तो खर्चे से खलबली मच गई और खजाने की सेहत पस्त हो गई।
375 मेहमानों
को खिलाने पर 29 लाख रुपये
उड़ा दिए गए प्रधानमंत्री के भोज में एक वक्त के खाने पर। ये दावत यूपीए-2 सरकार की तीसरी
सालगिरह पर प्रधानमंत्री ने दी थी। 7721 रुपये की एक थाली परोसी गई थी प्रधानमंत्री
की दावत में।
आपने सिर्फ मुहावरों
में छप्पन भोग सुना होगा। लेकिन इस दावत में वाकई 56 तरह के व्यंजन
परोसे गए थे। ये उस सरकार के जश्न में परोसी गई थाली की कीमत है जो कहती है कि 16 रुपये में इस देश
का आम आदमी मजे में खाना खा सकता है। अगर उसकी इस दलील को मान लें तो यूपीए के भोज
में परोसी गई एक थाली की एवज में 250 लोगों की बारात खा सकती थी। या एक आदमी 6 महीने तक दोनों
वक्त की रोटी खा सकता था।
56 भोग के उड़ाने वाले मंत्रियों ने उड़ने में
भी कोई रहम नहीं किया खजाने पर। पिछले साल मंत्रियों के विदेश दौरे शुरू हुए तो
बजट पनाह मांगने लगा। पूरे 678 करोड़ रुपए मंत्रियों ने फूंक दिया विदेश
दौरों पर। ये रकम तय बजट से एक दो नहीं पूरे 12 गुना ज्यादा थी।
इन उडा़नों पर इतने उड़ गए कि आम आदमी का दिमाग उड़ जाए।
खाली होते सरकारी
खजाने को भरने के लिए किसानों और आम आदमी को दी जाने वाली सब्सिडी पर कैंची में
कोई कोताही न करने वाली मनमोहन सिंह की सरकार ने मंत्रियों के खर्चे में कभी कोई
कंजूसी नहीं बरती। सूचना के अधिकार के तहत मिली एक जानकारी में जो खुलास हुआ है
उसे सुनकर आप चकरा जाएंगे।
मनमोहन सिंह की
सरकार में मंत्रियों की मुसाफिरी खजाने पर बहुत भारी पड़ी है। 2011-12 में 678 करोड़ 52 लाख 60 हजार रुपए
मंत्रियों के विदेश दौरों पर स्वाहा हो गए। विदेश दौरों के पीछे मंत्री ऐसे बावरे
हुए कि पता ही नहीं चला कि बजट का बैंड बज चुका है। विदेश दौरों का बजट 2011-12 का बजट 46 करोड़ 95 लाख रुपए था जबकि 2010-11 में विदेश दौरे पर
56 करोड़
रुपये खर्च हुए थे। यानी इस वर्ष पिछले साल से 12 गुना ज्यादा खर्च
विदेशी दौरों पर किया गया।
मंदी के दौर में जब
गरीब जनता कराह रही है तब प्रधानमंत्री और उनके दमाद (समूचे मंत्री) बार बार जनता
के पैसों पर विदेशों में मौज करते रहे। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह 2010-11 7 दौरे, 2011-12 14 दौरे, विदेश मंत्री एसएम
कृष्णा 2010-11 6 दौरे, 2011-12 15 दौरे, वाणिज्य मंत्री
आनंद शर्मा 2010-11
4 दौरे, 2011-12 8 दौरे, पर्यटन मंत्री सुबोधकांत सहायरू 2010-11 कोई दौरा नहीं, 2011-12 5 दौरे। इन
सारे दौरों का खर्च मिलाकर बनता है 678 करोड़ 52 लाख 60 हजार रुपये। पिछले
साल से एक दो नहीं पूरे 12 गुना ज्यादा। मंत्रियों की ये मुसाफिरी सरकारी खजाने पर बहुत
भारी पड़ी है।
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