सोमवार, 9 जुलाई 2012

वर्षा के चलते विद्युत की माँग घटकर 5125 मेगावॉट हुई


वर्षा के चलते विद्युत की माँग घटकर 5125 मेगावॉट हुई

भोपाल (साई) प्रदेश में वर्तमान में हो रही वर्षा के चलते विद्युत की माँग 7 हजार से घटकर करीब 5125 मेगावॉट हो गई है। यदि मानसून सामान्य रहता है तो बिजली की माँग में कमी बनी रहेगी। जल-विद्युत संयंत्रों से विद्युत उत्पादन (सेकेण्डरी जनरेशन) किया जा सकेगा। संभागीय तथा जिला मुख्यालयों को 24 घंटे, तहसील मुख्यालयों को 22 घंटे तथा ग्रामीण क्षेत्र में 18 घंटे विद्युत प्रदाय की जा रही है।
विद्युत की माँग कम होने से गत वर्ष तथा इस वर्ष बैंकिंग से जो बिजली प्राप्त की गई थी, उसे वापस करना भी शुरू कर दिया गया है। शीर्ष माँग अवधि में 360 मेगावॉट तथा गैर-शीर्ष माँग अवधि में 750 मेगावॉट विद्युत बैंकिंग के तहत वापस की जा रही है।
विद्युत संयंत्रों का रख-रखाव
इस वर्ष वर्षा की देरी को देखते हुए पुराने विद्युत संयंत्रों के रख-रखाव का दायित्व पुनरीक्षित किया गया है। वर्तमान में ताप विद्युतगृहों का पीएलएफ करीब 73 प्रतिशत चल रहा है। गत वर्ष इस दौरान यह 60 प्रतिशत चल रहा था। ताप विद्युत संयंत्रों के संचारण के समय भी आ रही छोटी-मोटी समस्याओं को उसी समय दूर किया जा रहा है। इससे ताप विद्युत संयंत्रों के वार्षिक रख-रखाव में कमी लाई जा सकेगी। इसके साथ ही केन्द्रीय क्षेत्र द्वारा भी उनके ताप विद्युत संयंत्रों का रख-रखाव कार्य तेजी से चल रहा है।
इसी प्रकार वर्तमान में हो रही वर्षा से जल-विद्युत संयंत्रों के जलाशयों में जल बहकर आ रहा है, परंतु शुरू में इस जल में घुली हुई मिट्टी की मात्रा अधिक होती है। जलाशयों की गहराई कम (उथलापन) होने की आशंका को देखते हुए बड़े जल संयंत्रों में इस पानी का भण्डारण नहीं किया जाता। सभी जल संयंत्रों के टर्बाइन गर्मी के मौसम में ठीक कर दिये गये। पेंच जल-विद्युतगृह की इकाई क्रमांक-2 में खराबी आने के कारण वार्षिक रख-रखाव के लिये बंद किया गया है।
रबी मौसम में विद्युत आपूर्ति की तैयारी

प्रदेश में रबी मौसम में सिंचाई के लिये किसानों को पर्याप्त विद्युत आपूर्ति करने की तैयारी भी की गई है। इसके लिये गत वर्ष जले तथा खराब वितरण ट्रांसफार्मर स्थानीय मरम्मत इकाई में ठीक किये जा रहे हैं, ताकि रबी मौसम में वितरण ट्रांसफार्मरों की कमी न रहे।

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