जनजातिय समूहों को
मुख्य धारा में लाने का प्रयास
(प्रीति सक्सेना)
चेन्नई (साई)। भारत
के एक प्रमुख दक्षिणी राज्य तमिलनाडु में कई महत्वपूर्ण जनजातीय समूह है। वर्ष
२००१ की जनगणना के अनुसार राज्य की जनजातीय आबादी देश की कुल आबादी का एक दशमलव
शून्य चार प्रतिशत थी। इन जनजातियों के सामाजिक आर्थिक विकास में तेजी लाने के लिए
अनुकूल महौल बनाने के वास्ते राज्य सरकार ने केन्द्र सरकार के साथ मिलकर कई कदम
उठाए हैं।
धर्मापुरी जिले की
हारूर और पपिरेद्दिपट्टी तालकुओं में राज्य की दो प्रतिशत जनजातीय आबादी रहती है।
जिला प्रशासन के सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि बच्चों के विकास
के लिए स्कूलों और गांवों में आयाजित किए जा रहे जागरूकता शिविर काफी सफल साबित हो
रहे हैं। सूत्रों का कहना है कि जिला प्रशासन शिक्षा स्वास्थ्य और सड़कों को जोड़ने
पर ज्यादा ध्यान दे रहे हैं।
सूत्रों ने आगे कहा
कि प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना तथा राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक के
जरिए प्रशासन ने १२ किलोमीटर की ५ सड़कों को जोड़ने का काम लिया है। जिला प्रशासन
आवासीय योजनाओं को जनजातीय क्षेत्रों में पहुंचा रहे हैं। सोलर लाइट से दूर दराज
के इलाकों में बिजली दी जा रही है। इतना ही नहीं सूत्रों ने यह भी बताया कि
राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के तहत जनजातीय महिलाओं के प्रसव से पहले और बाद
में देखभाल के लिए चिकित्सा दल जांच करते हैं जिससे उनको काफी लाभ पहुंच रहा है।
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