सोमवार, 9 जुलाई 2012

सरकार की ही उपेक्षा में लगा सरकारी महकमा!


सरकार की ही उपेक्षा में लगा सरकारी महकमा!

(नंद किशोर)

भोपाल (साई)। मध्य प्रदेश सरकार की छवि चमकाने, जनहित की योजनाओं को जनता तक पहुंचाने, सरकार की उपलब्धियों के बखान के लिए पाबंद सरकार का एक महकमा सरकार की ही उपेक्षा पर आमदा नजर आ रहा है। पहले न्यूयार्क में मिले प्रदेश सरकार को सम्मान की खबर को बाद में जारी किया गया अब मनरेगा में एमपी की उलब्धि को भी नजर अंदाज ही किया जाता प्रतीत हो रहा है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना-मनरेगा को लागू करने में मध्यप्रदेश का  प्रदर्शन निरंतर बेहतर रहा है। वह अन्य राज्यों की तुलना में प्रदर्शन के आधार पर पांच श्रेणियों में पहले दस राज्यों में शामिल हो गया है। हमारे संवाददाता ने बताया है कि मनरेगा के माध्यम से अधिक से अधिक संख्या में ग्रामीणों को न सिर्फ रोजगार उपलब्ध कराया जा रहा है बल्कि उनके लिए आजीविका के स्थाई संसाधन भी तैयार किए जा रहे हैं।
बताया जाता है कि मध्यप्रदेश मनरेगा के अंतर्गत कुल व्यय करने में तीसरे स्थान पर, मानव दिवस सृजन और सौ दिनों रोजगार कार्यपूर्ण करने वाली परिवार संख्या में पांचवे स्थान पर, परिवारों को रोजगार उपलब्ध कराने में छठवें और अनुसूचित जाति वर्ग के मानव दिवस सृजन करने में दसवें स्थान पर हैं।
केन्द्र सरकार की मासिक सूचना प्रणाली की रिपोर्ट के अनुसार मई २०१२ तक मध्यप्रदेश में ९४ लाख ३१ हजार मानव दिवस का सृजन कर रोजगार उपलब्ध करवाया गया है। भारतीय प्रबंधन संस्थान आईआईएम इंदौर द्वारा किये गये सर्वेक्षण के अनुसार ६५ प्रतिशत ग्रामीणों द्वारा मनरेगा से आय में वृद्धि होना और जीवन में खुशहाली आना स्वीकार किया है।
इसके बाद भी शिवराज सिंह चौहान की इतनी बड़ी उपलब्धि का ही मध्य प्रदेश सरकार के जनसंपर्क महकमे द्वारा प्रचार प्रसार ना किया जाना आश्चर्यजनक ही माना जा रहा है। वाणगंगा स्थित जनसंपर्क संचालनालय में चल रही चर्चाओं के अनुसार अब इस कार्यालय में सत्ता के बजाए संगठन तेजी से हावी होता दिख रहा है। यही कारण है कि अफसरान आजकल सरकार की उपलब्धियों के बारे में ज्यादा ध्यान देना मुनासिब नहीं समझ रहे हैं।
यहां उल्लेखनीय होगा कि पांच जुलाई से इन पंक्तियों के लिखे जाने तक मध्य प्रदेश सरकार के भगवा वेष धारित जनसंपर्क की वेब साईट ने मनरेगा की महज एक ही खबर जारी की है जिसका शीर्षक मनरेगा में निगरानी की अभिनव पहल, ‘‘स्टेट क्वालिटी मॉनिटर्स’’ है।
खबर में कहा गया है कि प्रमुख सचिव पंचायत एवं ग्रामीण विकास श्रीमती अरूणा शर्मा ने कहा कि स्टेट क्वालिटी मॉनिटर्स अपने दीर्घकालीन अनुभवों से मनरेगा के निर्माण कार्यों को बेहतर बनाने में सहायक सिद्ध होंगे। यह बात उन्होंने मॉनिटर्स की कार्यशाला में कही। उन्होंने कहा कि मॉनिटर्स बिना किसी डर के अपना कार्य कर्मठता से करें और वस्तु-स्थिति की वास्तविक रिपोर्ट प्रस्तुत करें। यह भी बतायें कि कार्य की गुणवत्ता को और अधिक बेहतर कैसे बनाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि मॉनिटर्स विभाग के अंतर्गत निर्मित होने वाली सीसी रोड, विभिन्न भवन निर्माण, मेढ़ बंधान, स्टॉप डेम, कपिल धारा के कुएँ, स्वच्छ शौचालय आदि के निर्माण की भी मॉनिटरिंग कर सकेंगे।
मनरेगा आयुक्त श्री नीरज मंडलोई ने कहा कि प्रदेश में मनरेगा के कार्यों की गुणवत्ता की स्वतंत्र रूप से मॉनिटरिंग के लिये सेवानिवृत्त वरिष्ठ इंजीनियर्स को स्टेट क्वालिटी मॉनिटर्स बनाया गया है। उन्होंने बताया कि एस.क्यू.एम्स. को संस्थागत रूप देने का प्रयास किया जा रहा है। प्रदेश के अन्य विभाग भी इसमें रूचि ले रहे हैं। श्री मंडलोई ने कहा कि राष्ट्रीय स्तर पर भी व्यवस्था की सराहना की जाकर जानकारी मांगी जा रही है। उन्होंने अपेक्षा की कि एस.क्यू.एम्स. निर्माण कार्यों की गुणवत्ता की जाँच के साथ ही अपने अनुभवों का लाभ मैदानी अमले को प्रदान करें। कार्यशाला में गुणवत्ता मॉनिटरिंग के दिशा-निर्देशों से अवगत करवाया गया। प्रत्येक कार्य की मॉनिटरिंग के लिए पृथक-पृथक प्रारूप निर्धारित किए गए हैं।

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