आतंक का गढ़ नहीं बन
पाएगा अफगानिस्तान
टोक्यो (साई)। भारत
तथा दुनिया के अन्य प्रमुख देशों ने कहा
है कि वे अफगानिस्तान को फिर से आतंकवाद
का गढ़ नहीं बनने देंगे। प्रमुख दानदाता देशों ने युद्धपीड़ित अफगानिस्तान को १६ अरब
डालर की सहायता का भी वचन दिया ताकि २०१४ में विदेशी सेनाओं की वापसी के बाद वहां
फिर से अशांति न फैले।अफगानिस्तान पर दिन भर चले सम्मेलन के अंत में पारित
तोक्यो घोषणा में विदेश मंत्री एस एम
कृष्णा और अमरीकी विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन सहित अन्य नेताओं ने अफगानिस्तान की
प्रभुसत्ता, एकता, क्षेत्रीय अखण्डता
और स्वतंत्रता के प्रति सम्मान व्यक्त किया। अफगान राष्ट्रपति हामिद करजई ने अपने
उद्घाटन भाषण में भ्रष्टाचार से लड़ने का पक्का इरादा व्यक्त किया।
इस अवसर पर अमरीकी
विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन ने कहा कि इस राशि से अफगानिस्तान के विकास में मदद
मिलेगी। बताया जाता है कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय के साथ काफी प्रयास करने के बाद
जापान ने अगले चार वर्षों में अफगानिस्तान में विकास के लिए १६ अरब डॉलर की सहायता
देने का वायदा किया है। विश्व बैंक की अनुमान की तुलना में यह राशि बहुत अधिक है।
वैसे, टोकियों में आज
सम्पन्न सम्मेलन में अफगानिस्तान को १६ अरब डॉलर की सहायता मिलना इस बात को
दर्शाता है कि विश्व समुदाय २०१४ में अफगानिस्तान से अंतर्राष्ट्रीय सेना की वापसी
के बाद उसे असहाय नहीं छोड़ेगा। सम्मेलन में दुनिया के ७० से अधिक देशों के
प्रतिनिधियां का एक जुट होना यह भी जाहिर करता है कि अफगानिस्तान को लेकर विश्व
समुदाय कितना चिंतित है। मध्य एशिया, दक्षिण एशिया और पश्चिमी एशिया के बीचो बीच
स्थित अफगानिस्तान सदियों से महाशक्तियों के बीच हौड का खामिजा भुगतता रहा है
लेकिन अब दुनिया यह महसूस करने लगी है कि खुशहाल और शांतिपूर्ण अफगानिस्तान न केवल
इस क्षेत्र को बल्कि समुची दुनिया को जोड़ने वाली कड़ी बन सकता है।
सम्मेलन में विदेश
मंत्री एस एम कृष्णा ने कहा कि पारंपरिक दानदाता देश न होने के बावजूद भारत ने अफगानिस्तान के
पुनर्निर्माण और विकास के लिए पर्याप्त संसाधन उपलब्ध कराए हैं। अफगान राष्ट्रपति
हामिद करजई ने अपने उद्घाटन भाषण में भ्रष्टाचार से लड़ने का पक्का इरादा व्यक्त
किया।
उधर, अफगानिस्तान के
दक्षिणी और पूर्वी प्रांतों में कल विद्रोहियों के हमलों में अंतर्राष्ट्रीय सेना
के सात सैनिक मारे गये। नैटो के नेतृत्व वाली अंतर्राष्ट्रीय सेना के मुख्यालय की
ओर से कल देर रात जारी विज्ञप्ति के अनुसार ६ सैनिक पूर्वी अफगानिस्तान में देसी
बम के विस्फोट में मारे गये. इसी तरह की एक अन्य घटना में एक अन्य नैटो सैनिक मारा
गया। अंतर्राष्ट्रीय सेना अपनी नीति के अनुसार मृत सैनिकों की च्चिनाख्त हो जाने
तक घटना का ब्यौरा और उनकी राष्ट्रीयता नहीं बताती।इसके अलावा अफगानिस्तान के
दक्षिणी कंधार प्रांत में एक ही स्थान पर सड़क पर छिपा कर रखे गये बमों और बारूदी
सुरंगों के विस्फोट की अलग-अलग घटनाओं में १८ से ज्यादा अफगान नागरिक भी मारे गये।
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