मनमानी फीस पर रमन
की लगाम
(आंचल झा)
रायपुर (साई)।
शैक्षणिक संस्थानों द्वारा बच्चों को शिक्षा के नाम पर दुकानें खोले जाने की
शिकायतें तो देश के हर हिस्से में प्रकाश में आती हैं, पर किसी भी राज्य
सरकार द्वारा इस दिशा में कोई ठोस पहल नहीं किए जाने से शिक्षा की दुकानें हरी भरी
ही हो रही हैं। छत्तीसगढ़ की रमन सरकार द्वारा शिक्षा की दुकानों पर नकेल कसने की
कवायद आरंभ की गई है जिसकी भूरी भूरी प्रशंसा की जा रही है।
बच्चों की फीस के
नाम पर मनमानी वसूली करने वाले राजधानी के तीन बड़े निजी स्कूलों पर शिक्षा विभाग
ने को 77 करोड़ रुपए
का जुर्माना ठोक दिया। इसमें कृष्णा पब्लिक स्कूल (केपीएस) को सबसे ज्यादा करीब 50 करोड़ रुपए अदा
करने को कहा गया है। इसके अलावा होलीक्रॉस स्कूल पेंशनबाड़ा पर सवा 25 करोड़ और जैन
पब्लिक स्कूल देवपुरी पर 1.77 करोड़ रुपए जुर्माना लगाया गया है। तीनों स्कूलों को जुर्माना
अदा करने के लिए 15 दिन का
वक्त दिया गया है।
इसके अलावा डीपीएस, राजकुमार कॉलेज
समेत तीन स्कूलों की मान्यता खत्म करने के बारे में पत्र लिखा जा रहा है। प्रभारी
जिला शिक्षा अधिकारी एएन बंजारा ने बताया कि मई से यह कवायद चल रही थी। स्कूलों के
दस्तावेजों की जांच में पता चला कि इन स्कूलों ने शिक्षा के अधिकार कानून का
उल्लंघन करते हुए बच्चों के पालकों से मनमानी फीस ली। पहले चरण में छह स्कूलों के
खिलाफ केस तैयार कर कलेक्टर सिद्धार्थ कोमल सिंह परदेसी के पास भेजा गया था।
वहां से अनुमति
मिलते ही जुर्माने और नोटिस की कार्रवाई की गई। शिक्षा विभाग की नोटिस में इन
तीनों स्कूलों को कक्षा 9 से 12वीं तक के लिए अलग निर्देश दिए गए हैं। चालू शिक्षा सत्र के
दौरान हाई व हायर सेकंडरी के छात्रों से अवैध रूप से वसूली गई राशि भी स्कूल
संचालकों को एक महीने के अंदर लौटानी होगी।
शिक्षा विभाग के
सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि तीन स्कूलों की मान्यता खत्म करने
की सिफारिशजिला शिक्षा अधिकारी ने भ्रामक और अधूरी जानकारी देने के कारण देहली
पब्लिक स्कूल (डीपीएस), होलीक्रॉस स्कूल कांपा और राजकुमार कॉलेज (आरकेसी) की मान्यता
खत्म करने की अनुशंसा शिक्षा सचिव से की है। इन स्कूलों से ऑडिट रिपोर्ट, शुल्क विवरण, छात्र संख्या सहित
अन्य जानकारी मांगी गई थी। लिखित सूचना देने के बाद भी उन्होंने शासन के आदेश की
अवहेलना की। कुछ ने भ्रामक जानकारी दी तो कुछ ने जानकारी ही नहीं दी।
ज्ञातव्य है कि
पालकों से अवैध फीस वसूली के मामले में प्रदेश में पहली बड़ी कार्रवाई दुर्ग जिले
में हुई थी। केपीएस और एमजीएम को 113 करोड़ रुपए जुर्माने के रूप में जमा करने को
कहा गया था। इसके खिलाफ स्कूल संचालक हाईकोर्ट चले गए। अदालत ने आदेश को इस आधार
पर रद्द कर दिया कि शिक्षा विभाग ने जुर्माना लगाने से पहले स्कूलों को पक्ष रखने
का मौका नहीं दिया।
सूत्रों ने कहा कि
निजी स्कूल अगर 15 दिन में
जुर्माना नहीं देते हैं तो जिला प्रशासन उनकी मान्यता समाप्त कर देगा। जुर्माने के
खिलाफ स्कूल कोर्ट जा सकते हैं। निर्देश के अनुसार स्कूलों को एक माह के भीतर
कक्षा 9वीं से 12वीं तक के छात्रों
के अभिभावकों को अतिरिक्त वसूली गई रकम लौटानी होगी।
साथ ही साथ अगर रकम
नहीं लौटाई जाती है तो पालक प्रशासन से शिकायत कर सकते हैं। कोर्ट भी जाने का उनके
पास विकल्प है। स्कूलों के कोर्ट जाने के स्थिति में स्कूल शिक्षा विभाग भी कोर्ट
में अपना पक्ष रखेगा। फैसला स्कूल के पक्ष में आने पर यह मामला ही खत्म हो जाएगा।
वहीं अगर स्कूल जुर्माने के साथ छात्रों को अवैध वसूली रकम नहीं लौटाते हैं तो भी
प्रशासन उनकी मान्यता रद्द कर देगा।
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