शिव ने झा को औकात
दिखाकर किया अनूप का प्रभात
प्रभात झा की
पॉलिटिक्स पर भारी शिवराज की सियासत
(विनोद उपाध्याय /
विस्फोट डॉट काम)
नई दिल्ली (साई)।
मध्य प्रदेश में लगातार शिवराज सिंह के लिए संकट बनते जा रहे प्रभात झा को काबू
में करने के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ऐसा दांव चला है कि प्रभात झा
चारो खाने चित्त हो सकते हैं। शिवराज सिंह चौहान ने अनूप मिश्रा का कद पद बढ़ाकर
प्रभात झा को तगड़ा झटका दिया है। अपनी शतरंजी चालों के सहारे अच्छे-अच्छों को
राजनीति के बियावान में धकेलकर मुख्यमंत्री बनने का ख्वाब देखने वाले प्रदेश भाजपा
अध्यक्ष बिहारी बाबू प्रभात झा को मुख्यमंत्री ने ऐसी मात दी है कि अब झा साहब
बगले झांकते फिर रहे हैं।
दरअसल, मध्यप्रदेश के
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ग्वालियर चंबल के दबंग नेता अनूप मिश्रा की
मंत्रिमंडल में वापसी कर एक तीर से कई निशाने साधे। मुख्यमंत्री ने अनूप मिश्रा को
मंत्री पद की शपथ दिलाकर मध्यप्रदेश में प्रदेशाध्यक्ष प्रभात झा के बढ़ते आभामंडल
पर श्ब्रेक्य लगाने का प्रयास किया है। राजनीतिक प्रेक्षकों का कहना है कि यह कदम
श्री चौहान ने पार्टी के राष्ट्रीय महामंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर की मंत्रणा पर
उठाया। दो साल,दो महीने
के अंतराल के बाद अनूप मिश्रा फिर से प्रदेश सरकार में मंत्री की कुर्सी पर हैं।
उनके मंत्री बनते ही प्रदेश में भाजपा की राजनीति में समीकरण बदलेंगे, इसकी सुगबुगाहट तेज
हो गई है। इन समीकरणों के चलते उन लोगों को खासी परेशानी हो सकती है, जो मिश्रा के सत्ता
से बाहर रहते हुए उनसे किनारा कर गए थे। इनमें प्रभात झा पहले नंबर पर हैं।
प्रदेश भाजपा की
कमान संभालने के बाद ही झा की फ्रेमिंग शिवराज के विकल्प के तौर पर की जाने लगी।
प्रभात झा की शिवराज मंत्रीमण्डल में बढ़ते दखल और प्रभाव से इन सियासी हवाओं को
हकीकत की जमीन भी मिलती गई। मध्यप्रदेश भाजपा के मीडिया प्रभारी के बाद सीधे
प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष बनकर लौटे प्रभात झा ने जब प्रदेशाध्यक्ष की जवाबदारी
संभाली तभी ये तय हो गया था कि झा अब हिसाब किताब बराबर करेंगे। पार्टी के भीतर उनके
सियासी दुश्मनों की मुश्किलें अब बढऩे वाली हैं। झा के मोर्चा संभालते ही, पहली गाज अनूप
मिश्रा पर गिरी। और इस तरह गिरी की उनकी पूरी राजनीति ही संकट में आ गई। दुश्मन
खैर मना ही रहे थे,
कि दूसरी गाज में रघुनंदन शर्मा को पार्टी के उपाध्यक्ष पद से
हाथ धोना पड़ गया।
प्रदेश भाजपा के
पूर्व प्रदेश अध्यक्ष नरेन्द्र तोमर को भी झा ने बड़ी चतुराई से निपटा दिया। पार्टी
के एक नेता कहते हैं कि झा को इस बात का अभास होने लगा था कि उनके बढ़ते प्रभाव की
राह में नरेन्द्र सिंह तोमर कंटक बन सकते हैं। इसलिए कि तोमर को मुख्यमंत्री के
उत्तराधिकारी के रूप में देखा जाने लगा था। झा ने उन्हें दिल्ली पहुंचाकर रास्ते
से हटा दिया। तोमर को बाद में एहसास हुआ कि उनका कद सिर्फ देखने के लिए बढ़ा है।
सच्चाई यह है कि उन्हें मुख्यमंत्री बनने की राह से अलग किया गया है। नरेन्द्र
सिंह तोमर के राष्ट्रीय महासचिव बनने से उनके समर्थकों में अब पहले जैसा उत्साह
नहीं है। उन्होंने अपने समर्थकों से यहां तक कह दिया कि अभी मेरे बुरे दिन चल रहे
हैं, पार्टी में
जिस भी बड़े नेता से जुड़ सकते हो जुड़ जाओ। वक्त आने पर लौट आना।
उसके बाद यह
सिलसिला ऐसा चला की अभी तक थमता नजर नहीं आ रहा है। मप्र सरकार के एक मंत्री कहते
हैं कि प्रभात जी मंत्रियों में आपस में तालमेल बनाए रखने की जगह भिड़ाने का काम
करते हैं। उन्हें ऐसा लगता है कि ऐसा करने से पार्टी में गतिशीलता बनी रहेगी और
भाजपा हमेशा सुर्खियों में रहेगी। भाजपाई भी स्वीकारते हैं कि मंत्रियों के साथ
प्रदेश अध्यक्ष का तालमेल बहुत कम है। झा के प्रभाव का ही असर है कि पूर्व मंत्री
कमल पटेल भी खाली घूम रहे हैं। पार्टी में उनकी हैसियत शून्य कर दी गई है। कमल
पटेल को उम्मीद थी कि हत्या के एक मामले में सीबीआई के घेरे से निकलने के बाद उनका
सरकार में रुतबा बढ़ जाएगा लेकिन प्रभात के कारण वह आज भी हासिए पर हैं।
भाजपा के संत और
पूर्व मुख्यमंत्री कैलाश जोशी,पूर्व सांसद कैलाश सारंग और सांसद अनिल माधव
दवे अपने बहिष्कार से दुखी हैं। अनिल माधव दवे को इंदौर में हुई राष्ट्रीय
कार्यसमिति की बैठक में अध्यक्ष के सामने प्रजेंटेशन के जरिए काबिलियत दिखाना
उन्हें भारी पड़ा। भाजपा संगठन और सरकार उन्हें नजरअंदाज कर रहे हैं। स्वयंसेवी
संगठनों के सम्मेलन में उन्हें बोलने नहीं दिया। उल्लेखनीय है की उपरोक्त सभी नेता
मुख्यमंत्री के शुभचितकों में गिने जाते हैं। पार्टी के अंदर गुस्सा कइयों में खौल
रहा है। कोई खुल कर विरोध इसलिए नहीं करना चाह रहा है कि अगले साल चुनाव होना है।
कहीं पार्टी से अलग न कर दिया जाए। ऐसी स्थिति में चुनाव लडऩा मुश्किल हो जाएगा।
उमा भारती का हश्र देख चुके हैं।
विकास यात्रा के
जरिये भाजपा नेतृत्व प्रदेश की जनता की नब्ज टटोलने निकली थी कि उसकी स्थिति जनता
के बीच कैसी है। लेकिन आम जनता के बीच सरकार की स्थिति बदतर और प्रभात झा के प्रति
पार्टी पदाधिकारियों तथा कार्यकर्ताओं का बढ़ता रूझान देखकर शिवराज चौकना हो गए।
उसके बाद मुख्यमंत्री को एक गोपनीय रिपोर्ट उनके शुभचिंतकों ने सौंपी। रिपोर्ट में
हुए खुलासे ने मुख्यमंत्री को चौंकाया। इस रिपोर्ट से बताया गया कि प्रदेश के
अधिकांश विधायक प्रभात झा के पाले में जा रह हैं। वहीं प्रभात झा ने प्रदेश में
अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए जिन जिन नेताओं को किनारे लगाया, वो सब के सब प्रभात
झा से अपनी नजदीकी बढ़ा रहे हैं। इसका सबसे बड़ा उदाहरण ग्वालियर में देखने को मिला
जब पूर्व मंत्री अनूप मिश्रा अपनी सरकार में पूछ-परख नहीं होने से आहत होकर
ग्वालियर में दरबार लगाकर नगर निगम कमिश्नर और अधिकारियों की जमकर क्लास ली थी। तब
प्रभात झा ने जाकर उनको समझाया तो वह मान गए। उसके बाद इन दोनों में आपसी घनिष्ठता
बढऩे लगी। मौके की नजाकत को देखते हुए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अपने
दोस्त और पार्टी के राष्ट्रीय महामंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर से सलाह लिया। तोमर ने
प्रभात के बढ़ते प्रभाव को कम करने के लिए मंत्रिमंडल विस्तार की योजना बनाई और
अनूप मिश्रा को सम्मान मंत्री पद सौंपा। अब गेंद शिवराज के हाथ में है। देखना यह
है कि वह प्रभात को बोल्ड करने के लिए किसको गेंद थमाते हैं।
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