कोयला घोटाले का
सबसे बड़ा खुलासा
(आकाश कुमार)
नई दिल्ली (साई)।
कोयला घोटाले की सबसे बड़ी ख़बर, एक ऐसी ख़बर जिसे खुद सरकार नहीं झुठला सकती
क्योंकि ये जांच रिपोर्ट कैग की नहीं है बल्कि ये खुद सरकार की अपनी एजेंसी सीबीआई
की रिपोर्ट है. एक निजी समाचार चेनल के हाथ लगे हैं ऐसे दस्तावेज जो बताते हैं कि
कैसे कोयला खदान के आवंटन में हुई थी बड़ी धांधली. निजी समाचार चेनल निजी समाचार
चेनल के हाथ लगी है सीबीआई की एफआईआर. इस
एफआईआर के मुताबिक,
कोल ब्लॉक के आवंटन में दर्डा और उनकी कंपनियों ने झूठ और
फर्जी दस्तावेजों का सहारा लिया. सबसे चौंकानेवाली बात तो ये है कि तत्कालीन कोयला
राज्यमंत्री संतोष बागरोड़िया को इन सबके बारे में पता था, फिर भी उन्होंने
कोयला खदान का आवंटन इन्हें होने दिया. कोयले के इस काले कारनामे में मनोज जायसवाल
की कंपनी के भी शामिल होने का खुलासा हुआ है. जिस कोयले ने पूरे देश में आग लगा दी, जिस कोयले ने पूरा
मानसून सत्र जला दिया, जिस कोयले ने प्रधानमंत्री की छवि पर कालिख पोत दी, उसी कोयले की ये
सबसे काली ख़बर है.
एक लाख 86 हजार करोड़ के
कोयला घोटाले की आंच प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की कुर्सी तक ने महसूस की. पर सरकार
कोयले से निकली आग पर अब तक यही कहते हुए पानी डालती रही कि कैग की रिपोर्ट गलत और
अधूरी है. कोल ब्ल़ॉक आवंटित करने में कोई गड़बड़ी नहीं हुई. कोई भाई-भतीजावाद नहीं
हुआ. निजी समाचार चेनल के पास है एफआईआर की रिपोर्ट. एफआईआर उस घोटाले की, जो देश के इतिहास
का सबसे काला घोटाला माना जा रहा है. ये घोटाला है कोयला खदान आवंटन का. एक लाख 86 हजार करोड़ के
घोटाले में निजी समाचार चेनल ने जुटाई है सीबीआई एफआईआर की कॉपी. इस कॉपी के
मुताबिक, खुलासा हो
रहा है कि कैसे झूठ बोलकर और नियमों की अनदेखी कर कांग्रेस के नेताओं की कंपनी को आवंटित
किए गए थे कोल ब्लॉक.
इधर मानसून सत्र
कोयले में जल रहा था और उधर ठीक उसी दौरान तीन सितंबर को अचानक खबर आती है कि कोल
ब्लॉक आवंटन को लेकर सीबीआई एक साथ कई जगह छापे मार रही है. सीबीआई के ये छापे
राज्यसभा में कांग्रस सांसद विजय दर्डा और उनके परिवार के अलावा नागपुर के जायसवाल
परिवार की कंपनियों पर भी मारे गए थे.
निजी समाचार
चेनल के अनुसार आप जानते हैं सीबीआई ने
दर्डा परिवार की कंपनियों पर क्यों छापे मारे? दरअसल तत्कालीन
कोयला राज्य मंत्री संतोष बागरोडिया ने तमाम नियम-कानून ताक पर रख कर अपने पद का
दुरुपयोग करते हुए दर्डा परिवार पर खास मेहरबानी की थी. ये इलज़ाम निजी समाचार चेनल
नहीं लगा रहे. ना ही ये कैग रिपोर्ट में है. बल्कि ये बातें सीबीआई की उस एफआईआर
में दर्ज हैं जिनकी बिनाह पर ही सीबीआई ने दर्डा परिवार की कंपनियों पर छापे मारे.
निजी समाचार चेनल
ने दावा किया है कि उसके पास जो कागज़ात मौजूद हैं वे बताते है कि उस समय के कोयला
राज्य मंत्री संतोष बागरोडिया ने भी जानबूझकर नियमों की उनदेखी की जिससे करोड़ों
अरबों रुपये के कोयले की बंदरबांट हुई. दर्डा की कंपनी ने कोयला राज्य मंत्री
संतोष बागरोडिया के कमरे में बैठकर उन्हें बताया था कि उनकी कंपनी को पहले भी कोल
ब्लाक मिल चुके है,
लेकिन फिर भी एक और कोल ब्लाक दर्डा की कंपनी को दे दिया गया.
नियम के मुताबिक
कोल ब्लॉक हासिल करने से पहले हर कंपनी को ये बताना ज़रूरी होता है कि उसे पहले से
कोई कोल ब्लॉक आवंटित किया है या नहीं? मगर एफआईआर के हिसाब से दर्डा परिवार के पास
पहले से पांच-पांच कोल ब्लाक थे इसके बावजूद जब उन्होंने छठे कोल ब्लॉक के लिए
आवेदन किया तो उस आवेदन पत्र में इसका कोई जिक्र नहीं किया. जबकि मंत्री जी को
इसकी पूरी जानकारी थी.
सीबीआई की एफआईआर
के मुताबिक 18 सितंबर को
कोयला राज्य मंत्री संतोष बागरोडिया के साथ हुई बैठक में कंपनी ने माना कि उसके
पास पहले से ही पांच कोल ब्लाक हैं. लेकिन आवेदन पत्र में इसका ज़िक्र नहीं था. अब
सवाल ये उठता है कि मंत्री जी की जानकारी होने के बावजूद कंपनी को कोल ब्लाक कैसे
आवंटित कर दिया गया?
आवेदन पत्र में सच
छुपाने के बावजूद वो सच मंत्री जी को पता था. फिर भी गलत जानकारी देने के बावजूद
मंत्री जी ने आवेदन पत्र रद्द करने की बजाए दर्डा परिवार को छठा कोल बलॉक आवंटित
कर दिया. एफआईआर में सबसे चौकाने वाली बात ये भी है कि 18 सितंबर 2008 को तत्कालिन कोयला
राज्य मंत्री संतोष बागरोड़िया के साथ हुई बैठक में एएमआऱ आयरन एंड स्टील कंपनी ने
ये जानबूझकर झूठ बोला कि इस कंपनी का जयसवाल समूह से कोई लेना देना नहीं है.
सीबीआई की प्रथमिक
जांच में पता चला है कि कोयला मंत्रालय के कुछ अधिकारियों ने एक सोची समझी साजिश के
तहत एएमआर कंपनी को फायदा पहुंचाने की कोशिश की और इस जानकारी को नज़रअंदाज़ कर दिया
कि उसके पास पहले से ही पांच कोल ब्लाक आवंटित है. एएमआर आयरन एंड स्टील कंपनी ने
कोल ब्लॉक के आवंटन के लिए दिए आवेदन पत्र में तथ्यों को ना केवल छिपाया बल्कि गलत
जानकारी देकर कोल ब्लॉक हासिल किया.
एफआईआर के मुताबिक
कोल ब्लॉक आवंटित करने में दर्डा पररिवार की कंपनी की मदद कुछ सरकारी अफसरों ने भी
की. एएमआर आयरन एंड स्टील कंपनी का ये दावा फर्जी था कि वो एक जाने माने बिज़नेस
समूह के लिए काम कर रहा है. जबकि सच्चाई ये नहीं थी. कंपनी ने ये झूठ सिर्फ अपनी
कंपनी का मूल्यांकन बढ़ाने के लिए बोला था ताकि उसे कोल ब्लॉक हासिल करने में
दिक्कत ना आए.
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