बीजेपी को लगा
केजरीवाल का करंट
(विस्फोट डॉट काम)
नई दिल्ली (साई)।
बिजली की बढ़ी दरों का जो आंदोलन अरविन्द केजरीवाल ने शीला दीक्षित सरकार के खिलाफ
शुरू किया था उसका पहला झटका सोमवार को भाजपा को लग गया. सोमवार को भाजपा के
दिल्ली छाप नेता विजय गोयल काली टोपी पहनकर पहुंच गये विजली नियामक प्राधिकरण के
दफ्तर में विरोध करने. लेकिन अचानक यहां पहुंचे अरविन्द केजरीवाल ने बीजेपी का
सारा खेल खराब कर दिया.
अरविन्द केजरीवाल
पिछले कुछ दिनों से शीला दीक्षित का करीबी होने का दाग धो रहे हैं. अरविन्द पर
आरोप है कि वे आगामी विधानसभा में कांग्रेस की जीत सुनिश्चित करने के लिए विरोधी
वोटों को बांटने का खेल कर रहे हैं. खुद अरविन्द केजरीवाल क्या खेल कर रहे हैं इसे
अरविन्द से बेहतर दूसरा शायद ही कोई जानता हो लेकिन जो दिख रहा है वह यह कि वे इस
वक्त नाना कर्म करते हुए अन्ना को निपटाने में लगे हैं.
लेकिन बिजली वाला
मुद्दा तो ऐसा है कि इसका सीधा फायदा बीजेपी को मिल सकता था लेकिन अरविन्द द्वारा
इस आग में कूद जाने के बाद भाजपा के हाथ जलने लगे. कारण यह कि अगर विरोध का परचम
अरविन्द केजरीवाल फहरायेंगे तो भाजपावाले कहां जाएंगे? सो, पहले ही टूटी फूटी
भाजपा में एक नेता उभर आये. विजय गोयल. विजय गोयल वैसे तो बड़े नेताओं के आगे पीछे
घूमने को ही नेतागीरी मानते हैं लेकिन साल में एकाध बार धरना प्रदर्शन भी कर लेते
हैं. वे अपने आपको दिल्ली छाप नेता भी मानने लगे हैं इसलिए आव देखा न ताव काली
टोपी सिलवाई और अरविन्द की लगाई आग में जनसुनवाई के बहाने कूद पड़े. पर्चे पोस्टर
छपवाकर रातों रात दिल्ली में कई जगह चिपका दिये गये और डीईआरसी दफ्तर पहुंच गये.
पहुंच तो गये लेकिन समझ में नहीं आये कि करे क्या. सो तय किया कि चेयरमैन को बंधक
बना लेंगे. कुछ कुछ अन्नागीरी स्टाइल में.
लेकिन बात बिगड़ी उस
मंच पर जहां अरविन्द केजरीवाल भी छापामार शैली में जा पहुंचे. बीजेपी के सजाए मंच
पर अरविन्द केजरीवाल ने बीजेपी को ही दोषी ठहरा दिया. केजरीवाल ने कहा कि तीन साल
से यह सब हो रहा है तो बीजेपीवाले चुप क्यों बैठे रहे? दिल्ली के भाजपा
अध्यक्ष को तो पिछले दो साल से आरटीआई के जरिए सारी जानकारी मिली हुई है फिर
उन्होंने यह मुद्दा विधानसभा या लोकसभा में क्यों नहीं उठाया? अब क्या था.
अरविन्द तो बोलकर चले गये लेकिन बगल में खड़े विजय गोयल बोलने लगे तो आंसू निकल
आये. हाय। कितना दर्द। दिल्लीवालों के लिए इस दिल्ली छाप नेता के दिल में कितनी
पीड़ा है। किसी बूढ़ी का जिक्र भी किया जिसका बिल बहुत ज्यादा आ गया था और वह
मोमबत्ती जलाकर रात का अंधेरा दूर करती है.
हालांकि इस रुदन
प्रसंग के थोड़ी ही देर बाद गोयल साहब हंसते हुए वहां से चले गये क्योंकि उन्हें जो
मीडिया कवरेज चाहिए था वह मिल चुका था. दिल्ली वालों के दिल पर बिजली का बिल चाहे
जो बिजली गिराये इससे किसी विजय गोयल को कोई फर्क नहीं पड़ता है. फर्क पड़ता है तब
जब कोई अरविन्द केजरीवाल आकर खड़ा हो जाता है. लेकिन अरविन्द भी कोई कम राजनीतिक
प्राणी नहीं है. उन्होंने भी भाजपा के मंच पर पहुंचकर भाजपा नेता को ऐसा करंट मारा
कि गोयल साहब को रोना आ गया.
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें