शौचालयों की तुलना
मसजिद या चर्च से क्यों नहीं: बाल ठाकरे
(निधि गुप्ता)
मुंबई (साई)।
केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश द्वारा शौचालयों की तुलना मंदिर से किए जाने पर
शिवसेना सुप्रीमो बाला साहेब ठाकरे का पारा सातवें आसमान पर है। ठाकरे ने रमेश को
जमकर खरी खोटी सुनाई है। शिवसेना प्रमुख
बाल ठाकरे ने शौचालयों की तुलना मंदिर से किए जाने पर केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश
को आड़े हाथ लिया है। उन्होंने पूछा कि रमेश ने शौचालयों की तुलना मसजिद या चर्च से
क्यों नहीं की। ठाकरे ने पार्टी के मुखपत्र ‘सामना’ के संपादकीय में लिखा कि यह वास्तव में
हैरानी वाली बात है कि आज भी देश की दो तिहाई आबादी खुले में शौच जाती है लेकिन
इसे बताने के लिए मंदिर से तुलना करने का क्या औचित्य है।
रमेश को आडे़ हाथों
लेते हुए पूछा कि उन्होंने मंदिरों की बजाय मसजिदों, मदरसों या
गिरजाघरों का नाम क्यों नहीं लिया। शौचालय की जरूरत बताने वाली टिप्पणी में सिर्फ
मंदिरों को ही निशाना बनाने की क्या आवश्यकता थी। ठाकरे ने यह भी कहा कि यदि
उन्होंने शौचालय की तुलना चर्च से की होती तो रोम से सीधे पोप आपत्ति उठाते और
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी उन्हें तुरंत मंत्रिमंडल से बाहर कर देती।
संपादकीय में यह भी
कहा गया कि ऐसे समय जब भाजपा एवं अन्य विपक्षी दल उनकी निंदा कर रहे हैं, कांग्रेस ने उनके
बयान से किनारा कर लिया है। उल्लेखनीय है कि महाराष्ट्र के सेवाग्राम में एक
कार्यक्रम में रमेश ने कहा था कि देश में तमाम देवी देवता हैं लेकिन मंदिरों से
ज्यादा शौचालय महत्वपूर्ण है।
उधर, दूसरी ओर समाचार
एजेंसी ऑफ इंडिया के दिल्ली ब्यूरो से रश्मि सिन्हा ने बताया कि जयराम रमेश अपने
बयान पर कायम हैं। स्वच्छता को लेकर मंदिरों की तुलना शौचालय से किए जाने संबंधी
विवादास्पद बयान पर उठे सियासी बवंडर के बावजूद ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश
अभी भी अपनी बात पर कायम हैं। उन्होंने कहा कि जैसी सोच होगी वैसा ही भावार्थ समझ
में आएगा। जरूरत सोच बदलने की है और इसी बदलाव के लिए निर्मल भारत अभियान शुरू
किया गया है। उन्होंने दोहराया कि देश में मंदिरों की संख्या शौचालय से ज्यादा है, जबकि जरूरत मंदिरों
की नहीं शौचालयों की है। शौचालय की कमी के चलते ही साठ फीसदी से ज्यादा आबादी खुले
में शौच करने को मजबूर है। यह न सिर्फ शर्मनाक है बल्कि बढ़ते कुपोषण के लिए
जिम्मेदार भी।
रमेश ने कहा कि ऐसा
नहीं कि खुले में शौच प्रथा को समाप्त करने और गांवों में शौचालय निर्माण के लिए
केंद्र सरकार ने गंभीरता नहीं दिखाई। केंद्र ने योजना बनाकर राज्यों को आवश्यक
धनराशि उपलब्ध कराई लेकिन ज्यादातर राज्यों में यह योजना कागजों पर ही सिमटी रही।
जिसके चलते स्थिति में खास बदलाव नहीं आया। देश में 28000 ग्राम पंचायतों को
ही निर्मल ग्राम पंचायत का दर्जा मिला हुआ है।
हालांकि राज्यों के
आंकड़ों की माने तो देश के 65 फीसदी गांव खुले में शौच से पूरी तरह से
मुक्त हो चुके हैं जबकि पिछले वर्ष हुई जनगणना के मुताबिक देश के 35 फीसदी राज्य ऐसे
हैं जहां खुले में शौच प्रथा समाप्त हुई है। केंद्रीय मंत्री ने बताया कि देश को
कुपोषण जैसी भयानक बीमारी से बचाने के लिए गांवों में शौचालय निर्माण पर केंद्र
सरकार ने ग्यारहवीं पंचवर्षीय योजना में 45000 करोड़ रुपये खर्च किए है। बारहवीं
पंचवर्षीय योजना में इसके लिए सरकार ने 1.08 लाख करोड़ रुपये खर्च करने का लक्ष्य रखा
है।
उधर, दूसरी ओर तमिलनाडू
से समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया के ब्यूरो से प्रीति सक्सेना ने खबर दी है कि हिंदू
मुन्नानी ने सोमवार को स्थानीय पुलिस स्टेशन में केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री
जयराम रमेश के खिलाफ कार्रवाई के लिए शिकायत दर्ज कराई है। यह शिकायत रमेश के हाल
ही में दिए गए उस बयान के चलते दर्ज कराई गई है, जिसमें उन्होंने
कहा था कि देश में शौचालयों से ज्यादा मंदिर हैं। ऊंटी टाउन पुलिस स्टेशन में दर्ज
शिकायत में हिंदू मुन्नानी संगठन के नीलगिरी जिले के सचिव सेल्वाकुमार ने दावा
किया है कि कांग्रेस नेता और ग्रामीण विकास मंत्री ने अपने बयान से हिंदू समुदाय
की भावनाओं को चोट पहुंचाई है और उनके खिलाफ एक मामला दर्ज होना चाहिए। पुलिस ने
शिकायत दर्ज कर ली है।
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