अधिकारी और
जनप्रतिनिधियों ने मर्जी से बाँट दिये डीजल पंप: हितग्राही परेशान
(संतोष श्रीवास)
सिवनी (साई)। बाड़ी
विकास योजना के तहत कृषकों को प्रदान किये जाने वाले पंप वास्तविक हितग्राहियों को
न मिलकर नेताओं, उनके चहेतो
और अधिकारियों के घर व उनके रिश्तेदारों में चले गये हैं। ग्राम पंचायत सुआखेड़ा
अंतर्गत ग्राम झिलमिली निवासी पूसूलाल पिता समुरन ने जिला कलेक्टर से मांग की है
कि इस बात की जाँच करायी जाये कि जितने लोगों को सिंचाई पंप दिये गये हैं वे वाकई
उनके पास हैं या किसी और को दे दिया गया
है नाम मात्र उनका लिखा है।
विदित हो कि शासन
की बाड़ी विकास योजना अंतर्गत पात्र हितग्राहियों को कुल 20 हजार रूपये की
सामग्री प्रदान की जानी थी। इस राशि में पात्र हितग्राहियों को आम के 5 पौधे कीमत 500 रू., कटहल के 5 पौधे कीमत 50 रू., अमरूद के 5 पौधे कीमत 50 रू., नीबू के 5 पौधे कीमत 50 रू., आंवला के 5 पौधे कीमत 500 रू. बर्मी
कम्पोस्ट की दो बोरी राशि 300 रू. स्पेयर पंप राशि 1300 रूपए सब्जी किट
राशि 500 रू. आलू
बीज राशि 600 रू., कीट नाशक राशि 150 रू. 2 एचपी/3 एचपी डीजल पंप
राशि 16 हजार
रूपये दिये जाने थे।
प्रत्येक ग्राम
पंचायत से लगभग 90
हितग्राहियों को इस योजना के तहत लाभ दिया गया है और एक मोटे अनुमान के तहत लगभग 70 प्रतिशत लोगों को
डीजल पंप प्रदान किया ही नहीं गया है और इनसे प्राप्ति लिखवा ली गयी है। ऐसा बताया
जाता है कि अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों द्वारा इन डीजल पंपों को अपने चहेतों में
बाँट दिया गया है व जो शेष डीजल पंप बच
गये उन्हें बेच दिया गया है कुछ डीजल पंप सक्षम लोगों के यहाँ भी चले गये हैं।
इसी संबंध में
झिलमिली निवासी पूसूलाल पिता सुमरन जाति गौंड द्वारा जिला कलेक्टर को एक आवेदन
देकर सूचित किया गया है कि बाड़ी विकास योजना अंतर्गत उसे पात्र माना जाकर विद्युत
पंप स्वीकृत किया गया था किन्तु विगत एक वर्ष से वो सारे प्रयास कर चुका है अभी तक
उसे विद्युत पंप मिला ही नहीं। बाद में उसे यह बताया गया कि उसके हक का डीजल पंप
अध्यक्ष ने अपनी स्वीकृति से ग्राम नांदिया निवासी सुकरती बाई को दिलवा दिया है
जबकि वास्तविकता यह है कि सुकरती बाई का नाम योजना में है ही नहीं ऐसी स्थिति में
उसे डीजल पंप मिल ही नहीं सकता।
आवेदक ने जिला
कलेक्टर से निवेदन किया है कि उसे उसके हक का डीजल पंप दिलवाया जाये एवं इस बात की
जाँच करायी जाये कि जिन लोगों के नाम सूची में लिखे हैं उन्हें वाकई में लाभ मिला
है या नहीं। उल्लेखनीय है कि इसके पूर्व में भी आवेदक द्वारा तहसीदार छपारा को
अपनी समस्या के संबंध में आवेदन दिया जा चुका है किन्तु कोई कार्यवाही नहीं हुई।
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