गुरुवार, 4 अक्टूबर 2012

महाराष्ट्र में सियासी उथल पुथल के संकेत


महाराष्ट्र में सियासी उथल पुथल के संकेत

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली (साई)। कांग्रेस के लिए महत्वपूर्ण महाराष्ट्र सूबे में अब सियासी उथल पुथल की सुगबुगाहटें तेज हो गई हैं। महाराष्ट्र के निजाम पृथ्वीराज चव्हाण की बिदाई की डुगडुगी बज चुकी है। उनका स्थान या तो शिवराज पाटिल ले सकते हैं अथवा नारायण राणे पर आलाकमान मेहरबान हो सकता है।
कांग्रेस के सत्ता और शक्ति के शीर्ष केंद्र 10, जनपथ के सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि पृथ्वीराज चव्हाण की महाराष्ट्र से बिदाई सौ फीसदी तय है। वे अगर पितरों के बाद कुर्सी से नहीं हटाए जाते तो यह तय है कि वे सीएम हाउस में दीवाली शायद ही मना पाएं।
महाराष्ट्र के अनेक क्षत्रपों का कहना है कि विलास राव देशमुख के अवसान से कांग्रेस में मराठा क्षत्रप का अभाव दिख रहा है जिसका लाभ उठाने के मूड में राकांपा पूरी तरह नजर आ रही है। राकांपा के क्षेत्रीय नेता अजीत पंवार ने जिस तरह की पावर पालिटिक्स का प्रदर्शन किया है उससे कांग्रेस के आलाकमान के कान खड़े हो चुके हैं।
राकांपा के जनाधार वाले नेता अजीत पंवार का मानना है कि पृथ्वीराज चव्हाण को तुरंत हटाया जाए। वहीं दूसरी ओर कांग्रेस के मराठा क्षत्रपों ने सोनिया गांधी के पास जाकर जो लगाई बुझाई की है उसका लब्बो लुआब यह है कि मिस्टर क्लीन की छवि को ओढने का स्वांग करने वाले चव्हाण के भरोस महाराष्ट्र में कांग्रेस की सरकार बनाना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन ही है।
राकांपा की पावर पालिटिक्स की आड़ में कांग्रेस के सूबाई क्षत्रप भी अब चव्हाण को हटाने के लिए पूरे जतन से जुट चुके हैं। सोनिया के करीबियों का कहना है कि टीम सोनिया अब महाराष्ट्र में विलासराव देशमुख के बाद उपजे वेक्यूम को भरने के लिए सही और दमदार मराठा क्षत्रप को खोजने के काम में जुट गई है।
उधर, पंजाब के लाट साहब शिवराज पाटिल भी एक बार फिर मुख्य धारा में लौटने बेताब बताए जा रहे हैं। कांग्रेस अध्यक्ष के करीबियों के जरिए वे भी महाराष्ट्र का सीएम बनने का जुगाड़ लगा रहे हैं। सूत्रों की मानें तो पाटिल यह दलील दे रहे हैं कि विलासराव का उनसे बेहतर कोई विकल्प नहीं हो सकता है, इसके साथ ही साथ यह संयोग की बात है कि वे भी लातूर से हैं और देशमुख भी लातूर से ही थे।
वहीं दूसरी ओर एक और मराठा क्षत्रप नारायण राणे की बाहों की मछलियां अब सीएम हाउस पर काबिज होने फड़ती दिख रही हैं। राणे अपने नेताओं के जरिए सोनिया गांधी के साथ ही साथ शरद पंवार को भी साधने का जतन कर रहे हैं। कहते हैं राणे ने पंवार को आश्वासन तक दे डाला है कि वे उनके यस मेन बनकर रहेंगें। सुशील कुमार शिंदे इस दौड़ से इसलिए बाहर हो गए हैं क्योंकि उन्हें हाल ही में देश के गृहमंत्री की आसनी प्रदान की गई है।

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