अपनी ही घोषणा भूले
शिवराज!
(संजीव प्रताप
सिंह)
सिवनी (साई)। देश
के हृदय प्रदेश के निजाम शिवराज सिंह चौहान द्वारा लगभग तीन साल पहले पुण्य सलिला
बैनगंगा के उद्गम स्थल मुण्डारा के समीप बसे गोपालगंज में तेंदूपत्ता वितरण
प्रोग्राम के दौरान एक महत्वपूर्ण घोषणा की गई थी, और वह घोषणा थी
छिंदवाड़ा, बालाघाट और
सिवनी को एक साथ मिलाकर नए संभाग के गठन की। तीन साल बीत जाने के उपरांत भी ना तो
सरकार ने ही इस बारे में कोई पहल की है और ना ही इस संभाग को कर्मभूमि बनाने वाले
आला नेताओं नें।
गौरतलब है कि
बालाघाट, सिवनी और
मण्डला को आधार बनाकर राजनीति करने वाले भाजपा के नेताओं में पूर्व सांसद प्रहलाद
सिंह पटेल, फग्गन सिंह
कुलस्ते, मध्य
प्रदेश महिला मोर्चा की अध्यक्ष श्रीमति नीता पटेरिया, वित्त विकास निगम
के अध्यक्ष डॉ.ढाल सिंह बिसेन, महाकौशल विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष नरेश
दिवाकर, बालाघाट
कोटे से प्रदेश में मंत्री गौरी शंकर बिसेन, छिंदवाड़ा कोटे से मंत्री नाना भाउ माहौड़ हैं
पर विडम्बना है कि इनमें से किसी ने भी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को उनकी
घोषणा याद दिलाना उचित नहीं समझा है।
वहीं दूसरी ओर
कांग्रेस से जिन लोगों को इस संभाग के बनने से फायदा मिल सकता है उनमें केंद्रीय
मंत्री कमल नाथ, मध्य
प्रदेश विधानसभा के उपाध्यक्ष हरवंश सिंह, वरिष्ठ विधायक दीपक सक्सेना, तेजी लाल सरेयाम, प्रदीप जायस्वाल
विश्वेश्वर भगत, चोधरी मेर
सिंह का शुमार है। इन सांसद विधायकों ने भी सतपुड़ा को संभाग बनाने की पहल नहीं की
है। शिवराज सिंह चौहान के करीबी सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस के एक आला क्षत्रप
के दबाव में सतपुड़ा संभाग को अस्तित्व में आने से शिवराज सिंह चौहान रोक रहे हैं।
वहीं दूसरी और
मध्य्र प्रदेश जनसंपर्क द्वारा जारी खबर में कहा गया है कि मध्यप्रदेश में ‘गण’ का ‘तन्त्र’ बनाने के लिए राज्य
शासन द्वारा बहुविध प्रयास किए जा रहे हैं। इसका एक प्रमाण है गत चार वर्ष में
राज्य में दो नए संभाग, दो नए जिले, सात राजस्व अनुभाग और 80 नई तहसील का गठन।
प्रदेश में सन् 1956 में गठन के बाद यह पहली बार है कि मात्र चार साल की छोटी अवधि
में करीब 100 नई राजस्व प्रशासन इकाइयाँ गठित हुई हैं। इन इकाइयों के गठन से
प्रदेश में अब कुल 10 राजस्व संभाग, 50 जिले और 352 तहसीलें हो गई हैं।
वर्ष 2008 में
प्रदेश में शहडोल और नर्मदापुरम दो नए संभाग का निर्माण होने के साथ ही अलीराजपुर
और सिंगरौली जिले अस्तित्व में आए। वहीं फरवरी, 2011 में बुरहानपुर
जिले में नेपानगर को और जून, 2012 में नरसिंहपुर जिले के तेन्दूखेड़ा, बालाघाट के कटंगी, छिन्दवाड़ा के चौरई, सागर के बीना और
विदिशा के लटेरी एवं शमशाबाद को राजस्व अनुभाग का दर्जा मिला।
प्रदेश में मई, 2008 से अब तक 80
नई तहसील सृजित की जा चुकी हैं। ये तहसीलें हैं हरदा जिले में सिराली, रहटगाँव और हंडिया, गुना जिले में
बम्होरी, मकसूदनगढ़
और शाडोरा, बैतूल जिले
में आठनेर, घोड़ाडोंगरी
और चिचोली, मंदसौर
जिले में शामगढ़ एवं दलौदा, पन्ना जिले में रेपुरा, अमानगंज, देवेन्द्र नगर, विदिशा जिले में
शमशाबाद, त्यौदा और
गुलाबगंज, छिन्दवाड़ा
जिले में उमरेठ, चांद, मोहखेड़ और हर्रई, सतना जिले में कोटर
और बिरसिंहपुर, उमरिया
जिले में चंदिया और नौरोजाबाद, छतरपुर जिले में महाराजपुर, बक्सवाहा, चंदला और घुवारा, शिवपुरी जिले में
बदरवास, बड़वानी
जिले में अंजड़, पाटी और
बरला, राजगढ़ जिले
में पचोर, सीहोर जिले
में रेहटी, जावर और
श्यामपुर, रीवा जिले
में मनगवां, सेमरिया, नईगढ़ी और जवां, सागर जिले में मालथोन
और शाहगढ़, रायसेन
जिले में बाड़ी, देवास जिले
में हाटपिपलिया और सतवास, टीकमगढ़ जिले में ओरछा, खरगापुर, मोहनगढ़ और लिधौरा, जबलपुर जिले में
पनागर, सिवनी जिले
में छपारा और धनोरा,
धार जिले में डही, ग्वालियर जिले में चिनौर, इंदौर जिले में
हातोद, खरगोन जिले
में गौगाँव, खण्डवा
जिले में पुनासा, खालवा, श्योपुर में बड़ोदा, बीरपुर, नीमच जिले में
सिंगौली, जीरन और
रामपुरा, मण्डला
जिले में नारायणगंज और घुघरी, बालाघाट जिले में परसवाड़ा, तिरोड़ी और बिरसा, दतिया जिले में
इंदरगढ़, होशंगाबाद
जिले में डोलरिया,
रतलाम जिले में ताल, रावटी, भिण्ड जिले में गोरमी, शहडोल जिले में
बुढार और गोहपारू,
सिंगरौली जिले में सरई और माड़ा और अलीराजपुर जिले में
कठ्ठीवाड़ा और सोण्डवा तहसीलें शामिल हैं।
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