गुरुवार, 4 अक्तूबर 2012

. . . और रूकवा दिया बिसेन ने अखबार का एंपेनलमेंट


. . . और रूकवा दिया बिसेन ने अखबार का एंपेनलमेंट

(नन्द किशोर)

भोपाल (साई)। आखिर मध्य प्रदेश के सहकारिता मंत्री गौरी शंकर बिसेन की एक दैनिक समाचार पत्र से क्या अदावत है कि उन्होंने उस दैनिक अखबार को मध्य प्रदेश सरकार के जनसंपर्क विभाग की विज्ञापन सूची में शामिल होने से ही रूकवा दिया। मध्य प्रदेश के जनसंपर्क मंत्री हैं लक्ष्मी कांत शर्मा, फिर भी जनसंपर्क विभाग द्वारा सहकारिता मंत्री के इशारे पर दैनिक समाचार पत्र को विज्ञापन सूची से बाहर रखने का ओचित्य ही समझ से परे है।
उक्ताशय की बात मध्य प्रदेश जनसंपर्क संचालनालय में पदस्थ एक अधिकारी ने नाम उजागर ना करने की शर्त पर समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया से चर्चा के दौरान कही। उक्त अधिकारी ने कहा कि मध्य प्रदेश के एक जिला मुख्यालय से प्रकाशित दैनिक समाचार पत्र द्वारा सारी अहर्ताएं पूरी करने के उपरांत खुद को एमपी के जनसंपर्क विभाग द्वारा जारी होने वाले सरकारी विज्ञापनों में शामिल होने के लिए आवेदन दिया था।
उक्त अधिकारी ने बताया कि जांच के उपरांत इस अखबार के सारे दस्तावेज एवं अन्य चीजें विज्ञापन प्रदाय करने के लिए निर्धारित मापदण्डों के अनुरूप ही पाए गए थे। इस समाचार पत्र को विज्ञापन सूची में शामिल ही किया जाने वाला था कि अचानक ही सहकारिता मंत्री गौरी शंकर बिसेन ने जनसंपर्क के एक उच्चाधिकारी को निर्देशित किया कि -‘‘इस अखबार को फिलहाल सूची में शामिल करने से रोक दो।‘‘
अब इस अखबार को सूची में शामिल करने से क्यों रोका गया है, इस बारे में वास्तविकता या तो जनसंपर्क महकमे के आला अधिकारी ही बता पाएंगे या फिर सहकारिता मंत्री गौरी शंकर बिसेन, किन्तु इस बात में सच्चाई इसलिए भी नजर आती है, क्योंकि इस मसले की तह में जनसंपर्क विभाग के एक आला अधिकारी द्वारा उक्त समाचार पत्र के मालिक संपादक को गौरी शंकर बिसेन की चिरौरी करने से संबंधित तीन एसएमएस भी चर्चाओं में हैं।
ज्ञातव्य है कि पूर्व में भी इस आशय की खबर प्रसारित हुए थी जिसमें कहा गया था कि एक अखबार मालिक को विज्ञापन ना मिलने के पीछे मध्य प्रदेश के सहकारिता मंत्री गौरी शंकर बिसेन का हाथ है? क्या यह सच है? हालात तो इसी ओर इशारा कर रहे हैं। सहकारिता मंत्री गौरी शंकर बिसेन से मिलने और उन्हें राजी करने के लिए जनसंपर्क महकमे के एक आला अधिकारी द्वारा एक अखबार के संपादक मालिक को तीन तीन एसएमएस भेजे गए हैं।
जनसंपर्क विभाग के बाणगंगा स्थित मुख्यालय से छन छन कर बाहर आ रही खबरों पर अगर यकीन किया जाए तो मध्य प्रदेश सरकार के जनसंपर्क विभाग के एक आला अधिकारी ने उक्त समाचार पत्र के मालिक संपादक को सीधे फोन करके नहीं वरन् अपने मोबाईल से एसएमएस कर यह मशविरा दिया गया है कि वे गौरी शंकर बिसेन से संपर्क करें।
बताया जाता है कि मध्य प्रदेश से प्रकाशित एक समाचार पत्र को विज्ञापन नहीं दिए जा रहे हैं। इस पर अखबार के संपादक मालिक द्वारा इस संबंध में जनसंपर्क संचालनालय के आला अधिकारियों से गुहार लगाई। पहले हीला हवाला करने के उपरांत जब मालिक को हकीकत का भान हुआ तो उसकी तह में एमपी के सहकारिता मंत्री गौरी शंकर बिसेन निकले।
जनसंपर्क विभाग के सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि विभाग में इन दिनों उक्त आला अधिकारी के तीन एसएमएस चर्चाओं में हैं। पहले एसएमएस में जनसंपर्क विभाग के एक आला अधिकारी द्वारा कहा गया है कि प्लीज रिक्वेस्ट होनरेबल मिनिस्टर बिसेन। दूसरे एसएमएस में कहा गया है कि प्लीज टॉक टू श्री गौरी शंकर बिसेन जी। एवं अंतिम एसएमएस में सलाह दी गई है कि प्लीज टॉक टू द मिनिस्टर, आई केन नाट इग्नोर हिम।
इस तरह के एसएमएस 94251...... नंबर पर किए गए हैं, जिनका रिकार्ड आसानी से निकलवाया जा सकता है। ये तीन एसएमएस आखिर किस कारण किए गए? ऑनरेबल मिनिस्टर गौरी शंकर बिसेन की चिरौरी करने जनसंपर्क के एक आला अधिकारी ने अखबार के संपादक को क्यों मशविरा दिया? क्या जनसंपर्क विभाग का काम लक्ष्मीकांत शर्मा के स्थान पर गौरी शंकर बिसेन के पास है? इस बारे में उत्तर या तो लक्ष्मी कांत शर्मा, या गौरी शंकर बिसेन अथवा जनसंपर्क विभाग के उक्त आला अधिकारी या संपादक ही दे सकते हैं, पर इन दिनों मीडिया बिरादरी में तीन एसएमएस की चर्चाएं जोरों पर हैं।

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